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कायम है ‘डीडीएलजे’ का जादू

भारतीय सिनेमा में कुछ फिल्में ऐसी हैं जिनका जादू बॉक्स ऑफिस पर वर्षों बीत जाने के बाद भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। इन्हीं में से एक है ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जिसका जादू 27 वर्षों के बाद भी कायम है

भारतीय सिनेमा जगत में कई ऐसी फिल्में बनी हैं जिनका प्रभाव असल जिंदगी में भी देखने को मिलता है। इन्हीं में से एक फिल्म है ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ यह एक ऐसी फिल्म है, जिसने लोगों को न केवल मोहब्बत करना सिखाया बल्कि हिंदी सिनेमा के पर्दे पर प्यार के मायने हमेशा के लिए बदल दिए। इस फिल्म को 27 साल पूरे हो चुके हैं। रियल लाइफ में मोहब्बत के इजहार का तरीका भले ही कितना बदल गया हो, लेकिन राज और सिमरन की कहानी 27 बरस बाद भी उतनी ही ताजा, रोमांचक और मधुर है।

आज से 27 साल पहले रिलीज हुई यशराज चोपड़ा की इस फिल्म ने जमाने पर जो जादू किया, वह आज भी कायम है। स्विट्जरलैंड की खूबसूरत वादियों के बीच एक अल्हड़ हीरो और संस्कारी नायिका की मोहब्बत और उसके मुकम्मल होने की इस कहानी ने जमाने के दिल में अपनी जगह बना ली। इससे पहले भारतीय सिनेमा के पर्दे पर मोहब्बत को इस तरह मुकम्मल होते नहीं देखा गया था। यह फिल्म दर्शकों को इतनी पसंद आई कि बॉक्स ऑफिस पर मानो पैसों की बारिश हो गई। आज भी मुंबई के मराठा मंदिर में इस फिल्म का शो दिखाया जाता है और दूर-दराज से लोग यह फिल्म देखने पहुंचते हैं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। गौर करने वाली बात यह है कि इस फिल्म का बजट चार करोड़ रुपये था, जबकि फिल्म ने साल 1995 में सिर्फ भारत में 89 करोड़ रुपए कमा लिए थे। फिल्म में राज का किरदार शाहरुख खान और सिमरन का किरदार काजोल ने निभाया था, जो वक्त के साथ कल्ट बन गया। इसमें सिमरन के पिता की भूमिका में अमरीश पुरी थे। उनका डायलॉग ‘जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी’ आज भी यदा-कदा लोगों की जुबां पर आ ही जाता है।

गौरतलब है कि 2 नवंबर 2022 को शाहरुख खान के जन्मदिन पर उनकी फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ फिर से सिनेमाघरों में लगाई गई। यह फिल्म मुंबई, दिल्ली एनसीआर, पुणे, अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, चंडीगढ़ समेत 18 शहरों के 28 सिनेमाघरों में दिखाई गई। ‘बॉलीवुड हंगामा’ की रिपोर्ट के अनुसार ‘पठान’ फिल्म के मेकर्स ने शाहरुख के जन्मदिन के मौके पर न केवल ‘डीडीएलजे’ बल्कि ‘पठान’ फिल्म का ट्रीजर भी जारी कर उन्हें तोहफा दिया है। ‘डीडीएलजे’ 1995 में रिलीज हुई थी, इसके बाद यह फिल्म सिनेमा जगत में सबसे ज्यादा समय तक चलने वाली फिल्म बन गई। यह फिल्म मुंबई के मराठा मंदिर में 50 हफ्तों तक लगातार सिनेमाघरों में लगी रही, हालांकि कोरोना महामारी के बाद फिल्म को हटा दिया गया। जिसके बाद अब इसे दोबारा रिलीज किया गया है।

क्यों खास है ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’
एक इंटरव्यू में ‘डीडीएलजे’ के 27 साल पूरे करने पर इसके मुख्य कलाकार शाहरुख खान और काजोल से खास बातचीत की गई। शाहरुख ने कहा, ‘राज और सिमरन के लिए ऑन-स्क्रीन जो चीज काम कर गई, वह थी बुनियादी तौर पर काजोल और मेरी ऑफ-स्क्रीन दोस्ती। यह दोस्ती इतनी सहज थी कि कैमरे के सामने ऐसे भी क्षण आए, जब लगा ही नहीं कि हम दोनों जरा भी एक्टिंग कर रहे हैं। हमने फिल्म का कोई भी दृश्य योजना बनाकर नहीं किया, हमने सिर्फ प्रवाह में बहने दिया। अगर हमें कोई चीज पसंद नहीं आती थी, तो हम बिना किसी औपचारिकता के बस एक-दूसरे पर जोर-जोर से बरस पड़ते थे।’ वहीं इस बारे में फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ की दूसरी लीड कलाकार काजोल कहती हैं, ‘मुझे शुरू से आखिर तक फिल्म की पटकथा पसंद थी। ऐसा कोई हिस्सा नहीं था, जिसके बारे में मुझे कुछ भी अटपटा लगा हो।’ यह जोड़ी आदित्य चोपड़ा को इस शानदार कहानी का श्रेय देती है, जिसने दुनियाभर के भारतीयों का दिल छू लिया था।

