बंदूक का जवाब गोली से देने का दावा करने वाले प्रदेश पुलिस के मुखिया अभिनव कुमार ने अपराधियों का सफाया करने की ठानी है। तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार के नेतृत्व में उत्तराखण्ड पुलिस बदमाशों को उन्हीं की भाषा में जवाब देती नजर भी आई है। वह डेरा प्रमुख हत्याकांड के आरोपी हों या फिर हरिद्वार का श्री बालाजी ज्वेलर्स डकैती कांड। बदमाशों को हरिद्वार पुलिस द्वारा मुठभेड़ में ढेर कर संदेश दिया है कि अपराधियों के लिए उत्तराखण्ड में कोई जगह नहीं है
उत्तराखण्ड पुलिस के मुखिया अभिनव कुमार की उम्मीद पर आखिरकार हरिद्वार पुलिस खरी उतरी। हरिद्वार के चर्चित डकैती कांड में शामिल एक लाख रुपए के इनामी बदमाश को ढेर कर पुलिस जहां एक ओर अपनी साख बचाने में सफल हुई तो वहीं दूसरी तरफ वह व्यापारियों को भी सुरक्षा का भरोसा देने में कायमयाब रही।
गत् 1 सितंबर 2024 को दिन-दहाड़े धर्म नगरी हरिद्वार में शहर के बीचों बीच बाइक सवार पांच डकैतों ने बालाजी ज्वेलर्स में 5 करोड़ की डकैती डालकर कानून व्यवस्था को सीधे-सीधे चुनौती दे डाली थी। जिससे धर्मनगरी की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए थे। डकैतों के इस दुस्साहस से धमनगरी में भय व्याप्त हो गया था। यह दूसरा मौका था जब शहर के बीचों-बीच डकैती को अंजाम दिया गया। बदमाशों को किसी का खौफ नहीं था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि डकैती डालने के बाद पांचों बदमाश शहर के बीचों-बीच से बिना चेहरा ढके फरार हुए।
जानकारी के अनुसार 1 सितम्बर को रविवार का दिन होने के चलते हरिद्वार में अच्छी खासी चहल-पहल थी। इसी दौरान श्री बालाजी ज्वेलर्स शोरूम में ग्राहक बनकर घुसे डकैतों ने दुकान मालिक को गन प्वाइंट पर लेते हुए कर्मचारियों की आंखों में मिर्च स्प्रे पाउडर डाल दिया। डकैतों ने आतंक फैलाने के लिए दुकान के अंदर फायर भी किए जिससे शोरूम में दहशत का माहौल बन गया। डकैत 15 से 20 मिनट के अंदर बड़े आराम से डकैती डालकर फरार होने में कामयाब हो गए। घटना के बाद सत्ताधारी दल हो या विपक्षी पार्टियां एकाएक सबके निशाने पर हरिद्वार पुलिस आ गई। घटना के अगले दिन से ही सभी राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं, समाजसेवियों तथा संत समाज से जुड़े लोगों ने शहर में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिए थे।
पुलिस-प्रशासन की नाकामयाबी पर जमकर हल्ला हुआ। आक्रोश कम राजनीति ज्यादा देखने को मिली। इसका एक उदाहरण तब देखने को मिला जब तेज बारिश होने के बावजूद कांग्रेसी तथा उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री साथियों के साथ धरने पर छाता लगाकर बैठे। जिले का अधिकतर फोर्स इस कांड के खुलासे में जुट गया। पुलिस के सामने एक तरफ तो राजनीतिक स्टंटबाजी थी तो दूसरी तरफ खुलासे का दबाव। बताते चलें कि धर्मनगरी में इस तरह की घटना का यह पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी 2003 में शहर के बीचों-बीच स्थित रेलवे स्टेशन के ठीक सामने इलाहाबाद बैंक में भी डकैती डाली गई थी। इसके अलावा 2011 में कनखल सराफा बाजार स्थित आशीष ज्वेलर्स के यहां रात में दीवार में सेंध लगाते हुए लाखों की डकैती को अंजाम दिया गया। 2015 में कनखल सराफा बाजार स्थित पद्मिनी ज्वेलर्स के स्वामी प्रदीप शर्मा और उनके पुत्र के साथ घर जाते समय लूटपाट का असफल प्रयास किया गया था और कारोबारी पर गोलियां बरसाकर घायल कर दिया। उनके पुत्र तथा साहसी राजन शर्मा ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से सामना करते हुए डकैतों के मंसूबों पर पानी फेर दिया था।
हरिद्वार पुलिस ने आखिरकार घटना में शामिल एक डकैत को 15 सितम्बर की रात बहादराबाद थाना क्षेत्र में मुठभेड़ में मार गिराया। साथ ही दो डकैतों को गिरफ्तार कर 50 लाख रुपए से अधिक का सामान बरामद कर लिया गया। इसके अलावा दो डकैतों को जल्द ही गिरफ्तार करने का दावा भी प्रदेश पुलिस के मुखिया अभिनव कुमार ने किया है। हालांकि एक डकैत को मारकर दो डकैतों को गिरफ्तार करने का दावा करने वाली पुलिस की यह कहानी लोगों के गले नहीं उतर रही है। इस मुठभेड़ को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की पोस्ट लिखकर आमजन अपने दिल की भड़ास भी निकाल रहा है। लेकिन यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिस प्रकार इस घटना को लेकर हरिद्वार में राजनीति हुई है इससे बड़े-बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं? सबसे बड़ा सवाल तो यह उठ रहा है कि जब हरिद्वार पुलिस प्रदेश की एसटीएफ के साथ अलग-अलग राज्यों में डकैतों की तलाश में दबिश दे रही थी तो ऐसे में आरोपी बदमाश हरिद्वार के ज्वालापुर में क्यों आया? वह भी तब जब पुलिस चप्पे-चप्पे पर उनकी तलाश कर रही थी। इस प्रकार पुलिस की राजनीतिक स्टंटबाजी किसी के गले नहीं उतर रही है। जिसको लेकर हरिद्वार की राजनीति में विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं। कुछ लोगों ने इस घटना को राजनीति का केंद्र बना दिया। पुलिस के खिलाफ एक अलग ही माहौल बनता नजर आया।
लूट कांड के बहाने चेहरा चमकाने की राजनीति
डकैती घटना का पर्दाफास किए जाने के सम्बंध में हरिद्वार पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल लगातार पुलिस टीमों से अपडेट लेकर निर्देश देते रहे तो वहीं दूसरी ओर एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह पुलिस टीमों के बीच कोआर्डिनेशन बनाए हुए थे। पीड़ित व्यापारी भी इस भाग दौड़ से वाकिफ थे और पुलिस की इस मशक्कत की जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक को थी। लेकिन हरिद्वार में मेयर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कुछ नेताओं के बीच अलग ही नूराकुश्ती चलती रही। अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे तो नेताओं द्वारा उनके साथ बातचीत करते हुए फोटो फेसबुक पर अपलोड करना शामिल रहा है। स्थानीय राजनीति में चेहरा चमकाने के लिए कई भाजपा नेता अपनी ही सरकार की व्यवस्था पर सवाल खड़े करने से नहीं चुके हैं। नेताओं में खुद को व्यापारियों का मसीहा साबित करने की होड़ लगी रही।