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समय के साथ बदलता रहा नाग-नागिन का अंदाज

समय के साथ बदलता रहा नाग-नागिन का अंदाज

भारतीय समाज में सांपों को लेकर कई कथा-कहानियां प्रचलित हैं। सांपों से जुड़ी बातों पर लोग काफी विश्वास करते हैं। यही वजह है कि भारत को कुछ विदेशी सांपों का देश भी कहते हैं। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को भारतीय समाज में सांपों की पूजा की जाती है। इसलिए प्राचीनकाल से ही इस दिन को नागपंचमी त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। नागपंचमी को लोग दरवाजे पर नाग का चित्र बनाते हैं, सांप को दूध से नहलाते हैं और दूध पिलाते भी हैं। यही नहीं आज के दिन यानी 16 जुलाई को विश्व सांप दिवस भी मनाया जाता है। हमारे देश में सांपों को लेकर प्रसिद्ध कहानी है उनका इच्छाधारी होना। इच्छाधारी होना इच्छानुसार रूप बदलना यानी अगर नाग को किसी ने मार दिया है तो उसका बदला नागिन जरूर लेगी। जन्म-जन्म तक उस व्यक्ति के पीछे बदला लेने को दौड़ती रहेगी। इस धार्मिक आस्था को बॉलीवुड में भी खूब भुनाया गया है। बॉलीवुड में सांपों को लेकर काफी फिल्में भी बनीं जिनमें से कुछ सुपरहिट हुई तो कई फ्लॉप भी हुई।

सांपों की कहानी पर आधारित बॉलीवुड में सबसे पहले 1954 में नंदलाल जसवंत के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘नागिन’ थी। ये वह दौर था जब सांप के काटने का खौफ हर व्यक्ति के मन में था। इस इच्छाधारी नाग-नागिन की कहानी को खूब पसंद किया गया। इसका एक सदाबहार गाना आज भी मशहूर है, ‘मेरा मन डोले रे, मेरा तन डोले रे, मेरे दिल का आ गया करार… ’ फिल्म की मुख्य भूमिका में हैं अभिनेत्री वैजयंती माला और अभिनेता प्रदीप कुमार।

वर्ष 1976 में आई राजकुमार कोहली की निर्देशित फिल्म ‘नागिन’। भले ही यह फिल्म बाइस साल बाद आई हो, लेकिन देखा जाए तो इस नाग-नागिन की कहानी को आगे बढ़ाते हुए दिखाया गया था। नाग-नागिन की भूमिका में रीना रॉय और जितेंद्र हैं। फिल्म में नाग-नागिन को इच्छाधारी यानी कि इंसानी रूप धारण करने वाले नाग-नागिन की कहानी दिखाई गई है। यह भी कि कैसे नागिन अपने नाग की मौत का बदला लेने के लिए इंसानी रूप लेती है। नाग-नागिन की इस कहानी को कम ही लोग जानते थे। दर्शकों लिए ये सब नया था। फिल्म में उस समय के सभी बड़े अभिनेता-अभिनेत्री जैसे सुनील दत्त, फिरोज खान, विनोद मेहरा, जीतेंद्र, रेखा, मुमताज, रीना रॉय, योगिता बाली, संजय खान, कबीर बेदी, रंजीत थे।

‘नागिन’ के बाद सांपों को लेकर फिल्म बननी बंद हो गई थी। ऐसे वक्त में डायरेक्टर हरमेश मल्होत्रा ने रिश्क लिया और 1986 में अभिनेता ऋषि कपूर, अभिनेत्री श्रीदेवी और अमरीश पुरी के साथ एक और फिल्म बनी ‘नगीना’ जिसमें नागिन के रोल में श्रीदेवी और नाग का अभिनय किया है ऋषि कपूर ने। इसकी कहनी अलग थी जिसमें सपेरा यानी कि अमरीश पुरी नागमणि की तलाश में होते हैं। तब नागिन के रोल में श्रीदेवी को इतना पसंद किया गया कि इससे पहले और इसके बाद बनी सभी फिल्मों के नागिन में सबसे बेस्ट नागिन माना गया था श्रीदेवी को। इस फिल्म में श्रीदेवी का नागिन डांस और गाना ‘मैं तेरी दुश्मन, दुश्मन तू मेरा। मैं नागिन तू सपेरा…’ यह गाना भी उस समय सभी के जुबान पर हुआ करता था।

‘नगीना’ के बाद डायरेक्टर हरमेश मल्होत्रा ने इसी का सीक्वल बनाने की सोची। तब शायद ये बॉलीवुड की पहली फिल्म थी जिसका सीक्वल बनने जा रहा था। ‘नागिन’ और ‘नगीना’ के तर्ज पर ही ‘निगाहें’ की कहानी को भी आगे बढ़ाई गई। इस फिल्म की मुख्य भूमिका में थीं श्रीदेवी और अभिनेता सनी देओल और अमरीश पुरी की जगह अनुपम खेर। इस फिल्म को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया था, लेकिन ये फिल्म ‘नगीना’ जैसी हिट नहीं रही।

