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अलविदा कह गए ट्वेंटी-20 के ट्वेंटी सेलिब्रिटी

जनार्दन कुमार सिंह

 

जिंदगी के सफर में साल 2020 का अनुभव हम सबके लिए बहुत ही खराब रहा। दिसंबर 2019 में आई कोविड-19 नाम की यह महामारी बहुत ही खतरनाक और घातक साबित हुई। कुछ तो इससे जैसे-तैसे उबर गए तो कुछ जूझ रहे हैं और कुछ को तो यह लील गया। आगे न जाने कब तक इससे जूझना पड़े। कुछ ऐसा ही अनुभव बी-टाउन यानी बालीवुड का रहा। इससे कई अभिनेता-अभिनेत्रियों ने सफर किया जिसमें कई प्रमुख नाम शामिल हैं। जैसे सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, एश्वर्या राय बच्चन और बेटी अराध्या के साथ ही वरुण धवन, जेनेलिया डिसूजा, अनुपम खेर के भाई राजू खेर, अर्जुन कपूर, नीतू कपूर, राकुल प्रीत सिंह, पूरब कोहली, करीम मोरानी और सिंगर कनिका के अलावा कई अन्य तो कई इस सफर में जिंदगी की जंग हार गए। इनमें मुख्य नाम हैं अभिनेत्री निम्मी, कुमकुम, इरफान खान, ऋषि कपूर, सुशांत सिंह राजपूत, जगदीप, वाजिद अली, सरोज खान, आशिफ बसरा, रवि पटवर्धन, हरीश शाह, रजत मुखर्जी और राहत इंदौरी।

तो चलिए सबसे पहले बात शुरू करते हैं अभिनेत्री निम्मी से। वह पिछले कई महीनों से बीमार चल रही थीं। मुंबई के सरला नर्सिंग होम में 25 मार्च को अंतिम सांस ली। निम्मी 16 साल की आयु से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। निम्मी को पहला ब्रेक राजकपूर ने फिल्म ‘बरसात’ में दिया था। 60-70 के दशक में वह काफी सक्रिय रहीं। उन्हें उस दौर की सबसे बेहतरीन अभिनेत्री माना जाता था। इनकी प्रमुख फिल्मों में ‘बरसात’, ‘दाग’, ‘दीदार’, ‘अमर’ आदि शामिल हैं। इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। निम्मी का जन्म 18 फरवरी 1933 को उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ था।

लॉकडाउन के दौरान ही 29 अप्रैल को जाने-माने अभिनेता इरफान खान का निधन हो गया। दो दिन पहले उन्हें कोलन इंफेक्शन के चलते मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। इरफान बॉलीवुड के पहले इंटरनेशनल अभिनेता रहे जिन्होंने ‘द वॉरियर’, ‘नेमसेक’, ‘स्लमडॉग मिलियेनेयर’ जैसी विदेशी फिल्मों में मुख्य किरदार निभाई थी। इसके अलावा ‘लाइफ ऑफ पाई’, ‘अंग्रेजी मीडियम’, ‘जुसिक वर्ल्ड’, ‘पान सिंह तोमर’ जैसी कई महत्वपूर्ण फिल्मों में अहम भूमिका निभाई। वे जिंदगी के आखिरी दिनों में भी फिल्म ‘द सॉन्ग ऑफ स्कॉर्पियंस’ पर काम कर रहे थे जो कि नए साल यानी 2021 की शुरुआत में रिलीज होनी है। बॉलीवुड की तीस से ज्यादा फिल्मों में वे काम कर चुके हैं। 2004 में सर्वश्रेष्ठ खलनायक के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिल चुका है। इरफान का जन्म 7 जनवरी 1967 को राजस्थान के टोंक में हुआ था।

