कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों…! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है। वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया रनर अप मान्या सिंह ने। जिन्होंने अपने अथक प्रयास से अपने लिए एक मुकाम हासिल किया है।
भले ही वह मिस इंडिया के खिताब के बेहद करीब जाकर ‘क्राउन’ न जीत पाई हो लेकिन एक क्राउन से भी बेहतर प्रेरणा और लगन से उन्होंने पूरे देश को बता दिया कि अगर जमीन पर पैर रखकर आसमान की तरफ उड़ा जाए तो आप बुलंदियों को छू सकते हैं। अपनी पहचान न छुपाकर कर ही आप एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। इस समय वह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है।
मान्या सिंह वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया 2020- रनर अप चुनी गई हैं। इस मुकाम पर पहुंचने वाली मान्या सिंह के पिता एक ऑटो रिक्शा चालक हैं।
वह देवरिया जिले के ऑटो चालक ओमप्रकाश सिंह की बेटी हैं। लेकिन जज्बा और जुनून इतना है कि आप सुनकर हैरान हो जायेंगे। ऑटो रिक्शा चालक की इस बिटिया ने वीएलसीसी फेमिना मिस इंडिया 2020- रनर अप बनकर इतिहास रच दिया है। मान्या सिंह बताती हैं कि ‘मेरे पास जितने भी कपड़े थे, वे अपने आप सिले हुए थे। किस्मत मेरे साथ नहीं थी मेरी माँ ने मेरे लिए बहुत कुछ सहा है। जब मैं 14 साल की थी तो मैं घर से भाग भाग गई। मान्या ने कहा कि ‘मैं दिन में पढ़ाई करती थी और शाम के समय में बर्तन साफ करती थी। रात में, मैं कॉल सेंटर में काम करती थी।
संघर्ष से बीता जीवन
ऐसे भी दिन आए कि उन्हें कई रातों बिना खाए ही सोना पड़ा हो। लेकिन उनके सपने के सामने भूख कुछ भी नहीं थी। इसलिए उन्होंने पूरा फोकस अपने सपने को पूरा करने पर लगा दिया। कभी स्कूल जाने का मौका ही नहीं मिल पाया क्योंकि छोटी उम्र में ही मान्या ने काम करना शुरू कर दिया था।
बैतालपुर ब्लॉक के विक्रम विशुनपुर गाँव के एक साधारण परिवार में जन्मी मान्या देसाई ने देवरिया क्षेत्र के लोहिया इंटर कॉलेज से पढ़ाई की है। उनके पिता ओमप्रकाश सिंह ने कुशीनगर के हाटा में एक घर बनाया है। ओमप्रकाश वर्तमान में मुंबई में काम करते हैं।
मान्या की मां मनोरमा देवी मुंबई में टेलर की दुकान चलाती हैं। कई बार मान्या की परीक्षा की फीस का भुगतान करने के लिए उनकी माँ को कुछ गहने गिरवी रखने पड़े। वहीं, मनी को बचाने के लिए मान्या कई किलोमीटर पैदल चली है। स्कूल में गरीबी के कारण अपने सहपाठियों द्वारा कई बार इग्नोर भी किया गया।