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समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के 13 साल पूरे, हुई थी 68 यात्रियों की मौत

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के 13 साल पूरे, हुई थी 68 यात्रियों की मौत

समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले को आज 13 साल पूरे हो चुके हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली इस ट्रेन में 18 फरवरी, 2007 को ब्लास्ट हुआ जिसमें कुल 68 लोग मारे गए थे। वहीं कई लोग घायल हुए। ये दिल्ली से पाकिस्तान के लाहौर जा रही थी। इस धमाके में मारे गए ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे। इस केस की जांच में एनआईए ने अहम भूमिका निभाई। भारत की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच ये ट्रेन शुरू की थी।

19 फरवरी, 2007 को दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, रात 11.53 बजे दिल्ली से करीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन में ब्लास्ट हुआ थी। धमाके के चलते ट्रेन की दो सामान्य बोगियों में आग लग गई थी। पुलिस ने विस्फोट स्थल से दो सूटकेस बम बरामद किए थे। धमाके के एक महीने बाद 15 मार्च, 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को अरेस्ट किया था।।

सूटकेस कवर के जरिए पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में कामयाब रही। जांच में सामने आया कि ये कवर इंदौर के एक बाजार से ब्लास्ट के कुछ दिन पहले खरीदे गए थे। 29 जुलाई, 2010 को यह मामला NIA के हवाले कर दिया गया उसके बाद  NIA ने 20 जून, 2011 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की।

NIA के मुताबिक, आरोपियों ने कुछ मंदिरों पर हुए हमलों का बदला लेने के मकसद से समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट को अंजाम दिया था। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के सरकार के फैसले के बाद दोनों पड़ोसी देशों में तनाव बढ़ने से पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस और थार एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन बंद कर दिया था।

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