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पहाड़ी पत्रकारिता का शिलालेख

यह वर्ष 1967 की बात है। तब उत्तराखण्ड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। पहाड़ में गिने-चुने ही पत्रकार होते थे। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे चमोली जिले में तब चार पत्रकार थे। ये सभी उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त थे। ऐसे में पांचवें पत्रकार के रूप में रमेश गैरोला (रमेश पहाड़ी) की एंट्री हुई। वे वकील बनना चाहते थे लेकिन उनकी किस्मत में शायद कलम का सिपाही बनना था। रमेश पहाड़ी वह शख्स हैं जो पिछले 58 सालों से उत्तराखण्ड में जमीनी पत्रकारिता का जाना पहचाना नाम है। चाहे उत्तर प्रदेश से अलग होने के लिए ‘राज्य आंदोलन’ हो या ‘नशा नहीं रोजगार दो’ का आंदोलन हो या ‘चिपको आंदोलन’ सभी आंदोलनों में रमेश पहाड़ी ने न केवल सक्रिय भूमिका निभाई, बल्कि उनकी लेखनी प्रेरणा का काम करती थी। उनकी लेखनी लोगों में जोश भर देती थी। ‘अनिकेत’ समाचार पत्र के सम्पादक रहते उन्होंने अनेक समस्याओं को उठाया। भ्रष्टाचार पर वॉर किया। पहाड़ी की पत्रकारिता को याद करते हुए लोग कहते हैं कि अपनी धारदार पत्रकारिता के जरिए वह सरकारों को सोचने और निर्णय लेने पर मजबूर कर देते थे। तब पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी। रमेश पहाड़ी इसी मिशन को पिछले पांच दशक से भी अधिक समय से बरकरार बनाए हुए हैं। पहाड़ी को सरोकारों की पत्रकारिता के लिए अब तक कई पुरस्कार मिल चुके हैं। पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया है। फिलहाल वे तीसरे भैरव दत्त धुलिया पत्रकार पुरस्कार पाकर चर्चा में हैं। यह पुरस्कार कर्म भूमि फाउंडेशन द्वारा स्वतंत्रता सेनानी और कर्म भूमि साप्ताहिक समाचार पत्र के सम्पादक रहे पंडित भैरव दत्त धूलिया की याद में दिया जाता है

18 जून 2017

प्रसिद्ध  पर्यावरणविद पद्मश्री से सम्मानित चंडीप्रसाद ने वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी को पत्रकारिता में पचास वर्ष पूरे होने पर स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध  पर्यावरणविद चंडीप्रसाद भट्ट ने कहा कि पचास वर्ष के दौरान वयोवृद्ध पत्रकार रमेश पहाड़ी ने पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में लिया, उन्होंने एक मजबूत प्रहरी के रूप में कार्य कर चौथे स्तम्भ को मजबूती दी।

14 नवम्बर 2022

विगत पांच दशकों से पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान देने वाले वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी को प्रथम गोविंद प्रसाद नौटियाल पुरस्कार से नवाजा गया। गढ़वाल के ऐतिहासिक गौचर मेले के शुभारम्भ समारोह में विगत 55 वर्षों से अखबार के माध्यम से जनता की आवाज उठाने वाले रमेश पहाड़ी को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रथम गोविंद प्रसाद नौटियाल पुरस्कार दिया गया। पहाड़ी को पुरस्कृत किए जाने पर पत्रकारों, लेखकों, साहित्य और संस्कृति धर्मियों व सामाजिक जीवन से जुड़े लोगों ने प्रसन्नता जताई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि रमेश पहाड़ी स्थानीय, क्षेत्रीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अखबारों, पत्रिकाओं में लेखन व पत्रकारिता कर चुके और अभी भी निरंतर पत्रकारिता धर्म से जुड़े हुए हैं। रमेश पहाड़ी के अब तक 7000 लेख प्रकाशित हो चुके हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उनका नाम सबसे ऊपर है।

