ललित मोहन पेशे से शिक्षक हैं। बतौर प्रवक्ता वह बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं। लेकिन समाज में तेजी से फैल रही नशे की प्रवृत्ति व युवाओं का इसकी चपेट में आना उन्हें विचलित करता है। यही विचलन उन्हें नशामुक्त समाज बनाने की प्रेरणा दे गया। लेकिन सवाल यह था कि कैसे युवाओं को नशे के चुंगल से बाहर निकाला जाय। यही कसमकश उन्हें योग प्राणायाम तक ले आई। अब वह योग प्राणायाम के जरिए नशामुक्त समाज बनाने की तरफ अग्रसर हैं।
भारत के प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर वर्ष 2022 में ललित मोहन ने ‘योग प्राणायाम से नशामुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की थी। तब से उनका यह अभियान कई गांवों में पहुंच चुका है। हजारों लोगों को वह नशा न करने का संकल्प पत्र भरवा चुके हैं। तमाम महापुरुषों की जयंतियों, शादी समारोहों, गोष्ठियों, बैठकों, सेमिनारों यानि हर उस जगह पर जहां लोग एकत्रित होते हैं, उनका प्रयास रहता है कि ऐसी जगहों पर लोगों को नशा न करने के लिए प्रेरित किया जाय। वर-वधू से नशा न करने का संकल्प पत्र भरवाया जाय। वह लगातार युवाओं को नशा न करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। उन्हें योगासन कराते हैं, प्राणायाम कराते हैं। उन्हें योग से जोड़ उनकी आंतरिक शक्तियों को जगाने का प्रयास करते हैं ताकि वे नशे से दूर रहें। उनका कहना है कि नशा मनुष्य को आर्थिक, मानसिक व शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाता है। इसके परिवार पर गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं। यही नहीं नशे की बढ़ती लत उत्तराखंड के सामाजिक व सांस्कृतिक ताने-बाने को भी तहस-नहस कर रही है। युवाओं को इसने बुरी तरह जकड़ लिया है। वह कहते हैं कि अगर युवाओं को योग व प्राणायाम की तरफ जोड़ दिया जाय तो वह खुद ही नशे के दलदल से बाहर निकल जाएंगे और अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर होंगे।
ललित मोहन कहते हैं कि नियमित प्राणायाम से चंद्रनाड़ी मजबूत होती है जो व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार करती है। यही आत्मविश्वास के बूते व्यक्ति नशे से दूर जा सकता है। भस्त्रिका प्राणायाम भी इसमें काफी लाभकारी है। वह कहते हैं कि धूम्रपान छोड़ने के लिए उद्गीथ, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्रणायाम काफी लाभदायक हैं। यह मेडिटेशन यानि एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाता है। इससे चन्द्रनाड़ी अधिक सक्रिय होती है और मन मजबूत होता है। मन मजबूत होने से दृढ़ इच्छा शक्ति पैदा होती है जो व्यक्ति को नशे को छोड़ने के लिए प्रेरित करता है। ‘मन की उड़ान’ कार्यक्रम में भी वह युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए योगासन व प्राणायाम करा चुके हैं। साथ ही नशे से होने वाली हानियों के बारे में भी जानकारी प्रदान करते हैं। पिछले दिनों पिथौरागढ़ में आयोजित कुमाऊंनी सम्मेलन के दौरान भी उन्होंने नशा न करने का हस्ताक्षर अभियान चलाया और इस दौरान सैकड़ों लोगों ने नशा न करने का संकल्प लिया।