जनपद में जिलाधिकारी तो बहुत आते हैं लेकिन कम ही ऐसे होते हैं जो समस्याओं को देखने स्थलीय निरीक्षण पर जाते हैं। अधिकतर अपने जूनियर अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर संतुष्ट हो जाते हैं। लेकिन दूसरी तरफ एक जिलाधिकारी प्रतीक जैन भी हैं जो समस्याओं को देखने खुद मैदान में उतर जाते हैं। 2018 बैच के यह आईएएस ऑफिसर इस समय चर्चाओं में हैं। लोग इनकी मिसाल दे रहे हैं और कह रहे हैं कि अधिकारी हो तो प्रतीक जैन जैसा। जैन ऐसे अधिकारी हैं जो रुद्रप्रयाग जिले का कार्यभार सम्भालने के महज 24 घंटे के भीतर केदारनाथ की 24 किलोमीटर यात्रा पर पैदल ही निकल गए। अन्य अधिकारियों की तरह वे भी चाहते तो हवाई सर्वेक्षण कर सकते थे लेकिन उन्होंने इसके बजाय जमीनी निरीक्षक को प्राथमिकता दी। वे केदारनाथ यात्रा मार्ग पर आने वाली समस्याओं से रूबरू हुए, साथ ही ऑन द स्पॉट अधिकारियों को कई सुझाव दिए। लोगों का कहना है कि काफी दिनों बाद रुद्रप्रयाग में ऐसा ऑफिसर आया है जो यात्रा मार्ग में तीर्थयात्रियों को होने वाली परेशानियों से निजात दिलाने की पहल कर रहा है
विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम कई मायनों में खास माना जाता है। सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के बीच इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व है। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ ही यहां उत्तराखण्ड के चार धामों में सबसे ज्यादा तीर्थयात्री आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पावन स्थान के दर्शन करने से मोक्ष यानी मुक्ति मिलती है। केदारनाथ की यात्रा में इस समय हजारों यात्री प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए वैसे तो 24 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है लेकिन गौरीकुंड से 16 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। यह मार्ग भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। चीरबासा, छौड़ी, जंगलचट्टी, रामबाड़ा, लिनचोली व छानी कैंप में भूस्खलन जोन होने से इस यात्रा मार्ग पर हर वक्त पत्थर गिरने का खतरा बना रहता है। इससे कई बार तो तीर्थयात्रियों की जान पर भी बन आती है। केदारनाथ धाम समुद्र तल से 3,583 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां ऑक्सीजन की कमी, ठंडा मौसम और कठिन ट्रैकिंग मार्ग स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण होता है।
केदारनाथ यात्रा मार्ग का पैदल स्थलीय निरीक्षण करते रूद्रप्रयाग जिलाधिकारी प्रतीक जैन
कहने को तो केदारनाथ यात्रा पर सरकार ने काफी व्यवस्थाएं की हुई हैं। लेकिन ये व्यवस्थाएं कितनी चुस्त-दुरुस्त होती है इन्हें देखने की फुर्सत किसी अधिकारी को नहीं होती है। अधिकारी अधिकतर देहरादून या जिला मुख्यालयों से ही यात्रा की समीक्षा कर इति श्री कर देते रहे हैं। लेकिन इस बार एक युवा आईएएस अधिकारी ने ऐसा कर दिखाया है जिसकी चारों ओर प्रशंसा हो रही है। यह अधिकारी हैं प्रतीक जैन। जिन्होंने केदारनाथ में पैदल ही यात्रा का जायजा लेकर एक मिसाल कायम कर दी है।
2018 बैच के आईएएस अधिकारी प्रतीक जैन को उत्तराखण्ड में पहली बार किसी जिले की कमान मिली है। गत 21 जून को उन्हें रुद्रप्रयाग जनपद की जिम्मेदारी दी गई। नई जिम्मेदारी मिलते ही 32 साल के इस अधिकारी ने अपने पहले ही कदम से सबको पीछे छोड़ दिया है। धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से रुद्रप्रयाग एक महत्वपूर्ण जिला है। यहां ज्योतिर्लिंग केदारनाथ मंदिर के साथ ही तुंगनाथ मंदिर, रुद्रनाथ मंदिर और मदमहेश्वर मंदिर भी स्थित हैं। भगवान शिव पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगी नारायण मंदिर भी इसी जिले में है। कल्पेश्वर मंदिर, अगस्त्य मुनि मंदिर और ओंकारेश्वर मंदिर भी यहीं हैं। ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व रखने वाले इन मंदिरों के दर्शन करने साल भर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए पूरे 6 महीने आम श्रद्धालुओं के साथ ही वीवीआईपी का आना-जाना लगा रहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस जिले में चल रही योजनाओं की जानकारी लेते रहते हैं। केदारनाथ मंदिर परिसर में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों पर पीएमओ का दखल रहता है तो पीएम अक्सर उसकी समीक्षा बैठक लेते रहते हैं। ऐसे में नवनियुक्त जिलाधिकारी प्रतीक जैन के लिए ये जिम्मेदारी बड़ी है। लेकिन उन्होंने शुरुआत में ही जो सक्रियता दिखाई है उसने साफ कर दिया है कि जिले को अब एक नया और ऊर्जावान अफसर मिल गया है।
जिलाधिकारी पद पर अपनी नियुक्ति के 24 घंटे में ही उन्होंने 24 किलोमीटर लम्बा रास्ता खुद पैदल तय किया। उन्होंने केदारनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों को नजदीक से देखा। रास्ते में हर जगह रुक कर लोगों से बातचीत की। तीर्थयात्रियों से सुविधाओं की जानकारी ली। केदारनाथ तक पहुंचने के रास्ते का उन्होंने बारीकी से जायजा लिया। नेशनल हाईवे के जिस हिस्से में भूस्खलन की आशंका रहती है वहां मशीनें हमेशा मौजूद रखने के निर्देश दिए। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को भी देखा और एसडीआरएफ की तैयारियों को भी जांचा। यही नहीं, बल्कि जहां दिक्कत दिखी वहां उन्होंने सुधार के निर्देश भी दिए। बाबा केदार के दर्शन किए और वहां के तीर्थ पुरोहितों से भी मुलाकात की। रुद्रप्रयाग खासकर केदारनाथ धाम को लेकर उनकी प्राथमिकताएं बिल्कुल साफ हैं कि यात्रा मार्ग पर कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने यात्रा मार्ग पर यात्रियों के हेल्पलाइन नम्बर का जायजा लिया। उन्होंने खुद नम्बर मिलाया और देखा कि जब किसी यात्री को परेशानी होती है तो उन तक मदद पहुंचाने में कितना समय लगता है। जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े खच्चर के मालिकों से भी बात की। केदारनाथ में हर वर्ष यात्रा के दौरान करीब 8 हजार घोड़े खच्चर का संचालन किया जाता है। पिछले कई सालों से जब यात्रा शुरू होती है तो घोड़े खच्चरों की मौत की घटनाएं घटित होती हैं। इस चलते जिलाधिकारी ने उनकी घोड़े खच्चर को होने वाली बीमारियों से सम्बंधित बातें भी सुनी।
जानिए प्रतीक जैन के बारे में
प्रतीक जैन का जन्म राजस्थान के अजमेर में 25 जुलाई 1993 को हुआ। जैन वर्ष 2018 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वर्ष 2016 में अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स और मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल की थी। लेकिन फाइनल मेरिट लिस्ट में उन्हें जगह नहीं मिल पाई। इसी साल भारतीय वन सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर तीसरी रैंक हासिल की। दूसरे प्रयास में वर्ष 2017 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास कर ऑल इंडिया में 86 वीं रैंक हासिल की। इससे पहले एक साल तक भारतीय वन सेवा में अपनी सेवाएं दी।
बिडला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस पिलानी से शिक्षा ग्रहण की, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीए ऑनर्स और एमएससी ऑनर्स।
बायोलॉजिकल साइंस 2011-16 में किया। वर्ष 2020 में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर की डिग्री हासिल की। वे हरिद्वार जिले में मुख्य विकास अधिकारी सीडीओ के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
