मस्जिदें एक धार्मिक स्थल जहां मुसलमान नमाज़ अदा करते हैं लेकिन कर्नाटक में मस्जिदें अब केवल नमाज़ पढ़ने के लिए इस्तेमाल नहीं की जा रही हैं, बल्कि उनके अंदर सामुदायिक सेवा केंद्र भी बनाए जा रहे हैं।
इस तरह के सेवा केंद्र सिर्फ़ मुसलमानों की नहीं, बल्कि दूसरे धर्मों के लोगों की भी मदद कर रहे हैं। ठीक उसी तरह, जिस तरह ईसाई समुदाय करता हैं। एक ओर जहां देश की राजधानी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगो की आड़ में हिन्दू -मुस्लिम की राजनीति हो रही हैं। वहीं देश के कई कोनों से लोग धार्मिक एकता और सौहार्द का परिचय दे रहे संदेशों का उदाहरण पेश कर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों में मस्जिदों ने जो सेवा केंद्र स्थापित किए हैं उनमें धर्म का भेद-भाव किए बग़ैर सभी लोगों की मदद की जाती है। ये सेवा केंद्र मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड बनाने या स्कॉलरशिप का फ़ॉर्म भरने जैसे कामों में आस-पास के लोगों की मदद करते हैं ।
कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड ने भी मस्जिदों की इस पहल का स्वागत किया है । राज्य भर में क़रीब 8,000 मस्जिदों के कमेटी सदस्यों से कहा है कि ” वो मुसलमानों को इस बात के लिए जागरूक करें । वो वे सारे दस्तावेज़ बनवा लें, जो बतौर नागरिक उनके पास होने चाहिए ।”