इस वर्ष एक के बाद एक सितारों का जाना बॉलीवुड के लिए बहुत ही क्षतिपूर्ण रहा। 29 अप्रैल को इरफान खान तो 30 अप्रैल को चिंटूजी यानी कि ऋषि कपूर अलविदा कह गए। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें मुंबई के सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। ऋषि कपूर अभिनेता के साथ ही निर्माता-निर्देशक भी थे। पहली बार उन्होंने 1970 में पिता राजकपूर के फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में बाल कलाकार के रूप में काम किया। 1973 में आई फिल्म ‘बॉबी’ बतौर अभिनेता की। इसके अलावा ‘खेल खेल में’, ‘अमर अकबर एन्थोनी’, ‘सरगम’, ‘कर्ज’, ‘प्रेम रोग’, ‘सागर’, ‘नगीना’, ‘चांदनी’, ‘दिवाना’, ‘दो दूनी चार’, ‘अग्निपथ’, ‘कपूर एंड संस’… आदि फिल्में शामिल हैं। ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 को चेंबूर मुंबई में हुआ था।

बहुत कम उम्र में लोगों के दिलों में राज करने वाले मोहित बघेल का 23 मई को उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित आवास पर निधन हो गया। वह किडनी के कैंसर से ग्रसित थे। उनका इलाज नोएडा के एक अस्पताल में चल रहा था जहां से 14 मई को उन्हें कीमोथेरेपी हुई और दिल्ली में सर्जरी होनी थी। मात्र 27 साल की उम्र में ही चंद किरदारों के बल पर शोहरत हासिल कर ली थी। करियर की शुरुआत मोहित ने कॉमेडी शो ‘छोटे मियां’ से की। इसके बाद बॉलीवुड में डेब्यू 2011 में आई सलमान खान की फिल्म ‘रेड्डी’ में छोटे अमर चौधरी और ‘जय हो’ में काम किया। उन्हें फिल्म ‘उव्वा’ में जिमी शेरगिल, संजय मिश्रा, ओम पुरी के साथ भी मुख्य भूमिका में देखा गया। इसके अलावा ‘युवा’, ‘व्हेन ओबामा लव्ड ओसामा’, ‘मिलन टॉकीज’, ‘जबरिया जोड़ी’ सहित दर्जनों फिल्मों में काम किया। बाल्यावस्था में उन्होंने हास्य कलाकार के जरिए स्टेज शो पर धाक जमाई और कई टीवी शो में काम किया।

‘दो हंसो का जोड़ा बिछड़ गयो रे…’ इस गाने के बोल संगीत निर्देशक और संगीतकार साजिद अली और वाजिद अली की जोड़ी पर सटीक बैठता है जो बी-टाउन में साजिद-वाजिद के नाम से प्रसिद्ध हैं। वाजिद अली का 31 मई को मुंबई के सुवर्णा अस्पताल में निधन हो गया। दो महीने पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी किडनी ट्रांसप्लांट हुई थी। कोरोना संक्रमित भी थे। इसी दौरान दिल का दौरा पड़ने से वाजिद की मौत हुई। वाजिद अपने पीछे गानों के रूप में अपनी पहचान छोड़ गए हैं। सबसे पहले इन्होंने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ के लिए संगीत दिया। इन दोनों की जोड़ी ने बॉलीवुड को कई गाने दिए जो सुपरहिट रही जिसके लिए इन्हें 2011 में आई फिल्म ‘दबंग’ के संगीत के लिए फिल्म फेयर अवार्ड भी मिल चुका है। यही नहीं कई रियलिटी शो के जज रहे और इसके टाइटल सॉन्ग दिया। आईपीएल सीजन 4 के थीम सॉन्ग भी तैयार किए। इसके अलावा कई एल्बम जैसे ‘बाग़ी- न्यू’, ‘पार्टनर’, ‘दबंग’, ‘तेवर’ आदि बनाए। ‘सोनी दे नखरे’ (पार्टनर्स), ‘ताजदार-ए-हरम’ (सत्यमेव जयते), ‘तेरे बिना लगता नहीं’ (कल किसने देखा), ‘जलवा’ (वॉन्टेड), ‘हमका पीनी है’ (दबंग), ‘पाण्डेजी सीटी’ (दबंग 2), ‘धडंग-धडंग’ (राऊडी राठौड़), ‘जय हो सॉन्ग’ (जय हो), ‘बुलेट राजा टाइटल ट्रैक’ ( बुलेट राजा), ‘तू भी मूड में’ (ग्रैंड मस्ती), ‘एक था टाइगर’ (माशाअल्लाह) जैसी कई महत्वपूर्ण फिल्मों में संगीत दिया। वाजिद का जन्म 1977 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुआ।

