“युवा पढ़ेगा और बढ़ेगा, रोजगार की होगी छांव।
चौराहों से भीड़ हटेगी, स्वर्ग बनेगा मेरा गांव।
वैक्सीन है ‘पुस्तकालय’, भटके हुए युवाओं का।
‘लाइब्रेरी’ से यार मेरे, गांव-गांव में होंगे बदलाव।”
ये गीत तो बस एक झलक है, देश के कुछ युवाओं ने अपनी इच्छाशक्ति से वो कर दिखाया जो ग्रामीण क्षेत्रों में सोचना भी अकल्पनीय सा था।
‘मॉडल लाइब्रेरी’ ये कॉन्सेप्ट आपको भले ही नया न लग रहा हो पर अगर यह आपको यह बताया जाए कि देश के लगभग हर गांव में एक ऐसी लाइब्रेरी स्थापित करने की बात हो रही हैं जहां गांव के बच्चों को सिर्फ किताबें ही नहीं बल्कि उनके सर्वांगीण विकास हेतु उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने का हिस्सा भी मिलेगा। यह एक ऐसी लाइब्रेरी होगी जहां बच्चा कैरियर से जुड़े सभी सवालों का भी जवाब प्राप्त कर सकेगा। यह अब आप सोचेंगे कि ऐसे पुस्तकालय तो देश भर में कई जगह हैं। बल्कि इससे भी बेहतर सुविधाओं से लैस पुस्ताकलय देश के विभिन्न क्षेत्रों में है। आप सही भी है, लेकिन आपसे ऐसे पुस्तकालयों का नाम पूछा जाए तो शायद ही आप कोई ऐसा पुस्तकालय बता सकें जो गांव में स्थापित हो। आपकी सूची में सारे आम शहरों के ही होंगे।
गाजियाबाद : गनौली गांव में ‘ग्राम पाठशाला’ को स्थापित हुए पूरे हुए एक साल
आपको यह जानकर खुशी होगी कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के गनौली गांव में ‘ग्राम पाठशाला’ को ‘मॉडल लाइब्रेरी’ में बदले हुए पूरे एक वर्ष हो चुके हैं। यहां पिछले साल 20 अगस्त को ‘ग्राम पाठशाला’ हर गांव लाइब्रेरी मुहीम के तहत पुस्तकालय की स्थापना बहुत ही धूमधाम से किया गया था। प्रसन्नता की बात यह है कि पिछले एक सालों में स्थापित इस लाइब्रेरी से वहां के युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिला। नियमित पठन-पाठन का कार्य तो चल ही रहा है साथ ही उन्हें विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिष्ठित लोगों का सहयोग भी मिल रहा है।
‘ग्राम पाठशाला’ हर गांव लाइब्रेरी के तहत अब तक ऐसे ही 150 पुस्तकालयों को स्थापित किया जा चुका हैं 100 से अधिक गांवों में अभी इस पर कार्य भी चल रहा है। कुछ युवाओं ने मिलकर ये जो गांवों में शिक्षा के उत्थान को लेकर मुहीम चलाई है यह एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रहा है। क्योंकि इस ‘मॉडल लाइब्रेरी’ से बच्चों का भविष्य तो उज्ज्वल हो रहा है साथ ही गांवों की सूरत भी बदल रही है।
अगर आपको यह देखना है कि छोटे-छोटे प्रयासों से बड़ा बदलाव कैसे होता है तो आपको एक बाद गाजियाबाद के गनौली गांव में जाकर ‘ग्राम पाठशाला’ हर गांव लाइब्रेरी के तहत बने इस पुस्तकालय को देखना चाहिए।
20 अगस्त 2020 को इस लाइब्रेरी को वहां के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कर्मचारियों ने एक साथ मिलकर गांव के बच्चों को समर्पित किया। फिर क्या क्या, गांव गनौली के बच्चों ने निःशुल्क यहां आकर खूब पढ़ाई करनी शुरू की और उसका लाभ यह हुआ कि पिछले एक सालों में गांव के 30 बच्चे विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए चयनित किए गए। गांव के इन बच्चों की सफलता पर सबको गर्व है। साथ ही गांव वाले ‘मॉडल लाइब्रेरी’ की भी प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। सभी बच्चों ने यह प्रण भी लिया कि आगे भी अन्य विभागों में सेलेक्शन सुनिश्चित करायेंगे।
