हल्द्वानी पहाड़ी क्षेत्र उत्तराखंड में संकटग्रस्त, दुर्लभ और विलुप्त हो रही वनस्पतियों के मामले में वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने राज्य में एक नया मुकाम हासिल किया है, पिछले 3 सालों के अंदर करीब 1145 वनस्पतियों की प्रजातियों को वन अनुसंधान केंद्र में संरक्षित करने में एक नई सफलता हासिल की है।
उत्तराखंड के अलग-अलग जगहों के 8 रेंज में इन प्रजातियों को संरक्षित करने का काम किया गया है, इनमें अधिकतर वनस्पतियां ऐसी थी जो बिल्कुल विलुप्त होने के कगार पर थी और कुछ वनस्पति पर विलुप्त होने का संकट गहराता जा रहा था, जिसकी वजह राज्य में जंगलों का अधिक दोहन, दावानल और आपदा बन रही है, हल्द्वानी के अलावा पिथौरागढ़, गोपेश्वर, देहरादून, लालकुआं, नैनीताल, रानीखेत और उत्तरकाशी जैसी जगह में इन वनस्पतियों को सफलता से संरक्षित किया गया है, 1145 संरक्षित प्रजातियों में करीब 400 औषधीय वनस्पति शामिल हैं, खासकर इन वनस्पतियों में उत्तराखंड की स्थानीय प्रजातियां शामिल है, जिनमें कीड़ा जड़ी, साल, बीजासाल, ब्रह्म कमल, सालम पंजा, वन ककड़ी (अति दुर्लभ प्रजाति) और बाज की 8 प्रजातियां, चिरौंजी, भोजपत्र(अति दुर्लभ), वन सतवा(अति दुर्लभ) शामिल है, वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी को इन वनस्पतियों की प्रजातियों को संरक्षित करने में करीब 3 साल से ज्यादा का समय लगा है, और इनके डॉक्यूमेंटेशन के लिए 8 से ज्यादा महीने का समय लगा।