18 मई 2025

उत्तराखण्ड की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता एवं फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया के साथ ही कई जाने-माने हस्तियों ने रमेश पहाड़ी को तीसरे पंडित भैरव दत्त धूलिया पत्रकार पुरस्कार से नवाजा। तिग्मांशु धूलिया ने रमेश पहाड़ी के पत्रकारिता में उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र पढ़ा। साथ ही बताया कि पहाड़ी 1977 से 2017 तक अनिकेत समाचार पत्र के सम्पादक रहे और चिपको आंदोलन के साथ ही कई आंदोलनों में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे।

रमेश पहाड़ी को पंडित भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार देते विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी और फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया

रमेश पहाड़ी ने इस पुरस्कार के लिए आभार व्यक्त किया और बताया कि किस प्रकार पत्रकारिता में उनका करियर लगभग उन पर थोप दिया गया था और किस प्रकार एक पूछताछ काउंटर पर हुई घटना ने उन्हें पहाड़ों में ही रहने और एक पत्रकार के रूप में आगे बढ़ने का निर्णय लेने पर मजबूर किया।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी ने रमेश पहाड़ी को पत्रकारिता का हस्ताक्षर बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि आज पहाड़ की पत्रकारिता में रमेश पहाड़ी जैसे पत्रकारों का होना जरूरी है। इस अवसर पर उन्होंने निडर पत्रकारों के लिए पुरस्कार की स्थापना के लिए कर्मभूमि फाउंडेशन को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखण्ड के पत्रकारों को रमेश पहाड़ी जैसे पत्रकारों की किताबों और लेखों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने पत्रकारिता की इस भावना को स्कूली बच्चों और पूरे समाज तक ले जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

 

क्यों दिया जाता है भैरव दत्त धूलिया पत्रकार पुरस्कार

कर्म भूमि फाउंडेशन, उत्तराखण्ड ने फरवरी 2023 में निर्णय लिया था कि वह हर वर्ष पंडित भैरव दत्त धूलिया के नाम से ‘पत्रकार पुरस्कार’ से एक पत्रकार को सार्वजनिक समारोह में सम्मानित करेंगे। इस पुरस्कार का नाम ‘पंडित भैरव दत्त धूलिया पत्रकार पुरस्कार’ है। इस पुरस्कार में एक लाख रुपए की धनराशि, प्रशस्ति पत्र एवं शॉल भेंट किया जाता है। हर वर्ष यह कायर्क्रम मई माह में आयोजित होता है। इस पुरस्कार के प्रथम पुरस्कार विजेता थे वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत जिन्हें, मुख्य अतिथि चंडी प्रसाद भट्ट द्वारा 18 मई 2023 को देहरादून में सम्मानित किया गया। द्वितीय पुरस्कार राजीव लोचन साह को मुख्य अतिथि प्रोफेसर शेखर पाठक द्वारा 19 मई 2024 को लैंसडौन में समारोह में दिया गया।

भैरव दत्त धूलिया उत्तराखण्ड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में गिने जाते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई और कई वर्षों तक जेल में रहकर संघर्ष किया। वर्ष 1939 में उन्होंने अपने सहयोगी भक्त दर्शन सहित ‘कर्मभूमि’ साप्ताहिक समाचार पत्र की स्थापना की। इसके बाद वर्ष 1988 तक वह इस पत्र का स्वतंत्र रूप से सम्पादन करते रहे। ‘कर्म भूमि’ अपने निर्भीक, निष्पक्ष और स्वतंत्र सम्पादकीय लेखन के लिए व्यापक रूप से प्रसिद्ध था। यह समाचार पत्र उस दौर में गढ़वाल क्षेत्र की प्रभावशाली आवाज बन गया था। धूलिया भले ही कांग्रेस से जुड़े स्वतंत्रता सेनानी रहे हों, लेकिन वर्ष 1967 में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव एक स्वतंत्र (निर्दलीय) प्रत्याशी के रूप में लड़ा और विजय हासिल की। यह पुरस्कार उनकी विचारधारा, स्वतंत्र सोच और समाज के प्रति उनके योगदान को समर्पित एक सच्ची श्रद्धांजलि है।

