देश की सत्ताधारी पार्टी एक ओर जहां 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अपने सहयोगियों को साधने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ उसके सहयोगी दलों की नाराजगी का खामियाजा उसे आगामी चुनावों में उठाना पड़ सकता है। केंद्र में सत्तारूढ़ दल से साथियों की नाराजगी की अटकलें हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में देखने को मिल रही है। खास बात यह है कि ये सियासी घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहे हैं, जब पार्टी 2024 के चुनाव के लिए कवायद तेज कर रही है और विपक्ष एकजुटता की बातें कर रहा है। दरअसल हरियाणा में भाजपा जननायक जनता पार्टी के साथ सरकार में है और दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री हैं। इस बीच भाजपा के प्रदेश प्रभारी बिप्लब कुमार देब की निर्दलीय विधायकों के साथ मुलाकात ने सियासी पारा बढ़ा दिया है। साथ ही वह उचाना सीट से भाजपा प्रत्याशी की जीत का दावा कर चुके हैं। जबकि इस सीट पर चौटाला का प्रभाव है और वह यहां से मैदान में उतर सकते हैं। कहा जा रहा है कि पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन ने भी दोनों दलों में दूरी बढ़ाई है। हालांकि चौटाला और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर दोनों ही नेता मतभेद की अटकलों से इनकार कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में बीते साल जून-जुलाई में सरकार में आए भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समूह में बयानबाजी चलती रही है। ताजा संकट शिंदे समूह के मंत्रियों के प्रदर्शन को लेकर है। खबर है कि भाजपा आलाकमान ने शिवसेना के कुछ मंत्रियों के काम करने के तरीकों और प्रदर्शन पर नाराजगी जताई है। ऐसे में दोनों दलों के बीच फिर तकरार बढ़ने के आसार हैं।
दांव पर भाजपा के रिश्ते
