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मुस्लिम महिलाओं की नायाब कोशिश

कहते हैं हौसले अगर ऊंचे हो और कर्म प्रधान की सोच हो तो कुरीतियां भी पीछा छोड़ देती है| ऐसा ही कुछ हल्द्वानी की मुस्लिम समाज की महिलाओं ने कर दिखाया है| योग को लेकर जिस तरह की भ्रांतियां मुस्लिम समाज में फैलाई जाती है उन सब पर इन महिलाओं ने करारा वार किया है।

वीओ- हल्द्वानी के मुस्लिम समाज की यह महिलाएं रोज सुबह अनुलोम विलोम, सूर्य नमस्कार और कपालभाती से अपने दिन की शुरुआत करती हैं और योग के विभिन्न आसन कर अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तन्मयता से योग करती है। इनकी योग ट्रेनर खुद मुस्लिम समाज की बेटी है जो खुद इस बात को कहती हैं कि अब वह समय नहीं रहा कि मुस्लिम बेटियां घर में बैठेंगी। अब वक्त आ गया है कि कंधे से कंधा मिलाकर समाज में आगे बढ़ने के लिए मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों को तोड़ना होगा और उनका यह योगाभ्यास इसका एक नायाब उदाहरण है 4 मुस्लिम महिलाओं द्वारा शुरू किए गए इस योग में अब 40 से अधिक महिलाएं आ गई है| सभी रोज सुबह 5:00 बजे गौलापार स्टेडियम के पास खाली जगह में सोशल डिस्टेंसिंग का प्रयोग करते हुए योगासन करती हैं।

यह तस्वीरें साक्षात उदाहरण है मुस्लिम समाज के उन लोगों के लिए जो योग और सूर्य नमस्कार को धर्म के हिसाब से देखते हैं, जबकि यह सब शरीर को स्वस्थ रखने की क्रियाएं हैं| लिहाजा अब यह लोगों को समझ में आने लगा है।

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