हिंदी फिल्मों के निर्देशक-पटकथा लेखक बासु चटर्जी का 4 जून को निधन हो गया। वह 93 साल के थे। 70-80 के दशक में जय प्रकाश मेहरा, मनमोहन देसाई रमेश सिप्पी जैसे निर्देशकों का दौर था तब उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। कई फिल्में बनाई जिनमें प्रमुख हैं ‘रजनीगन्धा’, ‘छोटी सी बात’, ‘बातों बातों में’, ‘चितचोर’, ‘खट्टा मीठा’, ‘गुम हुई मिडिल क्लास आवाज’। आम आदमी की जिंदगी को सिल्वर स्क्रीन पर दिखाते थे। बासु चटर्जी ने देव आनंद, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी जैसे सितारों को भी जब अपनी फिल्मों में लिया, उन्हें साधारण किरदारों में ढाल दिया। राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के साथ भी फिल्में बनाईं, लेकिन किसी अभिनेता के पीछे भागने की आदत नहीं बनी। उन्होंने दूरदर्शन के लिए भी कई शोज बनाए।

इस कड़ी में एक नाम ऐसा भी आया जो सबसे ज्यादा मीडिया की सुर्खियों में रही और बिहार विधानसभा का चुनावी मुद्दा बना वह है अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मर्डर मिस्ट्री जो अब तक नहीं सुलझ पाई है। सुशांत 14 जून को अपने बांद्रा स्थित आवास पर मृत पाए गए। उनकी मौत की खबर ने सबको सन्न करके रख दिया था। सुशांत ऐसे अभिनेता रहे जिसका दूर-दूर तक बॉलीवुड से कोई नाता नहीं रहा उसने इतने कम समय में काफी प्रसिद्धि पा ली। 2013 में फिल्म ‘काइ पो चे’ और ‘धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ जैसी लोकप्रिय फिल्मों से दर्शकों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई। इसके अलावा एक छोटे से रोल में फिल्म ‘पीके’, ‘सोनचिड़िया’, ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी’, ‘चंदा मामा दूर के’, ‘ड्राइव’, ‘राब्ता’, ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘केदारनाथ’, ‘छिछोरे’ और अंत में उनके जाने के बाद रिलीज हुई ‘दिल बेचारा’ जो कि वाकई सुशांत की रीयल जिंदगी पर फिट बैठती है। राजपूत ने अपने करियर की शुरुआत छोटे पर्दे से की थी। उनका पहला शो स्टार प्लस का रोमांटिक ड्रामा ‘किस देश में है मेरा दिल’ था, इसके बाद आया जी टीवी के लोकप्रिय शो ‘पवित्र रिश्ता’ में उनकी मुख्य भूमिका थी। यहीं नहीं कई रियलिटी शो, धारावाहिक और सिने अवार्ड किया जिसके लिए जी सिने अवार्ड भी मिला। सुशांत का जन्म 21 जनवरी 1986 पटना बिहार में हुआ था।

वर्ष 1988 में आई फिल्म ‘तेजाब’ के गाने ‘एक-दो-तीन-चार-पांच-छह….’ के डांस ने माधुरी दीक्षित को सुपरहिट बनाया। इसके पीछे कोई और नहीं, बल्कि कोरियाग्राफर सरोज खान की मेहनत का फल है। 3 जुलाई को 71 वर्षीय सरोज खान का निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हो गया। वह 17 जून से बांद्रा स्थित गुरुनानक हॉस्पिटल में भर्ती थी। बॉलीवुड में ऐसा कोई स्टार नहीं जिसको सरोज खान ने डांस न सिखाया हो। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत बाल कलाकार के तौर पर महज 3 साल की उम्र में फिल्म ‘नजराना से की थी। जिसमें श्यामा नाम की बच्ची की भूमिका निभाई थी। 13 साल की उम्र से ही उन्होंने मास्टर बी सोहनलाल से डांस सिखना शुरू किया। नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार भी मिला। सरोज खान का असली नाम निर्मला नागपाल है। इनका जन्म 22 नवंबर 1948 में मुंबई में हुआ।

