बाॅलीवुड अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा की फिल्म ‘साइना’ सिनेमा घरों में रिलीज हो चुकी है। जानी-मानी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल के जीवन पर बनी इस बायोपिक में फैंस उन्हें काफी पसंद कर रहे हैं। फिल्म में परिणीति बिल्कुल साइना की तरह दिख भी रही हैं, जाहिर है इसके लिए एक्ट्रेस ने कड़ी मेहनत की है। फिल्म के लिए उन्होंने अपने लुक पर तो काम किया ही है, साथ ही साइना नेहवाल के साथ कड़ी ट्रेनिंग करते हुए उनके हाव भाव और अंदाज को भी खुद में उतारा है।
फिल्म के लिए प्रैक्टिस के दौरान उन्हें काफी चोटें भी लगीं, लेकिन फिर भी जीवट एक्ट्रेस ने हार नहीं मानी और फिल्म को पूरा किया। परिणीति चोपड़ा ने अब कुछ तस्वीरों और वीडियो का एक सेट सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसमें वह साइना की बायोपिक के लिए तैयारी करती नजर आ रही हैं। यह तस्वीरें उनकी मेहनत और लगन की गवाह हैं। एक्ट्रेस ने ‘बिहाइंड द सीन’ का एक वीडियो शेयर किया है। इससे पहले शेयर किए गए एक वीडियो में वह मूमेंट भी दिखा था जब परिणीति प्रैक्टिस के दौरान कोर्ट में ही रोने लगीं। जी-तोड़ मेहनत के आगे शायद उनके मन में फिल्म छोड़ने का ख्याल आ रहा था। हालांकि एक्ट्रेस ने हार नहीं मानी और इस फिल्म को पूरा किया। एक क्लिप में साइना के पीछे खड़े होकर बिल्कुल उसी अंदाज में परिणीति प्रैक्टिस कर रही हैं।
एक वीडियो में फिल्म को लेकर बात करते हुए परिणीति ने कहा था, ‘सच कहूं तो बैडमिंटन खेलना तो दूसरी बात थी, पहला था खुद के दिमाग को एक खिलाड़ी के तौर पर तैयार करना। जिसके लिए हमने बहुत ट्रेनिंग ली। मेरी ताकत, स्पीड, फिटनेस, परफाॅरमेंस सब पर बहुत ध्यान दिया गया।’ एक्ट्रेस ने आगे कहा था, ‘जब तक मैं असली गेम में उतरी तब तक मैं पहले ही बहुत थक चुकी थी। इसके बाद ऐसे भी दिन आए जब मैं बहुत रोई, ऐसा वक्त आया जब मुझे लगा अब ये फिल्म मैं नहीं कर सकती। तभी मेरे दिमाग में उन दर्शकों का ख्याल आया जो इस फिल्म को देखने जा रहे हैं, मैं उठकर फिर खड़ी हो गई। इस पूरी यात्रा में मेरी टीम ने मुझे बहुत सपोर्ट किया।’ ट्रेनिंग के दौरान परिणीति को गर्दन और पैर में काफी चोट भी लगी थी।
साइना नेहवाल ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। साइना ने अपने करियर की शुरुआत बहुत पहले ही कर दी थी, जब उन्होंने 2008 में बीडब्ल्यूएफ वल्र्ड जूनियर चैंपियनशिप जीती थी। उसी साल उन्होंने पहली बार ओलंपिक के लिए क्वालिफाई भी किया था, लेकिन लंदन 2012 में उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से दुनियाभर में प्रसिद्धि हासिल की। साइना नेहवाल ने आठ साल की उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था, जब उनका परिवार हरियाणा से हैदराबाद आ गया। वो खेल को ज्यादा महत्व देती थीं, क्योंकि वहां की स्थानीय भाषा से वो वाकिफ नहीं थीं और वो अपनी मां के सपने को आगे बढ़ाना चाहती थीं। बता दें कि साइना की मां एक स्टेट लेवल की बैडमिंटन खिलाड़ी थीं।
