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पहाड़ के दूर-दराज से हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल आए बीमार लोगों के तीमारदारों की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि वह ज्यादातर उस क्षेत्र से आते हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करते हैं। एक तो बीमार व्यक्ति का उपचार और दूसरा उनके रहने-खाने में खर्च होने से उनकी कमर टूट जाती थी। बहुत से ऐसे निर्बल और गरीब तीमारदार होने वाले खर्च को वहन करने में अक्षम साबित होते हैं। फलस्वरुप ज्यादातर तीमारदार बीमार परिजन के पास ही भूखे पेट सो जाते थे। इसके अलावा लोग खाने के लिए मरीज को छोड़कर नहीं जा सकते थे, क्योंकि सुशीला तिवारी अस्पताल से होटल और ढाबे काफी दूर है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हल्द्वानी के कुछ दानदाता आगे आए हैं। दानदाताओं ने मरीजों के तीमारदारों के लिए सुशीला तिवारी अस्पताल के सामने ही थाल सेवा शुरू कर दी है। दशहरा के दिन शुरू हुई इस थाल सेवा की काफी सराहना हो रही है।

थाल सेवा में जुटे सदस्य

उत्तराखण्ड के मुख्य द्वार हल्द्वानी शहर में 5 रुपए में भरपेट भोजन, जरूरतमंदों को मिलने लगा है। ये सुविधा मुहैय्या कराई है दस उत्साही युवाओं ने ‘लिटिल मिरेकल फाउंडेशन’ संस्था के जरिए। सुशीला तिवारी स्मारक राजकीय अस्पताल के पास दोपहर में बारह से दो बजे तक करीब एक हजार जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन उपलब्ध रहता है।

सुशीला तिवारी स्मारक अस्पताल में पूरे कुमाऊं से हजारों लोग इलाज के लिए आते हैं जिनमें बहुत से ऐसे भी होते हैं जिनके पास इलाज के लिए भी पैसे नहीं होते और ऊपर से खाने- रहने का खर्च अलग। ऐसे ही लोगों की परेशानियों को देखते हुए ‘थाल सेवा’ में यदि उन्हें एक वक्त का भोजन मात्र पांच रु में यदि मिल जाए तो हर कोई दुआ ही देकर जाएगा।

थाल सेवा योजना का ताना-बाना बुना उत्तराखण्ड के जाने- माने वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मानसेरा ने। उन्होंने अपने साथ समान विचारों वाले दस युवाओं को जोड़कर ‘लिटिल मिरेकल फाउंडेशन’ संस्था बनाई और सोशल मीडिया के जरिए लोगों से इसमें सदस्य बनने का आह्नान किया।

दिनेश मानसेरा बताते हैं कि साल में 365 दिन होते हैं उन्हें प्रत्येक दिन के भोजन का राशन एक सदस्य से जो कि करीब पांच हजार रु का होता है, वो चाहिए था। पूरे साल के सदस्य एक ही हफ्ते में बन गए। लोगों ने गजब का साथ दिया। मानसेरा बताते हैं कि रहा सवाल खाना बनाने से लेकर वितरण का खर्चा कैसे निकेलगा। इसके लिए पांच रु खाने वाले से लिए जाएंगे उससे वो खर्च भी निकल जाएगा जो कमी बेशी होगी उसके लिए उनकी टीम बैकहैंड में रहेगी।

संस्था के सभी दस सदस्यों को उनके विभाग का प्रभारी बनाया गया, जैसे राहुल वार्ष्णेय जो कि होटल व्यवसायी हैं उनके पास भोजन पकाने की जिम्मेदारी है। गिरीश गुप्ता ग्रेन मर्चेंट कारोबारी हैं वो नो प्रॉफिट पर राशन लाते हैं। भोजन वितरण की जिम्मेदारी कारोबारी प्रवीण मित्तल पर है। इतने भोजन के राशन के लिए स्टोर भी चाहिए, किचन भी चाहिए और बर्तन धोने के लिए वाश एरिया भी चाहिए। जिसके लिए उमंग वासुदेवा ने करीब डेढ़ हजार वर्गफुट जगह अपनी उपलब्ध करवाई। जहां हाई जनिक किचन का निर्माण हुआ। भोजन साफ-सुथरा पके और वितरित हो इसके लिए सारे प्रबंध राजीव वाही ने किए। कोष से लेकर बैंक अकाउंट का काम ट्रांसपोर्टर हरित कपूर को देखना होता है और जो सदस्य जुड़े उनका डाटा टेलिकॉलिंग का काम उनकी पत्नी स्वाति कपूर देखती हैं। थाल सेवा के प्रचार-प्रसार का काम रक्षित वर्मा, राजीव बग्गा देखते हैं। जबकि प्रशासनिक कार्यों को गिरीश मेलकानी देखते हैं।