जाने-माने डायरेक्टर-प्रोड्यूसर हरीश शाह का 7 जुलाई को मुंबई में निधन हो गया। वे 76 वर्ष के थे। वह लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। शाह अपने करियर की शुरुआत आनंद दत्त की फिल्म ‘दिल और मोहब्बत’ से की थी। इसके बाद उन्होंने कई मुख्य फिल्में जैसे ‘काला सोना’, ‘मेरे जीवन साथी’, ‘राम तेरे कितने नाम’, ‘धन दौलत’, ‘जलजला’, ‘जाल द ट्रैप’ सहित कई फिल्में बनाई। वो पिछले चालीस सालों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय थे। हरीश शाह ने कैंसर पर आधारित शॉर्ट फिल्म ‘व्हाय मी’ प्रोड््यूस की थी। इसके लिए उन्हें प्रेसिडेंट अवार्ड भी मिला। हरीश शाह का जन्म 7 अक्टूबर 1943 को हुआ।

अपने जमाने के मशहूर कॉमेडियन जगदीप का 8 जुलाई को मुंबई में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। इनका पुरा नाम सैय्यद इश्तियाक अहमद जाफरी जगदीप है। जगदीप ने अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत बाल कलाकार के तौर पर पहली बार बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘अफसाना’ से की। उसके बाद केए अब्बास, विमल राय ने भी मौके दिए। रमेश शिप्पी निर्देशित 1975 में आई फिल्म ‘शोले’ का सूरमा भोपाली हमेशा से ही लोगों के दिलो-दिमाग में रहने वाला चरित्र है। आज भी लोग जगदीप को याद करते हैं तो सूरमा भोपाली के नाम से। सूरमा भोपाली का रोल इतना फेमस हुआ कि इसी नाम से खुद जगदीप ने एक फिल्म ‘सूरमा भोपाली’ के नाम से निर्देशित किया। इसके अलावा ‘अंदाज अपना अपना’, ‘दो बीघा जमीन’, ‘पुराना मन्दिर’, ‘फिर वही रात’, ‘कुर्बानी’, ‘शहनशाह’ आदि जैसी करीब ढाई सौ फिल्मों में काम किया। यही उन्होंने छोटे पर्दे पर भी नजर आए। बाद में कई टीवी शो जैसे ‘बूगी-बूगी’ आदि भी होस्ट किए। जगदीप का जन्म 29 मार्च 1939 को मध्य प्रदेश के दतिया में हुआ था।

मशहूर डायरेक्टर रजत मुखर्जी का 18 जुलाई को स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण जयपुर में निधन हो गया। हालांकि वह मुंबई में रहते हैं लेकिन लॉक्डाउन के चलते वे अपने शहर जयपुर चले गए थे जहां उनको अप्रैल से ही उनकी किडनी में कुछ परेशानी थी, जिसके चलते अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। इसके अलावा उनके फेफड़े में इन्फेक्शन भी था। मुखर्जी फिल्म ‘प्यार तूने क्या किया’, ‘रोड’, ‘लव इन नेपाल’ और ‘उम्मीद’ जैसी कई फिल्में डायरेक्ट की।

