कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। इसी कथन को अपनी असल जिंदगी में सच करके दिखाया है 17 वर्षीय युवक रितेश अग्रवाल ने। जिन्होंने इंजीनियरिंग छोड़कर अपनी खुद की एक कंपनी खड़ी की और आज वो बुलंदियों के शिखर पर हैं।
सबसे खास बात ये है कि उन्होंने ये कामयाबी या यूं कहें ये बुलंदी बिना किसी के सहयोग के अर्जित की है। उनका कारोबार इतनी गति से बढ़ा है कि अब तक उन्होंने इसे 71 हजार करोड़ रुपये से अधिक की ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
रितेश अग्रवाल ओयो के फाउंडर हैं और 24 साल के सबसे युवा भारतीय है जिनको रुन रिच लिस्ट 2020 (Hurun Rich List 2020) में जगह मिली। उनकी नेटवर्थ 110 करोड़ डॉलर (करीब 8,000 करोड़ रुपये) है।
उनकी सफलता की कहानी कुछ यूं है कि उनकी कंपनी अब देश की कामयाब इंटरनेट कंपनियों की लिस्ट में फ्लिपकार्ट (20 अरब डॉलर) और पेटीएम (10 अरब डॉलर) के बाद तीसरी कंपनी बन गई है। यह देश की सबसे बड़ी होटल चेन भी है।
बिल्कुल फिल्मी है सफलता की कहानी
एक फिल्मी डायलॉग है कि कि अगर किसी चीज को पूरे दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है। भले ही यह एक फिल्म का डायलॉग हो लेकिन ओयो रूम्स के रितेश अग्रवाल ने इस बात को सच मे तब्दील करके दिखाया है।
ये बेहद ही हैरान करने वाला है कि जिस उम्र में यानी महज 17 साल की आयु में कोई बच्चा पढ़ाई लिखाई कर सकता था उस समय में उसने कंपनी शुरू की और आज वह हजारों करोड़ की कंपनी बनकर बाकी कंपनियों को टक्कर दे रही है।
रितेश उड़ीसा के एक छोटे से शहर बिसम कटक में जन्में थे। उनका जन्म 16 नवंबर 1993 को उड़ीसा एक एक छोटे से शहर बिसम कटक में हुआ।
Oyo Rooms के फाउंडर रितेश का नाम हुरून ग्लोबल रिच लिस्ट में भी शामिल हो चुका है। इस लिस्ट में शामिल होने का अर्थ है कि अग्रवाल दुनिया के सबसे युवा अरबपति हैं। उनकी सक्सेस का अनुमान हम इस बात से लगा सकते हैं कि महज 24 साल की उम्र में अग्रवाल के पास करीब 7,800 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी थी।
अपने शौक से मिला बिजनेस आइडिया
ओयो रूम्स की शुरुआत करने से पहले रितेश ने पहले साल 2012 में ओरेवल स्टेस नाम की एक ऑनलाइन रूम बुकिंग कंपनी को शुरू किया। रितेश का यह आइडिया इतना अनूठा था कि उनके इस आईडिया से खुश होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरेवल में इनवेस्ट किया और को-फाउंडर बन गए। वहीं 2013 में रितेश की ओर से इस कंपनी को ओयो रूम्स में परिवर्तित कर दिया गया।
बताया जाता है कि रितेश को घूमने-फिरने का इतना शौक था कि उनका ये शौक ही उन्हें फायदा दिला गया । क्योंकि इस शौक के कारण ही उन्हें एक अनूठा आईडिया मिला।
दरअसल, यह बात 2009 के आस-पास की है जब उन्हें पहाड़ों पर घूमने का अवसर मिला तो घूमने के दौरान उन्होंने सोचा कि रूम का अरेजमेंट करने में काफी दिक्क़ते होती है। कई बार तो ज्यादा पैसे देकर भी रूम अच्छा नहीं मिल पाता और कभी कम पैसो में भी बेहतर रूम मिल जाता है। बस फिर क्या था उनके दिमाग की उपज से निकला उनका ये बिजनेस आईडिया काम कर गया। उन्होंने ओयो रूम्स के रूप में एक सक्सेसफुल कंपनी खड़ी कर दी..
रितेश ने शुरुआती पढ़ाई अपने ही जिले में एक स्कूल से की। आगे की पढ़ाई उनकी दिल्ली में पूरी हुई। दिल्ली में रितेश ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस अकादमी में एडमिशन लिया लेकिन उनके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था और उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। रितेश छोटी उम्र से ही वेदांता के अनिल अग्रवाल, स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग और बिल गेट्स को अपना रोल मॉडल मानते थे।
चीन में ली ताई शी के नाम से प्रसिद्ध हैं रितेश
बताते चलें कि रितेश वर्तमान में IIT और IIM जैसे संस्थानों से पढ़े लोगों की टीम को लीड कर रहे हैं। एक इंटरव्यू में रितेश ने बताया था कि भारत में ड्राप आउट का मजाक उड़ाया जाता है और उन्हें समझदार तो बिल्कुल भी नहीं समझा जाता है। उनका मानना है कि अगले कुछ साल में भारत में कुछ और ड्राप आउट नाम कमाएंगे।
सबसे चौंकाने वाली बात तो ये हैै कि चीन में ओयो और अग्रवाल को काफी पसंद किया जाता है। चीन में रितेश अग्रवाल ली ताई शी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
उनके बारे में एक और चौंकाने वाली बात है कि चीन में ओयो को सबसे बड़ी होटल कंपनी के रूप में स्थापित करने वाले 27 साल के रितेश ने इसके लिए दुनिया की सबसे कठिन समझी जाने वाली चीनी भाषा मंदारिन को कुछ ही महीनों में सीख लिया था। जानकारी के अनुुुसार 2018 में ओयो रूम्स की ओर से 1 अरब डॉलर का निवेश जुटाया गया है। मीडिया में आई खबरों की मानें तो रितेश ने जुलाई 2019 में ओयो रूम्स में अपनी हिस्सेदारी को तीन गुना बढ़ा लिया है और आज वो सफलता की शिखर पर हैं।