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कर्नाटक में भले ही कांग्रेस ने जदयू (सेक्युलर) संग गठबंधन की सरकार बनाने में सफलता पा ली है, दोनों दलों के बीच अविश्वास की खाई इस गठबंधन के लिए कभी भी बड़ा खतरा बन सकती है। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता राज्य सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालय न मिलने के चलते पहले दिन से ही अपनी नाराजगी का इजहार बजरिए मीडिया करने लगे हैं। डीके शिवकुमार मंत्री भले ही बन गए, उनकी इच्छा उपमुख्यमंत्री बनने की थी, इसी प्रकार एमबी पाटिल बनना तो उपमुख्यमंत्री चाहते थे लेकिन मंत्री भी ना बन सके। इसी प्रकार कई विधायक मंत्रीपद न मिलने के चलते नाराज बताए जा रहे हैं। अपनी पार्टी के आंतरिक असंतोष को थामने में जुटा कांग्रेस आलाकमान सीएम कुमारस्वामी की प्रधानमंत्री मोदी संग दो बार हो चुकी लंबी मुलाकातों से भी खासा सशंकित है। एक तरफ पीएम मोदी केरल के मुख्यमंत्री को मिलने का समय तक नहीं दे रहे तो दूसरी तरफ कुमारस्वामी संग दो बार उन्होंने मुलाकात कर डाली है। राजनीतिक हलकों में इन मुलाकातों को लेकर नाना प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस को आशंका है कि कहीं कुमारस्वामी भी बिहार के सीएम नीतीश कुमार से प्रेरणा पा दलबल के साथ भाजपा खेमे में ना चले जाएं। यही कारण है कि कांग्रेस आलाकमान ने कर्नाटक के अपने नेताओं से जद(यू सेक्युलर) के खिलाफ बयानबाजी न करने की कड़ी ताकीद की है।

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