अगले साल यानी कुछ ही महीनों के भीतर पंजाब सहित पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने कमर कस ली है। लेकिन चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के भीतर आतंरिक कलह के चलते पार्टी में टूट का सिलसिला जारी है। हाल ही में पंजाब में उठापटक के बाद वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के तेवर कांग्रेस आलाकमान के लिए बड़ी परेशानी का कारण बनते नजर आ रहे हैं। अमरिंदर सिंह को बगैर किसी बगावत राज्य की सत्ता से बेदखल करने में सफल जरूर रहा ,पार्टी नेतृत्व अब कैप्टन के सियासी दांव-पेंचों के कारण बैकफुट पर है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस को दिया दोहरा झटका
पंजाब में सीएम पद से इस्तीफा देते ही कांग्रेस छोड़ने का ऐलान करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब कांग्रेस को दोहरा झटका देने का फैसला लिया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया और साथ ही किसान आंदोलन का हल निकलने की सूरत में भाजपा के साथ गठबंधन की भी बात कही है। फिलहाल किसान आंदोलन जिस जटिल मोड़ पर पहुंच गया है, उसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयान से यह संकेत जरूर मिलते हैं कि केंद्र सरकार उनके जरिए अंदरखाने किसान आंदोलन खत्म कराने के लिए प्रयास कर रही है।

किसान आंदोलन
किसान आंदोलन का यदि कोई हल निकलता है तो यह भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इस एक मामले पर ही दोनों की राजनीति भी टिकी हुई है। किसान आंदोलन यदि इसी तरह जारी रहता है तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए भाजपा के साथ जाना मुश्किल भरा कदम भी हो सकता है। भाजपा का राज्य में जिस तरह का विरोध है, उसका खामियाजा सीधे तौर पर कैप्टन को भी भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में यह भाजपा और कैप्टन, दोनों के ही हित में होगा कि पंजाब में चुनाव से पहले किसान आंदोलन का कोई समाधान निकल आए।
हाल ही में केंद्र सरकार ने सीमांत राज्यों में बीएसएफ के क्षेत्राधिकार के दायरे को 10 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक कर दिया है। इसका पंजाब में भी विरोध हो रहा है। कांग्रेस ने इसे लेकर आरोप लगाया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की सलाह पर ही केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। भले ही कैप्टन अमरिंदर और भाजपा के बीच अंदरखाने कोई सहमति हो, लेकिन खुलकर साथ आने का जोखिम फिलहाल नहीं लिया जा सकता। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर यदि यह कहते हैं कि किसान आंदोलन का हल निकलने पर वह भाजपा के साथ जा सकते हैं तो फिर इसके मायने हैं। यह संभव है किपांच राज्यों में चुनाव से पहले कोई हल निकल आए।
दरअसल , कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के साथ लंबे समय से मतभेद और प्रदेश कांग्रेस में अंदरुनी लड़ाई के बाद अमरिंदर ने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था। पार्टी ने उनके स्थान पर चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाया है। इस दौरान अब अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘पंजाब के भविष्य को लेकर लड़ाई जारी है। मैं जल्द ही अपनी राजनीतिक पार्टी के गठन की घोषणा करूंगा, ताकि पंजाब और उसके लोगों के साथ ही पिछले एक साल से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे किसानों के हितों के लिए काम किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि ‘मैं अपने लोगों और अपने राज्य’ का भविष्य सुरक्षित बनाने तक चैन की सांस नहीं लूंगा ।
अमरिंदर के मीडिया सलाहकार के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘पंजाब को राजनीतिक स्थिरता और आंतरिक तथा बाहरी खतरों से सुरक्षा की जरुरत है। मैं अपने लोगों से वादा करता हूं कि शांति और सुरक्षा के लिए जो भी करना होगा मैं करूंगा, क्योंकि फिलहाल दोनों खतरे में है। सिंह ने कहा, ‘अगर किसान आंदोलन का समाधान किसानों के हित में होता है तो 2022 के पंजाब विधानसभा में भाजपा के साथ गठबंधन करने को भी तैयार हूं। इसके अलावा समान विचार रखने वाली पार्टियों के साथ समझौते के बारे में भी विचार कर रहे हैं। जैसे अकाली दल से टूट कर अलग हुए समूह, खासतौर से ढिंढसा और ब्रह्मपुरा समूह।

