दिल्ली के सत्ता गलियारों में बड़ी चर्चा है कि कांग्रेस आलाकमान चुनाव आयोग से भयभीत होकर अपने बागियों को मनाने में जुटा हुआ है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी को आशंका है कि यदि ‘जी-23’ समूह के नेता खुली बगावत कर पार्टी में दो फाड़ का प्रयास करते हैं तो चुनाव आयोग पार्टी का चुनाव चिन्ह् और उसकी संपत्तियों को फ्रीज करने का निर्णय ले सकता है। 2017 में जब समाजवादी पार्टी में विद्रोह हुआ था और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह यादव को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा स्वयं इस पद पर काबिज हुए थे तब भी यह बात उठी थी कि कहीं सपा के चुनावचिन्ह् ‘साइकिल’ को चुनाव आयोग जब्त न कर ले। कांग्रेस के साथ पूर्व में ऐसा हो भी चुका है। 1969 में जब कांग्रेस में टूट हुई थी और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस(आर) बनाई गई थी तब चुनाव आयोग ने पुरानी कांग्रेस के नेताओं की अपील पर इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस को नया चुनाव चिन्ह् आवंटित कर दिया था और पुराने चुनाव चिन्ह् को फ्रीज कर दिया था। तब उसे ‘गाय और बछिया’ चुनाव चिन्ह् दिया गया था। आपातकाल के बाद जब कांग्रेस में दोबारा टूट हुई तब इस चिन्ह् को भी फ्रीज कर दिया गया और इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस(आई) को नया चुनाव सिम्बल ‘हाथ’ दिया गया जो अब तक कांग्रेस का चुनाव चिन्ह् बना हुआ है। खबर गर्म है कि एक बार फिर से टूट की स्थिति बनते देख पार्टी आलाकमान ने ‘जी-23’ समूह के साथ सीधे बातचीत का फैसला लिया ताकि इन नेताओं को खुली बगावत करने से रोका जा सके।
चुनाव आयोग से भयभीत कांग्रेस
