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केंद्र सरकार देश के दूसरे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति को लेकर निर्णय नहीं ले पा रही है। पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत की एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में मृत्यु बाद के इस पद को खाली पड़े लगभग तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट न होने के चलते रक्षा मामलों के जानकार चिंता जाहिर करने लगे हैं। गौतरलब है कि जनरल रावत की इस पद पर नियुक्ति के बाद तीनों सेनाओं के मध्य आपसी समन्वय बैठाने का सिस्टम गति पकड़ने लगा था। जनरल रावत बहुत सुलझे हुए अंदाज में इस काम को आगे बढ़ाने में लगे थे जो उनकी दर्दनाक मृत्यु पश्चात अधर में लटका बताया जा रहा है। रक्षा जानकारों की मानें तो सरकार के पास वर्तमान थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे को अगला सीडीएस बनाए जाने का एकमात्र विकल्प है क्योंकि तीनों सेनाओं के वर्तमान मुखिया में सबसे वरिष्ठ जनरल नरवाणे ही हैं। सरकार यदि ऐसा करती है तो पहले उसे नया थल सेना प्रमुख चुनना पड़ेगा। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत तेजी से हालात बदलने लगे हैं जिनका असर भारत की सुरक्षा पर पड़ने का अंदेशा है। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा पहले ही हो चुका है। तालिबान भारत को अपना विरोधी मानता आया है। चीन पिछले कुछ अर्से से भारतीय सीमाओं पर अपनी दखलअंदाजी लगातार बढ़ा रहा है। पाकिस्तान की नीयत सर्वविदित रही है। ऐसे माहौल में डिफेंस सिस्टम के सबसे महत्वपूर्ण पद का खाली रहना रक्षा विशेषज्ञों की नजरों में खटक रहा है।

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