2019 दिसम्बर से अगस्त 2020 तक जिले के डिप्टी कलेक्टर भी रहे। यही नहीं, बल्कि 2 वर्ष तक नैनीताल जिले में डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम के रूप में भी कार्य किया। 21 जून 2025 को उन्हें रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी के तौर पर जिम्मेदारी मिली है। प्रतीक जैन की पत्नी अक्षिता अग्रवाल जिन्होंने 2016 में भारतीय वन सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया में तीसरी रैंक हासिल की। वे इसी साल यूपीएससी सीएसई के साक्षात्कार चरण में पहुंचकरसार्वजानिक सेवा में चयनित हुई है।
बात अपनी-अपनी
समस्याओं को देखने से नहीं स्पाट पर जाकर महसूस करने से ही जनता का असली दर्द पता चलता है। केदारनाथ ट्रैक पर जाकर हमें महसूस हुआ कि तीर्थयात्रियों के लिए अभी काफी सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी हैं। विभागीय अधिकारियों को उनके विभाग से सम्बंधित समस्याओं के समाधान के निदेज़्श दे दिए गए हैं। केदारनाथ के साथ ही अन्य तीर्थस्थलों पर भी जमीनी सर्वेक्षण किया जाएगा।
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यह हमारे क्षेत्र का सौभाग्य है कि हमें प्रतीक जैन जैसे युवा और प्रगतिशील सोच के जिलाधिकारी मिले हैं। सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि उन्होंने सबसे पहले हमारे पवित्र धाम केदारनाथ का पैदल दौरा किया है। क्योंकि केदारनाथ में यात्रियों को बहुत समस्याएं आती हैं उन समस्याओं का समाधान प्रतीक जैन की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। वह ऐसे जिलाधिकारी हैं जिनके आने से ही पूरे जनपद की प्रशासनिक व्यवस्था पहले से ज्यादा बेहतरीन हो रही है। केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों में भी संदेश गया है कि चारधाम जाने वाले रास्ते में अब कोई दुविधा नहीं होगी। हमें उम्मीद है कि प्रतीक जैन जी केदारनाथ के साथ ही अन्य तीर्थस्थलों के ट्रैक को भी जाकर देखेंगे और उनकी समस्याओं का निवारण करेंगे।
आशा नौटियाल, विधायक, केदारनाथ
केदारनाथ ट्रैक पर सबसे बड़ी समस्या घोड़े खच्चरों की लाद की है। पूरे यात्रा मार्ग में जहां तहां घोड़े खच्चरों द्वारा की जाने वाली गंदगी पसरी रहती है। ऐसे में अगर ऊपर से बरसात हो जाएं तो और भी मामला पेचीदा हो जाता है। इसके साथ ही मैं ऊर्जावान डीएम प्रतीक जैन जी से कहना चाहती हूं कि वे यात्रियों द्वारा ले जाए जाने वाली प्लास्टिक की वस्तुओं पर रोक लगाए। यात्री उन्हें पहाड़ों पर धाम के रास्ते में ले जाते हैं और कहीं भी फेंक देते हैं। मैंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के समक्ष दुर्गम और सुगम तीर्थयात्रा का भी प्रस्ताव दिया था। जिस पर उन्होंने जल्द ही अमल करने का वादा किया है।
रंजना रावत, सदस्य, ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग, उत्तराखण्ड
पहली बार जनपद में एक ऐसा युवा जिलाधिकारी ने पद सम्भाला है जिसने न केवल आम जनता से निकटता बनाने की पहल की है, बल्कि केदारनाथ में विकट परिस्थितियों में कार्य करने वाले कर्मियों की दुश्वारियों पर भी ध्यान दिया है। केदारनाथ के अपने पहले ही दौरे में पैदल यात्रा कर इन परिस्थितियों को न केवल धरातल पर देखा, बल्कि उन समस्याओं के समाधान हेतु प्रयास भी शुरू किया। विकट परिस्थितियों में कार्य करने वाले कर्मियों को सभी संसाधन उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए। अपनी पहली प्रेस वार्ता में उन्होंने स्वास्थ्य एवं शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने को अपनी प्राथमिकता बताया। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि नवनियुक्त जिलाधिकारी जनपद में अपने नवाचारी कार्यों से अपनी अमिट छाप छोड़ देंगे। परंतु फिर भी कहते हैं न कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। नव नियुक्त जिलाधिकारी ने भी जनपद में अपने पहले हफ्ते के क्रियाकलापों से कुछ ऐसा ही महसूस कराया है।