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नौकरी का लालच दे जबरन उतारा युद्ध में

रूस -यूक्रेन युद्ध के बीच भारतीय आम नागरिक भी अपनी जान गवां रहे हैं। लगातार एक के बाद ऐसी कई खबरें आयी है जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय युवाओं को रूस में अच्छी नौकरी का लोभ देकर उन्हें जबरन युद्ध के मैदान में उतारा जा रहा है। जिससे इन युवाओं की जान पर बन आई है। केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा नौकरी का लोभ देने वाले इस रैकेट का पर्दाफाश किया गया है। रूस -यूक्रेन युद्ध में उतारे गए इन लोगों का वापिस आना मुश्किल हो गया है। अच्छी नौकरी और सैलरी की तलाश में रूस गए कई भरतीय युवाओं को नौकरी देने की बजाय जबरन युद्ध में उतारा गया । उन्हें रूस की ओर से जंग में लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

खबरों अनुसार ऐसे कई भारतीय हैं जिन्हे अच्छी नौकरी लगवाने का हवाला दिया गया था लेकिन आज वो रुस की और जंग के मैदान में है। हैदराबाद के मोहम्मद असफान रूसी सेना में बतौर सहायक काम करने के लिए गए थे ,लेकिन उनके परिवार ने कभी यह नहीं सोचा था कि वह यूक्रेन युद्ध में लड़ेंगे। वहीं असफान उन कई भारतियों में से है जिनके रिश्तेदारों का दावा है कि आकर्षक नौकरी के अवसरों का लालच देकर रूस बुलाया गया था, लेकिन उन्हें अपनी इच्छा के खिलाफ रूस की तरफ से लड़ने के लिए मोर्चे पर जाने को मजबूर होना पड़ा। ऐसे ही मामलों को लेकर हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा कहा गया है कि ऐसे हर मामले को “मजबूती के साथ से उठाया गया” है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 29 फरवरी को कहा कि “हमारी जानकारी में लगभग 20 लोग वहां फंसे हुए हैं, पूरी कोशिश की जा रही है कि उन्हें सेवा मुक्ति मिल जाए ,इसके लिए हम दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह पर रूसी अधिकारियों से संपर्क में हैं।

यूट्यूब माध्यम से फंसे भारतीय युवा

 

असफान ने यूट्यूब पर एक वीडियो देखी थी। जिसमें रूस में नौकरी और 6 महीने बाद वहां की नागरिकता का वादा किया गया था। जिसे देख असफान इस जाल में फंस गए। डी डब्लू की रिपोर्ट अनुसार असफान हैदराबाद में एक कपड़े की दुकान पर मैनेजर थे । उनके परिवार में पत्नी और उनके दो बच्चे हैं जिनकी उम्र दो साल से भी कम है। असफान के भाई इमरान ने कहा कि उसने हमें यूक्रेन बॉर्डर से फोन करके बताया कि उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है और उसे लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उसने मदद मांगी लेकिन तब तक वह फंस चुका था। रूस में भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट जारी कर कहा कि असफान के शव को भारत लाने की कोशिश की जा रही है।

इसी तरह एक अन्य मामला गुजरात का भी है। एक और यूट्यूब वीडियो ने गुजरात के हेमिल मंगुकिया को पिछले वर्ष के अंतिम महीने में रूस जाने का लालच दिया। 23 वर्षीय हेमिल मंगुकिया की मौत 21 फरवरी को एक मिसाइल हमले में हो गई थी। हेमिल के पिता ने कहा, “हेमिल को बताया गया था कि वह सेना में सहायक के रूप में काम करेगा और उसे तीन महीने तक प्रशिक्षित किया जाएगा, लेकिन रूस पहुंचने के बाद उसे अहसास हुआ कि उसे लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। हेमिल के परिवार को उसकी की मौत की खबर उसके मरने के दो दिन बाद यानी 23 फरवरी को मिली। हेमिल साथ लड़ने वाले एक और भारतीय ने उसके परिवार को फ़ोन करके बताया कि उसकी मौत हो चुकी है। हेमिल के पिता ने कहा कि हम अभी भी उसके शव के आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि हम उसका अंतिम संस्कार कर सकें।

इसके अलावा सोशल मीडिया पर सात ऐसे और लोगों के वीडियो वायरल हो रहे हैं जो भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, वे रूस से लौटना चाहते हैं। ये लोग पर्यटक वीजा पर रूस गए थे। वहां उन्हें सेना में भर्ती होने के लिए मजबूर किया गया और ऐसा नहीं करने पर उन्हें 10 साल की सजा तक हो सकती है ऐसा कहा गया । गौरतलब है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यूरोप के सबसे खूनी युद्ध में फरवरी 2022 में रूस द्वारा पड़ोसी यूक्रेन पर हमला करने के बाद से दोनों पक्षों के हजारों सैनिक मारे गए हैं।

 

सीबीआई ने किया पर्दाफास

 

इसी बीच सीबीआई ने नौकरी के नाम पर रूस की सेना में शामिल कराने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है। सात मार्च को केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दिल्ली समेत देश के सात शहरों में छापेमारी की गई है। सीबीआई ने जांच के दौरान दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै, चेन्नई में 13 स्थानों पर तलाशी ली है। खबरों अनुसार विदेश भेजे गए पीड़ितों के कम से कम 35 मामलों की पहचान की गई है। ये तस्कर एक संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहे थे, जो यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से और अपने स्थानीय संपर्कों या एजेंटों के माध्यम से भारतीय नागरिकों को रूस में “उच्च वेतन वाली नौकरियों” के लिए लुभा रहे थे।

एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी के कहने अनुसार तस्करी किए गए भारतीय नागरिकों को युद्धक भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया और उनकी इच्छा के खिलाफ युद्ध क्षेत्र में अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया, जिससे उनकी जान खतरे में पड़ गई। 6 मार्च को निजी वीजा कंसल्टेंसी फर्मों, एजेंटों और अन्य लोगों के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया था, जो बेहतर रोजगार और उच्च वेतन वाली नौकरियों की आड़ में भारतीय नागरिकों को रूस में तस्करी करने में लगे हुए पाए गए। यह रैकेट कई राज्यों में फैला हुआ था। जांच में अबतक 50 लाख रुपये से अधिक की नकदी, आपत्तिजनक दस्तावेज और लैपटॉप, मोबाइल फोन और डेस्कटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को जब्त किया गया है।

 

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