लंबे समय से बीमार की वजह से अभिनेत्री कुमकुम का 28 जुलाई को 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। कभी उनके बंगले का नाम भी कुमकुम हुआ करता था। बाद में उसे तोड़कर बिल्डिंग बना दिया गया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मैया तोहे पियारी चढाईबो’ से की। उसके बाद गुरुदत्त ने फिल्म ‘आर पार’ पार में एक गाने के लिए ब्रेक दिया। बाद में ‘प्यासा’ में भी छोटा-सा रोल दिया। इसके बाद उन्होंने ‘मिस्टर एक्स इन बॉम्बे’, ‘मदर इंडिया’, ‘सन ऑफ इंडिया’, ‘कोहिनूर’, ‘उजाला’, ‘नया दौर’, ‘श्रीमान फंटूश’, ‘एक सपेरा, एक लुटेरा’ सहित लगभग 115 फिल्मों में शानदार अभिनय किया। इन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का अवार्ड में मिला। कुमकुम का जन्म 22 अप्रैल 1934 को बिहार के शेखपुरा में हुआ। कुमकुम का असली नाम जैबुनिशा है।

उर्दू शायर और गीतकार राहत इन्दौरी का 11 अगस्त को इन्दौर में निधन हो गया। वे कोरोना से संक्रकित थे, इसी दौरान उनकी कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। वे 70 वर्ष के थे। शायरी के साथ-साथ देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इन्दौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रहे। कई विधाओं में उन्होंने गजल, नज्म और गीत लिखे। अपने करियम की शुरुआत उन्होंने मुशायरे से की। बाद में पत्र-पत्रिकाओं में शायरी लिखना शुरू किया। बॉलीवुड के लिए दर्जनों प्रसिद्ध गीत लिखे। जिसमें एक ऐसा है जो बच्चे-बच्चे के जुवान पर है ‘बुलाती है पर जाने का नइ’। इन्दौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इन्दौर में हुआ।

पचास वर्षीय बॉलीवुड निर्देशक निशिकांत कामत का 17 अगस्त को हैदराबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले 18 दिन से बुखार और थकान की शिकायत के चलते अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें दो साल से लिवर सिरोसिस की शिकायत थी। इस कारण एंटीबायोटिक के साथ-साथ दूसरी दवाइयां दिया जा रहा था जिससे उनकी तबियत में कुछ सुधार हो रहा था लेकिन धीरे-धीरे लिवर खराब होता गया। कामत की पहली मराठी फिल्म ‘डोंबिवली फास्ट’ को दर्शकों ने खूब सराहा। इसके अलावा कई हिन्दी फिल्में भी निर्देशित की जिसमें ‘दृश्यम’, ‘रॉकी हेंडसम’, ‘मदारी’, ‘मुंबई मेरी जान’ शामिल है। मराठी फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। कामत का जन्म 17 जून 1970 को दादर महाराष्ट्र में हुआ था।

अभिनेत्री अशलता वबगांवकर का निधन 22 सितंबर को सतारा मुंबई में हुई। सतारा में वह अपनी मराठी सीरियल की शूटिंग के लिए पहुंची थी जहां उनका कोरोना टेस्ट हुआ जिसमें पॉजिटिव पाई गई। कोरोना से संक्रमित पाए जाने के बाद सतारा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अशलता सौ से अधिक मराठी और हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। बॉलीवुड में आशालता बासु चटर्जी की फिल्म ‘अपने पराए’ से चर्चा में आईं थी। इस फिल्म के लिए उन्हें सह कलाकार का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला। उन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘जंजीर’ में भी काम किया, जिसमें अमिताभ की सौतेली मां का किरदार निभाया था। इसके अलाव ‘अंकुश’, ‘वो सात दिन’, ‘नमक हलाल’, ‘यादों की कसम’, ‘आहिस्ता’ और ‘शौकिन’ जैसे कई फिल्मों में काम किए। यही नहीं मराठी फिल्मों में गाना भी गया है। अशलता का जन्म 2 जुलाई 1941 को गोवा में हुआ था।

