झारखण्ड में विस्थापितों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश उरांव की कल यानी 7 जून को गोली मारकर हत्या कर दी गई। सुरेश चतरा में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के एक परियोजना में हो रहे विस्थापन के खिलाफ लोगों को गोलबंद कर रहा था।
प्रदेश के एक राष्ट्रीय दैनिक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनके एरिया की पुरनाडीह परियोजना में कार्यरत सीसीएल कर्मी और विस्थापित नेता सुरेश उरांव की बाइक सवार चार लोगों ने गोली से भून दिया।
सुरेश सरना समाज की एक प्रार्थना सभा में शामिल होने गए थे। कार्यक्रम के बीच दो बाइक पर चार व्यक्ति आए और सुरेश से हाथ मिला कर प्रणाम किया। फिर उनमें से एक ने पिस्टल निकाल कर सुरेश को गोली मार दी। गोली मारने के बाद सभी अपराधी जंगल के रास्ते भाग निकले। घायल सुरेश को अस्पताल ले जाया गया, जहां डाॅक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सुरेश विस्थापितों के लिए नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन करते रहे थे। वर्ष 2012 में पुरनाडीह परियोजना विस्तारीकरण के दौरान ग्रामीणों को गोलबंद कर उन्होंने सीसीएल प्रबंधन के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था। गौरतलब है कि सीसीएल ने 200 एकड़ जमीन अधिग्रहण की थी। कंपनी को 400 लोगों को नौकरी देनी थी, लेकिन मात्र 100 लोगों को ही नौकरी मिली थी। इस मुद्दे पर सुरेश उरांव ने आंदोलन का नेतृत्व किया था और विस्थापित नेता के रूप में उनका उभार हुआ था।
सुरेश और उनके साथ आंदोलन में शामिल रहे लोग उस जमीन के मालिक थे जिस पर सीसीएल ने पुरनाडीह कोयला खदान का निर्माण किया था। सुरेश सीसीएल के खिलाफ जमीन अधिग्रहण के इस मसले पर लगातार लड़ते रहे। जब सीसीएल ने विरोध को दबाया तो सुरेश और ग्रामीणों ने नौकरी और मुआवजे के लिए लड़ाई शुरू कर दी। जब सीसीएल ने खदान का कचरा दामोदर नदी में ठिकाने लगाना शुरू कर दिया तो उन्होंने प्रबंधन को कोर्ट में घसीटा और जीत भी दर्ज की। टंडवा डीएसपी एहतसम वकार ने बताया, ‘मृतक सुरेश को गाली तब मारी गई जब वे सरना समिति की बैठक में सम्मिलित होने गए थे। हम हत्या के पीछे के मकसद की पड़ताल कर रहे हैं। पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।’