इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने विज्ञप्ति जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि वो अपने आरोपों को साबित करें या फिर माफी मांगें। एसोसिएशन ने मंगलवार को एक मीडिया विज्ञप्ति किया जिसमें उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उन आरोपों को साबित करें या माफी मांगें।
डॉक्टरों के शीर्ष संगठन ने कहा, ”मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान में कहा है कि शीर्ष फार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं। अगर प्रधानमंत्री ने ऐसा कहा है तो आईएमए इस पर कड़ी आपत्ति जताता है।” दरअसल, प्रधानमंत्री ने शीर्ष फार्मा कंपनियों के साथ हुई एक बैठक में एथिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस का जिक्र किया था।
इसके आगे एसोसिएशन ने कहा, ”हम जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास उन कंपनियों की जानकारी थी जो डॉक्टरों को लड़कियां उपलब्ध कराती हैं, और अगर थी तो उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक में बुलाने के बजाय आपराधिक मामला दर्ज क्यों नहीं कराया गया।”
एसोसिएशन के विज्ञप्ति में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा और सेक्रेटरी जनरल डॉ. आरवी असोकन के हस्ताक्षर हैं। उसमें यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ऐसे डॉक्टरों के नाम भी जारी करे। साथ ही राज्यों की मेडिकल काउंसिल ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
एसोसिएशन का कहना है कि सरकार के तरफ से इस तरह के बयान देकर देश के गंभीर मसलों से ध्यान हटाने कोशिश कर रही है। सरकार इलाज और मेडिकल की पढ़ाई जैसे अहम मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है। संस्था ने कहा, “स्वास्थ्य को लेकर वर्तमान सरकार की सबसे अहम योजना ‘आयुष्मान भारत’ असरदार नहीं पाई गई है। इसका ज्यादातर इस्तेमाल सरकारी अस्पतालों में होता है, जहां इलाज पहले ही मुफ्त है। योजना के तहत अस्पताल को मिलने वाली रकम का 15% हिस्सा बीमा कंपनियां हड़प लेती हैं।”
बता दें कि पुणे की संस्था सपोर्ट फॉर एडवोकेसी एंड ट्रेनिंग टू हेल्थ इनीशिएटिव्स ने नवंबर महीने में अपनी एक स्टडी में दावा किया था कि डॉक्टर फार्मा कंपनियों से रिश्वत के तौर पर महंगी यात्राएं, टैबलेट, चांदी के सामान, सोने के गहने और पेट्रोल कार्ड तक लेते हैं।