निर्देशक अनिल देवगन का 5 अक्टूबर को निधन हो गया। 45 वर्षीय अनिल कैंसर से पीड़ित थे। आप यही सोच रहे हैं न कि अनिल देवगन कहीं वीरू देवगन के बेटे और अजय देवगन के भाई तो नहीं। जी हां, आपने बिल्कुल सही समझा। अनिल 196 में आई फिल्म ‘जीत’ से बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर अपने करियर की शुरुआत की। बाद में ‘जान’, ‘प्यार तो हाना ही था’, ‘इतिहास’ और ‘हिंदुस्तान की कसम’ में बतौर असिस्टेंट काम किया। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘राजू चाचा’, ‘ब्लैकमेल’ और ‘हाल-ए-दिल’ निर्देशित की। यही नहीं ‘सन ऑफ सरदार’ के लिए क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर काम किया। अनिल का जन्म 27 जून 1975 को मुंबई में हुआ था।

अभिनेता आसिफ बसरा का 12 नवंबर को निधन हो गया। वह पिछले पांच साल से हिमाचल के कांगड़ा में विदेशी महिला मित्र के साथ रह रहे थे। वहीं उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जाता है कि वे काफी दिनों से डिप्रेशन में थे। बसरा जाने-माने टीवी एक्टर थे। कई धारावाहिक, वेब सीरीज और फिल्मों नजर आए।। आसिफ ‘हिचकी’, ‘काय पो छे’, ‘पाताल लोक’, ‘होस्टेजेस’, ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ में भी दिखे। इसके अलावा ‘आउटसोर्स्ड’, ‘जब वी मेट’, ‘हिचकी’ और ‘परज़ानिया’ आदि फिल्मों में देखा गया। बसरा का जन्म अमरावती मुंबई में 27 जुलाई 1967 को हुआ था।

जाने-माने अभिनेता रवि पटवर्धन का 6 दिसंबर के दिन दुनिया को अलविदा कह गए। निधन का कारण हार्ट अटैक बताया जाता है। सांस लेने में तकलीफ की वजह से उन्हें मुंबई के ज्यूपिटर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 84 वर्ष के थे। बॉलीवुड में रवि पटवर्धन का नाम जाना-पहचाना है। इन्होंने छोटे पर्दे से लेकर मराठी फिल्मों के साथ ही बॉलीवुड की ‘तेजाब’, ‘अंकुश’ और ‘यशवंत’ जैसी कई चर्चित फिल्मों में भी काम किया है। पटवर्धन का जन्म 6 सितंबर 1937 को हुआ।

विश्व प्रसिद्ध भारतीय समकालीन नर्तक और मशहूर कोरियोग्राफर अस्ताद देबू का 73 वर्ष की आयु में 10 दिसंबर को मुंबई स्थित घर में निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। वे अपनी कला के प्रति एक अटूट समर्पण रखते थे। अपने पीछे अविस्मरणीय प्रदर्शनों की एक शानदार विरासत छोड़ गए हैं जिसे उनके प्रशंसकों ने काफी सराहा है। उन्होंने कथक के साथ-साथ कथकली के भारतीय शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा ली और फिर भारत में आधुनिक नृत्य के प्रणेता बने। जिसके लिए उन्हें 1995 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। अस्ताद देबू का जन्म 13 जुलाई 1947 में गुजरात के नवसारी में हुआ था।

वर्ष 2011 में आई फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ में विद्या बालन के साथ शकीला का रोल कर चुकी आर्या बनर्जी का 11 दिसंबर को कोलकाता में निधन हो गया। 33 वर्षीय आर्या की रहस्यमयी मौत ने सबको हिला कर रख दिया है। आर्या की मौत को भी लोगों ने सुशांत सिंह राजपूत की तरह मर्डर का भी नाम दिया था, मगर अब ऑटोप्सी रिपोर्ट ने सब खुलासा कर दिया है। डॉक्टर्स ने खुलासा किया है कि आर्या के पेट में करीब दो लीटर शराब मिली है जिससे कार्डियक अरेस्ट होने की संभावना है। इन्होंने ‘डर्टी पिक्चर’ के अलावा ‘लव सेक्स और धोखा’ एवं ‘बकिता ब्याकतीगातो’ में भी काम किया। बनर्जी का जन्म 1987 में कोलकाता में हुआ था।

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