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Sargosian / Chuckles

कांग्रेस खिलाफ शरद-ममता की जुगलबंदी

खबर गर्म है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और एनसीपी प्रमुख शरद यादव मिलकर कुछ अलग खिचड़ी पकाने जा रहे हैं। एनसीपी सूत्रों की मानें तो इस खिचड़ी का आइडिया राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के दिमाग की उपज है। स्व राजीव गांधी के चलते राजनीति में चमकी ममता इन दिनों कांग्रेस नेतृत्व से खासी खफा बताई जा रही हैं। उनकी नाराजगी का एक बड़ा कारण लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता और पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी हैं जिनके संग ममता के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण बताए जाते हैं। ममता का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान की शह पर ही चौधरी तृणमूल के खिलाफ न केवल बयानबाजी करते हैं बल्कि ममता बनर्जी की छवि को धूमिल भी करते रहते हैं। पिछले दिनों दिया गया चौधरी का एक बयान ममता को खासा नाराज कर चुका है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की जीत पर टिप्पणी करते हुए चौधरी ने इसे ममता की एक्सिडेंटल जीत करार दिया। बकौल चौधरी तृणमूल की जीत का असल कारण बंगाल की जनता का एंटी भाजपा माइंडसेट है जिसका लाभ तृणमूल को मिला। इतना ही नहीं चौधरी ने 2024 के लिए विपक्षी दलों का चेहरा ममता को बनाए जाने की मांग पर यह कह अपना ऐतराज दर्ज करा डाला कि अकेले ममता नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल, लाल प्रसाद यादव, एमके स्टालिन, पिनारई विजयन जैसे कई अन्य नेताओं ने भी मोदी लहर को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इसलिए केवल ममता को श्रेय दिया जाना गलत है। चौधरी की तृणमूल विरोधी बयानबाजी से नाराज ममता अब खबर है कि शरद पवार को यूपीए का अध्यक्ष बनाने में जुट गई हैं। सूत्रों की मानंे तो ममता ने पवार को समझाया है कि सोनिया के स्थान पर उनका यूपीए अध्यक्ष बनना सभी घटक दलों को स्वीकार्य होगा। जानकारों की मानें तो शरद को आगे कर ममता 2024 में खुद विपक्षी दलों का पीएम उम्मीदवार बनने का खेल रच रही हैं। इस खेल को गोल तक पहुंचाने का जिम्मा उन्होंने अपने विश्वस्त राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्राइन और तृणमूल में कुछ अर्सा पहले शामिल हुए यशवंत सिन्हा को सौंपा है।

यूपी कांग्रेस के बचे-खुचे नेता भी पलायन मोड में

https://thesundaypost.in/sargosian-chuckles/remaining-leaders-of-up-congress-are-also-in-escape-mode/

 

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