बात अपनी-अपनी

रमेश पहाड़ी जी को प्रतिष्ठित भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार के लिए बहुत मुबारकबाद। पहाड़ी जी का निजी संग्रह और अनिकेत के अंक पुस्तकालय गांव मणिगुह में संरक्षित हैं। पुस्तकालय गांव मणिगुह का उद्घाटन भी उनके ही कर कमलों से हुआ। पहाड़ी जी और उन जैसे कई मर्मज्ञ विद्वानों का काम ही नई पीढ़ी की असली धरोहर है। उनके विचारों को आगे बढ़ाना और उनके बताए रास्ते पर चलना ही सही अर्थों में उनका सच्चा सम्मान होगा।

सुमन मिश्रा, सम्पादक ‘सूफीनामा’ एवं संचालक, ग्राम पुस्तकालय मणिगुह

उत्तराखण्ड की पत्रकारिता के शिखर पुरुष और जन आंदोलनों के प्रखर योद्धा रमेश पहाड़ी जी मेरे प्रिय दादा जी एवं गुरूजी को प्रतिष्ठित भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किया जाना हमारे लिए गर्व का विषय है। पहाड़ी जी की 58 वर्षों से अधिक की पत्रकारीय यात्रा सत्य, निष्ठा और समाज सेवा का प्रतीक है। मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आपके मार्गदर्शन और छत्रछाया में मैंने पत्रकारिता का क, ख,ग और सामाजिक जनमुद्दों के लिए संघर्ष करना सीखा। आपका यह सम्मान हम सभी के लिए गर्व का क्षण है। इस गौरवमयी उपलब्धि और निरंतर प्रेरणादायी कार्य के लिए रमेश पहाड़ी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं ढेरों बधाइयां।

कुलदीप राणा ‘आजाद’, संपादक, ‘केदारखंड एक्सप्रेस’

उत्तराखण्ड की पत्रकारिता के शिखर पुरुष और जन आंदोलनों के प्रखर योद्धा रमेश पहाड़ी को प्रतिष्ठित भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किया जाना हमारे लिए प्रेरणा देने का काम करता है। 50 वर्षों से अधिक की उनकी पत्रकारीय यात्रा सत्य, निष्ठा और समाज सेवा का प्रतीक है। मुझे इस बात की खुशी है कि पहाड़ी जी के मार्गदर्शन और छत्रछाया में जन आंदोलनों की अगुवाई करने का अवसर मिला। पहाड़ी जी ने हमें सिखाया है कि जनमुद्दों के लिए सरकार से कैसे संघर्ष किया जाता है। आपका यह सम्मान हम सभी के लिए गर्व का क्षण है।

मोहित डिमरी, संयोजक, मूल निवास भू संघर्ष समिति

उत्तराखण्ड की पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ ही ऐसे यशस्वी व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने 50 वर्ष से अधिक समय तक इस पवित्र पेशे को न केवल अपनाया, बल्कि इसे अपनी जीवन साधना बनाया। इनमें से एक अग्रणी नाम है चमोली और रुद्रप्रयाग के सीमांत जनपदों से जुड़े श्री रमेश पहाड़ी जी। रमेश पहाड़ी ने अपनी निरंतर पत्रकारिता के माध्यम से सत्य, निष्ठा और जनसरोकारों के उच्चतम मूल्यों को जीवंत रखा, जिसने उनके व्यक्तित्व को एक प्रेरणादायी आभा प्रदान की है। पिछले साल जब मैं विधानसभा सत्र के दौरान कर्णप्रयाग/गैरसैंण गया तो पहाड़ी जी की स्मृति मन में जीवंत हो उठी। वर्तमान में वह देहरादून के जोगीवाला क्षेत्र में अधिक समय बिताते हैं। उनसे समसामयिक मुद्दों पर हुई बातचीत ने उनके अनुभव, विचारों की गहराई और समाज के प्रति उनकी
संवेदनशीलता को पुन: उजागर किया। रमेश पहाड़ी को पंडित भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर हम हृदय से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह सम्मान न केवल पहाड़ी की पत्रकारिता और सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान का प्रतीक है, बल्कि उनके समर्पण और जनपक्षीय कार्यों का भी सच्चा प्रमाण है। जिन्होंने अपने कार्यों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और उत्तराखण्ड की आवाज को बुलंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह सम्मान हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

शीशपाल गुसाईं, वरिष्ठ पत्रकार देहरादून

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