यहीं से शुरूआत होती है ‘ग्राम पाठशाला’ के सफलता की
‘ग्राम पाठशाला’ एक ऐसा संगठन है जो अवकाश के दिन भी गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को लाइब्रेरी बनाने के लिए जागरूक करता है। इस संगठन के तहत अब तक लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा लाइब्रेरी बन चुके हैं और सौ से अधिक लाइब्रेरी बनने का कार्य अंतिम दौर में है। ‘हर गांव एक लाइब्रेरी’ इस मिशन के तहत यह प्रण लिया या है कि भारतवर्ष में 6 लाख 64 हजार 369 गांव है और उन सभी गांवों में जब तक लाइब्ररेी नहीं बन जायेगी तब तक ये अभियान चलता रहेगा। इसके तहत अब बुलंदशहर जिले के कारागार में भी एक लाइब्रेरी खुलेगी।
बुलंदशहर के कारागार अधीक्षक मिजाजी लाल ने ‘ग्राम पाठशाला’ के टीम के मिशन को देखा और सुना तो उन्होंने ‘ग्राम पाठशाला’ टीम को बुलंदशहर कारोगार में आमंत्रित किया और ‘ग्राम पाठशाला’ टीम ने कैदियों को लाइब्रेरी खुलवाने के लिए प्रेरित किया। तब कैदियों ने टीम को आश्वासन दिया कि हम भी यहां से निकलने के बाद अपने गांव में लाइब्रेरी खुलवायेंगे और इस अभियान को आगे बढ़ायेंगे। कारोगार अधीक्षक मिजाजी लाल ने टीम को आश्वासन दिया कि जल्द ही कारोगार में एक लाइब्ररेी खोलेंगे और टीम को आमंत्रित करेंगे।
‘ग्राम पाठशाला’ टीम ने कोरोनाकाल में भी की लोगों की मदद
‘ग्राम पाठशाला’ टीम ने हर गांव एक लाइब्रेरी के इस अभियान के दौरान पैदल मार्च, जनजागरण कर लोगों को लाइब्रेरी खुलवाने के लिए, इसके फायदे बताकर उनको जागरूक करती है। ‘ग्राम पाठशाला’ टीम ने कोरोनाकाल में भी लोगों की कई तरह की मदद की। इसके तहत ऑक्सीजन सिलेंडर, बलड और दवाइयां उपलब्ध कराई।
साथ ही ‘ग्राम पाठशाला’ की लाइब्रेरी को इस दौरान क्वारंटीन सेंटर भी बनाया गया। इस खूबसूरत और बेहद जरूरी मिशन को धरातल पर उतारने वाले शख्स है ‘लाल बहार’। उन्होंने इस मुहीम के लिए गांव के ही युवा साथियों को अपने साथ जोड़ा, जिनमें गांव की बेहतरी को लेकर एक जुनून और एक सपना है। वे नाम हैं, संजय बैसला, डॉ ़अजय पाल नागर, देविन्दर बैसला, सोनू बैसला, देवराज नागर ,अमित भाटी,रविन्दर बैसला,रामवीर तंवर, पवन यादव आदि जागरूक युवा इस मुहीम जुड़े।
इस टीम ने अपनी दृढ़निश्चयतता और कर्मठता से इस मिशन को जमीन पर आखिरकार उतार ही दिया
अपने गांव के विकास के लिए जो युवा लालबहार जी के साथ जुड़े, उन्होंने अपनी दृढ़निश्चयतता और कर्मठता से इस मिशन को जमीन पर आखिरकार उतार ही दिया। इस टीम के कार्य से प्रेरित होकर एटा के डीएम ने टीम को आमंत्रित किया और एक ब्लॉक के लगभग 60 गांव प्रधानों से इस मुहीम और इस टीम से अवगत कराया।
जाहिर है जिन लोगों ने ‘ग्राम पाठशाला – हर गांव एक लाइब्रेरी’ के तहत पुस्तकालय की नींव रखी, उन्हें भी इस सफलता का श्रेय जाना चाहिए। बीतें 20 अगस्त 2021 को इस पुस्तकालय के स्थापना दिवस को गांव के बच्चों ने मिलकर और अन्य लोगों ने मिलकर बड़े ही हर्ष के साथ मनाया निश्चित तौर पर यह मिशन एक प्रेरणा है । गांव के युवा आगे आए और अपनी आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए हर गांव लाइब्रेरी मुहीम को आगे बढ़ायें।