कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन है। ऐसे में सभी लोग घरों में बंद है। इस बीच जिन लोगों का गुजारा ही रोज की कमाई से होता था उन्हें सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे ही लोगों को महाराष्ट्र के पुणे जिले के वडगांव शेरी इलाके की एक चालीस वर्षीय सामान्य महिला हेमलता म्हस्के भूखे प्यासे लोगों को खोज-खोज कर चावल, दाल, तेल और मसाले की थैली दे रही है। पशु प्रेम और जन सरोकार के मुद्दे पर लेखन करने वाली हेमलता ने यह काम करने का सोचा तो उनके पास खुद को खाने के लिए अनाज नहीं था क्योंकि उनके पति ऑटो चालक हैं और लॉकडाउन की वजह से उनका भी रोजगार ठप है।
हेमलता ने टीवी पर जब देखा कि छोटे-छोटे रोजगार करने वाले लोग परेशान हैं और उनके पास अपने और अपने परिवार के लिए खाने के लिए अनाज नहीं है और लॉकडाउन की वजह से उनके पास कोई आय का जरिया भी नहीं है तो उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने उन मित्रों की तलाश शुरू की जो उन्हें इस काम में मदद कर सके और नतीजा यह हुआ कि उनको मदद मिली और उन्होंने करीब 200 से परिवारों को चावल, दाल, तेल और मसाले की थैली सौंपी है। हेमलता को पता नहीं था कि वह यह काम कैसे करेगी लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छा की वजह से यह काम संभव कर दिखाया है।
हेमलता ने बताया कि उनकी पहले इच्छा थी कि गरीब लोगों को इस समय मदद करनी चाहिए क्योंकि सोशल मीडिया पर और टीवी पर गरीब लोगों के हाल की खबरें देखने सुनने के बाद वह विचलित होने लगी। उसे भूखे बच्चों की आवाज परेशान करने लगी तभी उसने इस काम का बीड़ा अपने हाथ में लिया जबकि उसकी इतनी क्षमता नहीं थी। क्योंकि उनके पति पुणे शहर में ऑटो चला कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं और लॉकडाउन की वजह से इन दिनों उनका भी रोजगार ठप है तो फिर ऐसे में हेमलता कैसे किसी गरीब की मदद कर सकती थी लेकिन उनकी कोशिश काम कर गई।
सबसे पहले उन्होंने अपने आसपास के इलाकों में जोखिम मोल लेकर और परिवार के ताने सुन कर भी उन लोगों को खोजने निकली जो वास्तव में लॉकडाउन में परेशान हैं। उन्होंने उनकी सूची बनाई और अपने कुछ मित्रों को भेज दिया। एक मित्र ने उनको संस्था का संपर्क सूत्र दिया। दिल्ली की इस संस्था से हेमलता ने संपर्क किया तो उनकी सच्चाई पर भरोसा करते हुए हेमलता को ₹30000 तुरंत भेज दिया। अब जब हेमलता इन पैसों से 200 परिवारों को सप्ताह भर के लिए खाने की सामग्री मुहैया करा चुकी है तो उनके पास ऐसे लोगों की कतार लग गई है लेकिन वह किसी को निराश नहीं कर रही है।
वह जरूरतमंदों को हौसला दे रही है कि वह उनके लिए प्रयास कर रही है। हेमलता ने इनकी मदद के लिए स्थानीय प्रशासन और विभिन्न संगठनों से संपर्क किया पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। बावजूद वह प्रयास कर रही हैं क्योंकि वह मानती हैं कि यह वैश्विक विपदा है, इसमें हरेक लोगों को असहाय लोगों की मदद के लिए प्रयास करने में पीछे नहीं रहना चाहिए। हेमलता लगातार उन लोगों से संपर्क कर रही है जो भूखे प्यासे बच्चों के लिए अनाज का प्रबंध कर दे और उनको इसमें कामयाबी मिल रही है। उनके पास इस समय सौ अन्य परिवारों की सूची है, जिनके लिए उनको मदद करने वाले आ रहे हैं। हेमलता की चिंता सड़कों पर भूखे भटकने वाले पशुओं को भी खाना खिलाने की है। हेमलता कहती हैं कि ऐसे पशुओं को केवल पशु प्रेमी ही खाना खिला रहे हैं जबकि यह काम हरेक जन को करना चाहिए। रचनात्मक लेखन के लिए हेमलता को तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान और आचार्य लक्ष्मीकांत मिश्र राष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुका है।