कांग्रेस पार्टी में कभी भी खुलकर गांधी परिवार के खिलाफ बगावत 1977 के बाद से देखने को नहीं मिली। हालांकि सोनिया गांधी के विदेशी मूल को मुद्दा बना शरद पवार पी ़ए ़ संगमा और तारीक अनवर ने अलग पार्टी अवश्य बनाई। ज्यादातर वरिष्ठ कांग्रेसी लेकिन परिवार के संग खड़े रहे। जब तक केंद्र में कांग्रेस सरकार रही गांधी परिवार का वर्चस्व कायम रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद इस वर्चस्व को चुनौती मिलने लगी। अब विरोध के स्वर खुलकर सामने आने लगे हैं। 23 कांग्रेसी नेताओं ने कुछ अर्सा पहले कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिख पार्टी के भविष्य को लेकर चिंता जताई। इस पत्र ने पार्टी आलाकमान को खासा नाराज कर डाला इन नेताओं का भाजपा संग गठजोड़ की बात जब स्वयं राहुल गांधी ने कही तो मामले ने तूल पकड़ लिया। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपने टिविट्र हैंड़ल से कांग्रेस का चिन्ह हटा राहुल के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दे स्पष्ट कर दिया कि अब गांधी परिवार पर पार्टी का भरोसा टूटने लगा है। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की हार का ठीकरा कांग्रेस पर फूटा है। राजनद नेता और राजनीतिक विश्लेषक इन चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कपिल सिब्बल एक बार फिर से परिवार पर निशाना साध चुके हैं। ऐसे में खबर है कि जल्द ही पार्टी नेतृत्व सोनिया गांधी की मदद के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने जा रहा है। चर्चा जोरों पर है कि सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों के चलते जल्द से जल्द पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष पद त्यागना चाह रही हैं। ऐसे में यदि राहुल गांधी दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष न बनने के अपने संकल्प पर अड़े रहते हैं तो पार्टी चार कार्यकारी अध्यक्ष बना सकती है।
बैकफुट पर गांधी परिवार
