बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप इन दिनों सुर्खियों में हैं। तेज प्रताप यादव द्वारा कथित रूप से सोशल मीडिया पर अपने प्यार का इजहार सार्वजनिक करने के बाद उनके पार्टी के निष्कासन की घोषणा पार्टी सुप्रीमो ने कर दी है। अब तेज प्रताप निष्कासित किए जाने के बाद अपने लिए नए राजनीतिक वजूद की तलाश में जुटे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि तेज प्रताप आगामी चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतर सकते हैं या अपनी अलग पार्टी बना सकते हैं। इस मसले पर राजनीतिक पार्टियां भी आरजेडी पर हमलावर हैं। हालांकि पार्टी तेज प्रताप को खुद से अलग कर इस मामले को शांत करने की कोशिश जरूर कर रही है लेकिन परिवार और सियासत दोनों जगह से दूरी बनने के बाद तेज प्रताप के लिए कई चुनौतियां मौजूद हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आरजेडी और परिवार से नाता टूटने के बाद तेज प्रताप के सामने सियासी चक्रव्यूह को तोड़कर आगे बढ़ने की चुनौती है। उनके समर्थकों को भी आरजेडी से टिकट मिलने की सम्भावना नहीं है ऐसे में चुनावी मैदान में निर्दलीय या किसी नई पार्टी के बैनर में उतरने की सम्भावना प्रबल हो गई है। गौरतलब है कि तेज प्रताप ने पहले भी कई ऐसे काम किए जिससे आरजेडी की मुश्किलें बढ़ी थीं। उन्होंने वर्ष 2017 में धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ (डीएसएस) का गठन किया था। इस संगठन के तमाम संगठनों से आगे लेकर चलने का इरादा भी जताया था। आरक्षण के मुद्दे को लेकर आगे बढ़े तेज प्रताप अब नए बदलते समीकरण को देखते हुए नई सियासी जमीन की तलाश में हैं।
नई सियासी जमीन की तलाश में तेज प्रताप
