- के.एस. असवाल
39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल (दक्षिण कोरिया) में पहली बार एक उत्तराखण्ड में बनी एक फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर होने जा रहा है। ‘पताल-ती’ (होली- वाटर) दुनियाभर के 2548 फिल्मों में से चुनी गई 14 शॉर्ट फिल्मों में से एक है। यह फिल्म भोटिया जनजाति की एक लोककथा पर आधारित है। बुसान के प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में चयन के बाद इसे ऑस्कर के लिए नामित होने की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। स्टूडियो यूके 13 की टीम ने फिल्म का निर्माण किया है और फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में ध्वनि संयोजन ऑस्कर विजेता रेसुल पूकुट्टी (स्लमडॉग मिलियनेयर), एडिटिंग संयुक्ता काजा (तुम्बाड़ वेबसीरीज) और पूजा पिल्लै (पाताल लोक) एवं रंग संयोजन ईरान के हामिद रेजाफातोरेचिअन ने किया है। फिल्म की शूटिंग रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद के कई स्थानों पर की गई है। फिल्म के निर्माता-निर्देशक संतोष सिंह रावत एवं मुकुंद नारायण ने इस फिल्म में हिमालय के एक गांव के जीवन को दर्शाया है। इस फिल्म के लिए टीम ने 20 दिनों में 4500 मीटर की ऊंचाई तक हिमालय में 300 किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्राएं की हैं।
यह फिल्म भोटिया जनजाति की लोक कथा पर आधारित है, जिसमें किशोरावस्था की तरफ बढ़ रहा एक लड़का अपने मरणासन्न दादाजी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए भूत और भौतिक के बीच की दूरी को नापता है। इस दौरान प्रकृति और जीवन के बीच संघर्ष इस फिल्म को मानवीय पक्ष से और भी संवेदनशील और भावपूर्ण बना देता है। फिल्म में प्राकृतिक रोशनी, कैमरे और कलाकारों की नाम मात्र के संवादों में की गई अदाकारी इसे और भी खास बना देती है। यही कारण है कि इस फिल्म को 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शार्ट फिल्म फेस्टिवल (दक्षिण कोरिया) में प्रीमियर के लिए चुना गया है। इस फिल्म में आयुष रावत, धन सिंह राणा, कमला कुंवर, भगत सिंह बुरफाल ने प्रमुख भूमिका निभाई है। फिल्म के एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला एवं सत्यार्थ प्रकाश शर्मा हैं, जबकि फिल्म का फिल्मांकन बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला ने किया है। फिल्म निर्माण के लिए व्यवस्थाएं बनाने और समन्वय स्थापित करने में एसोसिएट प्रोड्यूसर गोरणा गांव के रजत बड़थ्वाल ने भी बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला बताते हैं कि ‘पताल-ती’ फिल्म ने लोक भाषा के साथ कला को नई पहचान देने का काम किया है। साथ ही नई पीढ़ी के कलाकारों की प्रतिभा को मंच देने में अहम रोल अदा किया है। इस फिल्म के माध्यम से उत्तराखण्ड में फिल्म निर्माण की दिशा में भी नए अवसर प्रदान होंगे। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में फिल्म को और अधिक लोकप्रियता मिलेगी और इस फेस्टिवल में चयन के बाद ऑक्सर के लिए नामित होने की उम्मीद भी बढ़ गई है।
इस पूरी फिल्म निर्माण की एक खास बात यह भी रही कि इस पूरी टीम में सिर्फ दो-तीन लोग ही फिल्म निर्माण के क्षेत्र से सीधे जुड़े हुए हैं, बाकी पूरी टीम ग्रामीण परिवेश से हैं या फिर फिल्म निर्माण के क्षेत्र में पहली बार कदम रख रहे हैं। इस सबके बावजूद पूरी टीम के जज्बे और जुनून ने एक शानदार उपलब्धि हासिल की है। यह इस बात को भी स्पष्ट करती है कि यदि किसी कहानी और उसके प्रस्तुतिकरण से न्याय किया जाए तो वो क्षेत्र और भाषा की सीमाओं को तोड़ देती है।यह बात इससे भी साबित होती है कि अंत में साउंड और एडिटिंग के लिए बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियों ने भी इसके पोस्ट प्रोडक्शन में अपना सहर्ष सहयोग दिया। फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय प्रदेश के लिए यह भी एक बड़ी उपलब्धि है। यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड की यह फिल्म यदि बुसान में पहला स्थान बना पाने में सफल होती है तो विश्वस्तरीय अन्य नामचीन फिल्म फेस्टिवल और प्रतियोगिताओं में इसे स्वतः ही प्रवेश मिल जाएगा जिनमें स्पेन देश के प्रसिद्ध अवार्ड-प्रेमिओस गोया (अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज ऑफ स्पेन), कनाडा देश का प्रसिद्ध अवार्ड-कैनेडियन स्क्रीन अवार्ड्स (अकादमी ऑफ कैनेडियन सिनेमा एंड टेलीविजन) यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटैन का प्रसिद्ध अवार्ड-बाफ्टा (ब्रिटिश अकादमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन आर्ट्स) अकादमी अवार्ड्स -ऑस्कर (अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज) प्रमुख नाम शामिल हैं।