भारतीय शटलर ने इसे भी 2008 में बीजिंग ओलंपिक में भारत का सर्वोच्च स्तर पर प्रतिनिधित्व कर सफलतापूर्वक किया। ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी साइना नेहवाल बेशक क्वार्टर फाइनल में इंडोनेशिया की मारिया क्रिस्टिन युलियांटी से हार गई, लेकिन इससे पहले उन्होंने दुनिया की 5वें नंबर की खिलाड़ी और चैथी वरीयता प्राप्त हांगकांग की वांग चेन को हराया। 20 वर्षीय साइना नेहवाल सबके भरोसे पर खरी उतरीं, उन्हें 2009 में अर्जुन पुरस्कार और 2010 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ओलंपिक के क्वार्टर-फाइनल में पहुंचने के बाद साइना नेहवाल को वो आत्मविश्वास मिला, जिसकी उन्हें जरूरत थी, क्योंकि अगले दो वर्षों में उन्होंने बैडमिंटन जगत में धमाल मचा दिया, जहां उन्होंने बीडब्ल्यूएफ हांगकांग ओपन, सिंगापुर ओपन और इंडोनेशिया ओपन का खिताब जीता। 2011 के बेहतरीन साल के बाद, 22 वर्षीय साइना नेहवाल ने 2012 में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
चैथी वरीयता प्राप्त साइना नेहवाल ने 2012 के ओलंपिक में नीदरलैंड के जी याओ और डेनमार्क की टाइन बाउन को हराया और सेमीफाइनल तक पहुंची थीं, जहां उन्हें चीन की शीर्ष वरीयता प्राप्त वांग यिहान से हार का सामना करना पड़ा। बाद में साइना नेहवाल दूसरी वरीयता प्राप्त वांग झिन के खिलाफ चोट के कारण अपने प्ले आॅफ मैच के दूसरे गेम से बाहर हो गईं, जहां उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। तेजी से उभरती हुई इस भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने अगले तीन वर्षों में आॅस्ट्रेलियन ओपन, दो बार इंडिया ओपन और चाइना ओपन जीता, हालांकि प्रतिष्ठित आॅल इंग्लैंड ओपन उनके लिए अभी भी एक सपना है जिसे जीतना अभी बाकी है। 2015 में साइना नेहवाल आॅल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीतने के करीब पहुंच गई थीं, जब वो विमल कुमार के कोचिंग में टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची थी।
हालांकि साइना नेहवाल को संघर्ष पूर्ण मैच में कैरोलिना मारिन से हार का सामना करना पड़ा था। 2015 ऐसा साल था जब वो दुनिया की महिलाओं के एकल में नंबर वन खिलाड़ी बनीं, इस उपलब्धि को पहले किसी भारतीय ने हासिल नहीं किया था। बाद में भारतीय बैडमिंटन स्टार अपने पुराने कोच पुलेला गोपीचंद के पास फिर से लौट आईं। नतीजतन, साइना नेहवाल ने 2010 में अपना पहला काॅमनवेल्थ गेम का खिताब जीतने के आठ साल बाद, 2018 में अपना दूसरा राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीता। 30 वर्षीय साइना नेहवाल पिछले कई सालों से चोट से गुजर रही हैं, जिसके बाद हाल ही में पीवी सिंधु भारत की शीर्ष क्रम की बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में उभरी हैं। साइना नेहवाल टोक्यो ओलंपिक क्वालिफिकेशन के लिए संघर्ष कर रही थीं, जब कोरोना वायरस महामारी के कारण सभी खेल आयोजनों पर रोक लगा दी गई थी।
हालांकि अब क्वालिफिकेशन की अवधि की कट-आॅफ तारीख बढ़ा दी गई है। ऐसे में साइना नेहवाल इसी साल होने वाले ओलंपिक में अंतिम बार खेलते हुए नजर आ सकती हैं। भारतीय पुरुष एकल खिलाड़ी और साइना नेहवाल के पति पारुपल्ली कश्यप, किदांबी श्रीकांत के साथ ओलंपिक में जगह बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। अब तक, बी साई प्रणीत एकमात्र भारतीय पुरुष शटलर हैं, जिन्होंने मार्च में बीडब्ल्यूएफ विश्व रैंकिंग के बाद टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। अपने 12 साल के बैडमिंटन करियर में साइना ने 24 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं, जिनमें से ग्यारह सुपर सीरीज खिताब हैं। वो ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और विश्व जूनियर चैंपियनशिप-बीडब्ल्यूएफ के प्रत्येक इवेंट में कम से कम एक पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय हैं।