हिमाचल प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने आरोप लगाया है कि दलित होने के चलते उन्हें मंदिर में जाने से रोका गया। सामाजिक न्याय मंत्री राजीव सैजल ने मंगलवार को विधानसभा को बताया कि उन्हें और उनके अन्य साथी एक विधायक को राज्य के एक मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया क्योंकि वे दलित समुदाय से आते हैं।
विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान आरक्षण से संबंधित विधेयक के संकल्प के दौरान उन्होंने ये बात कही। उन्होंने बताया कि उन्हें और नाचन के विधायक विनोद कुमार को एक मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया।
सैजल ने कहा, “ऐसी कुत्सित व्यवस्था पहले नहीं थी। रामायण में इसका उल्लेख है कि भगवान राम ने निषाद जाति के व्यक्ति को गले लगाया था। भीलनी के झूठे बेर खाए थे। यह दुखद है कि मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। आज भी अनुसूचित जाति के लोगों को कई मंदिरों में प्रवेश नहीं करवाया जाता है।”
उन्होंने कहा कि जब वो विनोद कुमार के निर्वाचन क्षेत्र में गए तो वहां उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। हालांकि, उन्होंने मंदिर के नाम और स्थान का उल्लेख नहीं किया।
एक दिवसीय विशेष सत्र में विधानसभा ने ध्वनि मत से संविधान (126 वां) संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दिया है। यह विधेयक 10 और 12 दिसंबर 2019 को लोकसभा और राज्यसभा में पारित हुआ था।
राजीव सैजल से पहले बोलते हुए किन्नौर से कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी कहा कि राज्य की कुछ जगहों पर दलितों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। इस पर ने हामी भरी और कहा कि वो कांग्रेस विधायक से सहमत हैं।