देश में पिछले कुछ सालों में डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन काफी रहा है। डेस्टिनेशन वेडिंग, अब सेलेब्रिटी और बड़े घरानों से निकल कर आम लोगों की जिंदगी तक पहुंच गया है। भारत में अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए लोग वो हर चीज करना चाहते हैं, जो उन्होंने फिल्मों में देखी है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष अपील करते हुए कहा था कि विदेश में शादी करने की बजाय अपने देश के उत्तराखण्ड को प्राथमिकता दें। इसके लिए मोदी ने ‘वेड इन उत्तराखण्ड’ का नारा दिया था। मोदी के इस नारे को चरितार्थ कर रही है उत्तराखण्ड की रंजना रावत। रंजना ने रुद्रप्रयाग जनपद के त्रियुगीनारायण मंदिर में एक ऐसा वेडिंग डेस्टिनेशन तैयार किया है जिसकी देशभर में सराहना हो रही है
- संजय चैहान
इन दिनों पूरे देश में रूद्रप्रयाग जनपद का त्रियुगीनारायण मंदिर लोगों के मध्य चर्चा का केंद्र बना हुआ है। त्रियुगीनारायण मंदिर सोनप्रयाग से 12 और रूद्रप्रयाग से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आज वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में पहली पसंद बन गया है त्रियुगीनारायण। यहां हर साल हो रही हैं सैकड़ों शादियां। उत्तराखण्ड सरकार से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखण्ड को वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए प्रमोट कर रहे हैं। इन सबके बीच आज से 8 साल पहले उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले की बेटी रंजना रावत ने त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की पहल की थी। धीरे-धीरे आज त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए पहली पसंद बन गया है।
वेडिंग प्लानर के जरिए नई उम्मीदों को पंख लगाती रंजना रावत नेगी
रूद्रप्रयाग की रंजना रावत आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। रंजना ने मल्टी नेशनल कम्पनी की अच्छी खासी नौकरी छोड़ अपने गांव में रोजगार की अलख जगाई और फिर हजारों लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा। पूरे देश मे लोग रंजना को ‘किसाण बिटिया’ के नाम से भी पहचानते हैं। 2017 में स्वरोजगार के बाद रंजना ने वेडिंग प्लानर के जरिए त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन में पौराणिक रीति रिवाजों संग लोगों की शादियां कराने की पहल शुरू की थी। आज हर साल सैकड़ों शादियां त्रियुगीनारायण में हो रही हैं। जिससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। उस समय रंजना ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की और अपने काम के बारे में बताया। उन्होंने इस जगह को सरकारी तौर पर उत्तराखण्ड का वेडिंग डेस्टिनेशन घोषित कर दिया।
रंजना ने खुद भी त्रियुगीनारायण में लिए शादी के फेरे
2019 में रंजना ने अपनी शादी भी यहीं की और अपने पति दीपक नेगी के साथ फेरे भी इसी स्थान पर लिए। वेडिंग प्लानर रंजना रावत ने बताया कि त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन में जो भी शादियां होती हैं वे विधि विधान, पौराणिक रीति रिवाज, परम्पराओं और गढ़वाल की लोकसंस्कृति को ध्यान में रखकर होती हैं ताकि लोगों को विवाह की रस्मों और गढ़वाल की सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी मिले।
परम्परागत वाध्य यंत्रों और मांगल गीत होते हैं आकर्षण

वेडिंग प्लानर रंजना रावत कहती हैं कि त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन में होने वाली शादियों में पहाड़ के परम्परागत वाध्य यंत्र ढोल दमाऊ, मशकबीन से लेकर मंगलेर महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले मांगल गीत आकर्षण का केंद्र होते हैं जो लोगों को बेहद पंसद आते हैं। हमारी कोशिश है कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी देश दुनिया से रूबरू करवाया जाए।