संस्था के सेक्रेटी राहुल वार्ष्णेय बताते हैं कि सभी शेफ और अन्य स्टाफ पेड सिस्टम पर है, क्योंकि ये योजना बहुत बड़ी है। अभी एक सदस्य रोज अपने दिन के हिसाब से यहां ड्यूटी देता है। उमंग वासुदेवा बताते हैं कि जो सदस्य संस्था को एक दिन का सहयोग करते हैं उन्हें उस दिन सेवा के लिए कॉल की जाती है, कोई बर्थडे पर तो कोई स्मृति में थाल सेवा का भागीदार बन रहा है, भावनाओं से ही लोग इस नेक काम से जुड़े हैं।

गिरीश गुप्ता बताते हैं पूरे हफ्ते हर दिन अलग-अलग भोजन है, लेकिन चावल कॉमन है, रोटी अभी नहीं बना रहे, राजमा चावल, चने चावल, दाल चावल, कढ़ी चावल दे रहे हैं। भविष्य में रोटी देने और रात्रि भोजन की भी योजना है। गिरीश मेलकानी बताते हैं कि रिटायर प्रधानाचार्य सरयू प्रसाद हमारी थाल सेवा के व्यवस्थापक हैं। बहुत से रिटायर लोग यहां भोजन वितरण में आकर हाथ बंटाते हैं। सेवा कार्य दिल से होता है। सहयोग से होता है।

बागेश्वर से मरीज के साथ आए पान सिंह बताते हैं कि ऐसी सेवा पहले कभी न देखी, साफ-सुथरा भोजन और पांच रु में भगवान ये चूल्हा हमेशा जलाए रखे।

ओखलकांडा से अपने विकलांग बच्चे पूरन का इलाज कराने आई बुजुर्ग खष्टी देवी कहती है ‘बाबू साहेब पांच रु में तो पानी भी नहीं मिलता ये तो भरपूर भोजन करा दे रहे हैं बल। भगवान इनका भला करे। दशहरे के दिन से शुरू हुई थाल सेवा एक हफ्ते में एक हजार लोगों की भूख मिटा रही है। लोगों की मिल रही दुआओं से टीम थाल सेवा बेहद उत्साहित है और अब आगे इसे और भी विस्तार देने की योजना पर काम कर रही है।

 

इस महत्वपूर्ण कार्ययोजना को मूर्त रूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार दिनेश मानसेरा से जब यह पूछा गया कि 5 रुपए में थाली देने का यह आईडिया उनको कहां से मिला तो उन्होंने बताया कि हल्द्वानी में एक कार्यक्रम में ऋचा अनुरोध आई थी। जहां उन्होंने नोएडा में 5 रुपए में गरीबों को मिल रही खाने की थाली की बाबत बताया। नोएडा के सेक्टर 29 में गंगा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के सामने समाजसेवी अनूप खन्ना ‘दादी की रसोई’ चलाते हैं। जहां 5 रुपए में गरीबों के पेट भी भूख शांत होती है। इससे प्रेरणा लेकर हल्द्वानी में थाल सेवा शुरू की गई। इसमें सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मानसेरा बताते हैं कि सोशल मीडिया पर इस योजना को शुरू करने का विचार पोस्ट करते ही सहयोग करने वाले सामने आ गए। इस तरह कई लोगों ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल ली है। अभी तो दोपहर का खाना शुरू हुआ है इसे अभी रात के खाने में भी चलाया जाएगा। लोगों का सहयोग मिलता रहा तो मानव सेना में अभी कई काम किए जाएंगे।

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