अभूतपूर्व जनादेश के बावजूद उत्तराखण्ड में भाजपा सरकार के पिछले पंद्रह महीने बगैर किसी बड़ी उपलब्धि के गुजर गए। सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत किसी भी मोर्चे पर गुड गवर्नेंस देते नजर नहीं आ रहे। मुख्यमंत्री की कार्यशैली से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों, विधायकों एवं आम कार्यकर्ता में आक्रोश तेजी से फैल रहा है। दस सदस्यीय मंत्रिमंडल में आधे से अधिक मंत्रियों संग सीएम के संबंध बिगड़े हुए हैं। ऐसे में जनता दरबार में मुख्यमंत्री का एक बुजुर्ग शिक्षिका संग अभद्र व्यवहार करना, उन्हें सस्पेंड करना और उनकी गिरफ्तारी के आदेश देना भाजपा असंतुष्टों के लिए सीएम के खिलाफ मोर्चा खोजने का सुनहरा मौका बन गया है। सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय मीडिया में इस मुद्दे पर उत्तराखण्ड सरकार और भाजपा की भारी किरकिरी से पार्टी आलाकमान खासा नाराज है। दिल्ली दरबार में कानाफूसी का दौर शुरू हो चुका है जिसके अनुसार लोकसभा चुनाव से पूर्व ही त्रिवेंद्र सिंह रावत को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। वर्तमान सरकार में वरिष्ठ मंत्री प्रकाश पंत, राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी और केद्रीय मंत्री अजय टम्टा का नाम संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर चल रहा है। अजय टम्टा को पीएम का विश्वस्त होने के साथ-साथ स्वच्छ छवि और दलित होने का लाभ मिल सकता है तो प्रकाश पंत को अपार अनुभव होने का। बलूनी हालांकि पार्टी अध्यक्ष के करीबी हैं, लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया में उनकी शिक्षिका पत्नी को दिल्ली स्थित रेजिडेंट कमीशनर कार्यालय में प्रतिनियुक्ति को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है। अगला सीएम भले ही कोई भी बने, वर्तमान सीएम की लगता है फेयरवेल का समय करीब आ पहुंचा है।
चला-चली की बेला