त्रियुगीनारायण मंदिर की धार्मिक मान्यता
मान्यताओं के अनुसार रूद्रप्रयाग जनपद के मैखंडा परगने में मंदाकिनी क्षेत्र के मंदाकिनी सोन और गंगा के संगम स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर में शिवरात्रि के पवित्र दिन भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था। भगवान शिव के विवाह को लेकर कई तरह की कथाएं अलग-अलग धर्म ग्रंथों में प्रचलित हैं। माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह का प्रमाण है यहां जलने वाली अग्नि की ज्योति जो त्रेतायुग से निरंतर जल रही है। कहते हैं कि भगवान शिव ने माता पार्वती से इसी ज्योति के सामने विवाह के फेरे लिए थे। तब से अब तक यहां अनेकों जोड़े विवाह बंधन में बंधते हैं। लोगों का मानना है कि यहां शादी करने से दाम्पत्य जीवन सुख से व्यतीत होता है। इससे दामपत्य की उम्र लम्बी रहती है और जीवनसाथी के साथ बेहतर तालमेल बना रहता है।
मंदिर परिसर में मौजूद है कुंड
इस मंदिर में स्थित कुंड के बारे में मान्यता है कि विवाह संस्कार कराने से पूर्व भगवान विष्णु ने इसी कुंड में स्नान किया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता-पार्वती और भगवान शिव के विवाह में भगवान विष्णु ने माता पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी और भाई द्वारा बहन की शादी में की जाने वाली सभी रस्में भगवान विष्णु ने ही पूरी की थीं।
त्रेतायुग की जलती धूनी
इस मंदिर में स्थित हवन कुंड में हर समय अग्नि जलती रहती है। इस अखंड ज्योति के बारे में कहा जाता है कि यह उसी समय से जल रही है जब शिव-पार्वती के फेरे हुए थे। इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्त इस कुंड की राख (भस्म) को अपने साथ प्रसाद रूप में घर ले जाते हैं और शुभ कार्यों के दौरान इसका टीका लगाते हैं।
शिव पार्वती के विवाह में सम्मिलित हुए थे ऋषि-मुनि
त्रियुगीनारायण हिमावत की राजधानी थी। यहां शिव पार्वती के विवाह समारोह में सभी संत-मुनियों ने भाग लिया था। विवाह स्थल के नियत स्थान को ब्रह्माशिला कहा जाता है जो कि मंदिर के ठीक सामने है। विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान भी किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने हैं जिन्हें रुद्रकुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड कहते हैं। इन तीनों कुंडों में जल सरस्वती कुंड से आता है। सरस्वती कुंड का निर्माण विष्णु की नासिका से हुआ था और इसलिए ऐसी मान्यता है कि इन कुंडों में स्नान से संतानहीनता से मुक्ति मिल जाती है।

वेडिंग प्लानर रंजना रावत से त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन में होने वाली शादियों के विषय पर लम्बी गुफ्तगु हुई। रंजना का कहना था कि लोग अब शादी में दिखावे से अधिक सादगी पंसद कर रहे हैं। हमारे पास त्रियुगीनारायण जैसा तीर्थ मौजूद है जहां खुद भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था। प्रदेश सरकार त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विश्व में अपनी अलग पहचान बनाए। हमारी कोशिश है कि त्रियुगीनारायण वेडिंग डेस्टिनेशन के जरिए धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले, स्थानीय लोगों को रोजगार और हमारी लोक संस्कृति को नई पहचान। मैं चाहती हूं कि इसके अलावा कई अन्य जगह भी हैं जैसे ऊखीमठ का ओंकारेश्वर मंदिर, गुप्तकाशी के पास देवर गांव जहां से हिमालय की सात चोटियां दिखती हैं, को भी वेडिंग डेस्टिनेशन बनाया जा सके। जिससे गांव के लोगों को रोजगार मिले और वो काम के लिए पलायन करने के लिए मजबूर ना हों।
रंजना रावत नेगी वर्तमान में ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग उत्तराखण्ड की सदस्या भी हैं जिसमें वो सरकार को समय-समय पर उत्तराखण्ड के गांवों से हो रहे पलायन को रोकने हेतु अपने अहम सुझाव प्रेषित करती रहती हैं।