वर्ष 1989 में आई फिल्म ‘नाग-नागिन’ की मुख्य भूमिका में हैं ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई’ के मुख्य कलाकार अभिनेत्री मंदाकिनी और अभिनेता राजीव कपूर। इस फिल्म में मंदाकिनी नागिन और राजीव नाग की भूमिका में हैं। इनकी पहली फिल्म जितनी हिट थी उतनी ही यह फ्लॉप रही। इस फिल्म में नाग-नागिन की कहानी कम और रोमांस ज्यादा था जो दर्शकों को नहीं भाया।

‘नाग-नागिन’ के बाद इसी वर्ष 1989 में ही अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री और नितीश भारद्वाज की अभिनीत फिल्म ‘नाचे-नागिन गली-गली’। ये फिल्म बाकियों से थोड़ी अलग थी। इसमें दुश्मनों से बचने के लिए प्रेमी नाग-नागिन की जोड़ी बिछड़ जाती है और फिर कहानी शुरू होती है एक-दूसरे को पाने की। इसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था।

नाग-नागिन पर आधारित कई सारी फिल्में आने के बाद वर्ष 1990 में आई एक और फिल्म ‘शेषनाग’। ‘नगीना’ की तर्ज पर ही इसकी कहानी है इच्छाधारी नाग-नागिन की। जिसके मुख्य कलाकार हैं जितेंद्र और रेखा। कई सारी अभिनेत्रियां नागिन का रोल कर चुकी थीं, इसलिए रेखा ने फिल्म में कुछ अलग करने की सोची। जितेंद्र भी इससे पहले नाग का किरदार कर चुके हैं। इस फिल्म में रेखा के अपोजिट जितेंद्र इच्छाधारी नाग बने थे और फिल्म में तांत्रिक का रोल निभाया है डैनी ने जो दर्शकों को खूब भाया। जितेंद्र की ‘नागिन’ और ‘शेषनाग’ खास हैं, ये दोनों ही फिल्में सुपरहिट रही।

वर्ष 1991 में आई डायरेक्टर जगमोहन मुंध्रा की फिल्म ‘विषकन्या’। इसकी मुख्य भूमिका में है अभिनेत्री पूजा बेदी, अभिनेता कुनाल गोस्वामी और पूजा के पिता कबीर बेदी। इसमें नाग-नागिन की कहानी कम और बोल्ड सीन ज्यादा थे। हालांकि पूजा बेदी की यह पहली फिल्म थी। इनके अलावा फिल्म में मुनमुन सेन, सतीश कौशिक और सुरेंद्र पाल, सारिका जैसे अभिनेता शमी थे। लेकिन फिल्म कुछ खास नहीं चल पाई।

इसके बाद वर्ष 2002 में आई मल्टी स्टारर फिल्म ‘जानी-दुश्मन’। जिसे डायरेक्ट किया है राजकुमार कोहली ने। हालांकि इसे पुरानी ‘जानी दुश्मन’ का रीमेक कहा जा सकता है। इसकी मुख्य भूमिका में है मनीषा कोइराला और अरमान कोहली। इस फिल्म की कहानी में दोस्तों का एक समूह पिकनिक पर जाता है। जहां दिखती है दिव्या (मनीषा कोइराला) जिसके साथ ये सभी दोस्त बलात्कार करतं है जिसका बदला लेने के लिए दिव्या के पिछले जन्म का प्रेमी कपिल उनसे बदला लेना चाहता है। फिल्म में मनीषा और अरमान के अलावा अक्षय कुमार, सनी देओल, सुनील शेट्टी, आफताब शिवदासानी, सोनू निगम और अरशद वारसी हैं।

समय बदला, समय के साथ नागिन का अंदाज भी बदला। 2010 में आई जेनिफर लिंच की निर्देशित फिल्म ‘हिस्स’। इसकी कहानी है मस्तिष्क कैंसर से पीड़ित एक व्यक्ति का जिसे पता चला कि अगर वह वज ‘नागमणि’ पर अपना हाथ रखेगा तो अमर हो जाएगा। वह नागमणि पाने की आस में एक पुरुष नाग को पकड़ लेता है। इसकी मुख्य भूमिका में मल्लिका शेरावत है जिसने इस फिल्म में ‘बोल्डनेस’ का तड़का दिया है लेकिन फिल्म चली नहीं। इस फिल्म में मल्लिका के साथ इरफान खान, दिव्या दत्ता, जेफ डोसेटे, गोविन्द मेनन, टोनी किकोन, रमन त्रिक्का, महमूद बबई, सनी चार्ल्स, परवेज खान, मीनाक्षी ठाकुर और सुनीता राजवार है।

-जनार्दन कुमार सिंह

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