शाहरुख खान बताते हैं, ‘हम सब दोस्त थे और एक अच्छी कहानी का आनंद उठा रहे थे। आदी को इस मामले का पक्का पता था कि वह किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और इसके जरिए वह क्या कहना चाहते हैं। हम तो बस एक ऐसी कहानी पर अभिनय कर रहे थे जिसके सारे शब्द और अहसास पूरी तरह से उनके ही थे।’ काजोल के मुताबिक फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ को लिखते वक्त आदी यह दिखाना चाह रहे थे कि हर जगह परिवार ऐसे ही होते हैं। जो फिल्म के मूल वाक्य को मानते हैं कि दुनिया आपके सामने जो भी पेश करे, उसे अपना लो लेकिन अपनी जड़ों को कभी मत भूलो। फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ की कामबायी का डीएनए शाहरुख उस दौर को मानते हैं, ‘जब दर्शक ‘डीडीएलजे’ की कहानी तथा मेरी- काजोल की जोड़ी को अपनाने के लिए पहले से ज्यादा सहज हो रहे थे। ढेर सारे बाहरी अवयवों ने भी फिल्म को कामयाब बनाया।’

काजोल को भी किया गया पसंद
‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ फिल्म में काजोल का किरदार सिमरन का है। जिसने भारतीय सिनेमा में एक आजाद ख्याल युवती की नई छवि गढ़ी। यह युवती अपनी परंपराओं को तो मानती है लेकिन उसका नजरिया काफी आधुनिक रहा और इसी वजह से लोगों ने इस किरदार को काफी पसंद किया। काजोल कहती हैं, ‘सच कहूं तो पहले मुझे लगा था कि सिमरन थोड़ी बोरिंग है, लेकिन मैंने उसकी खूबियों को पहचान लिया। मुझे एहसास हुआ कि लगभग हम सभी के दिल के कोने में कहीं न कहीं एक सिमरन मौजूद है जिसे हम जानते हैं।’ हमेशा सही काम करने की चाहत छिपी होती है। बहुत से लोग सारे कामों को सही ढंग से पूरा नहीं कर पाते, लेकिन उनके मन में सब सही करने की इच्छा जरूर होती है। इस फिल्म में इन भावनाओं को इस तरह दर्शाया गया है कि यह फिल्म दर्शकों के मन पर हमेशा हमेशा के लिए छाप छोड़ गई है।

फिल्म के निर्देशक आदित्य चोपड़ा के बारे में जिक्र करने पर वह कहती हैं, ‘आदित्य का अपने विषय पर भरोसा ही उन्हें दूसरों से अलग बनाता है। उन्हें यह बात अच्छी तरह मालूम होती है कि वह क्या बनाने जा रहे हैं। जब तक वह अपनी कहानी से पूरी तरह मुतमईन नहीं होते हैं, वह कोई फिल्म हाथों में नहीं लेते हैं। यही बात उन्हें दूसरों से बेहतर बनाती है। इस भरोसे की झलक उनकी फिल्म के किरदारों में भी दिखाई देती है।’ ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के रजत जयंती वर्ष को मनाने के लिए लंदन के लीसेस्टर स्क्वॉयर पर फिल्म के दो मुख्य किरदारों राज और सिमरन की कांस्य प्रतिमाएं भी लगाई गई हैं। काजोल बताती हैं कि सिमरन और राज की कहानी को वह एक संगीतमय गाथा के रूप में तो सोचती रहती थीं लेकिन किसी को नहीं पता था यह इतनी असरदार गाथा बन जाएगी।

बाइस्कोप
इस फिल्म को लेकर लता मंगेशकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ने 10 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और हिंदी सिनेमा का चेहरा बदल कर रख दिया था। यह फिल्म उस समय चार करोड़ रुपये में बनी थी और 1995 के दौरान इसने भारत में 89 करोड़ रुपये तथा ओवरसीज मार्केट से 13.50 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस प्रकार दुनिया भर से कुल 102.50 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ। इसे तब के सोने के भाव के हिसाब से आज की बिक्री में तब्दील करें तो ये कुल कलेक्शन 524 करोड़ रुपये तक जा पहुंचता है। बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ने वाली निर्देशक आदित्य चोपड़ा की पहली फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (डीडीएलजे) की मेकिंग से जुड़े तमाम किस्से ऐसे हैं, जिनके बारे में लोगों को अब भी जानकारी नहीं है। ‘डीडीएलजे’ की मेकिंग फिल्म निर्देशक उदय चोपड़ा के मुताबिक ‘डीडीएलजे’ की मेकिंग किसी हिंदी फिल्म के लिए ऐसा पहला मौका था। उदय कहते हैं, यह पहली ऐसी फिल्म थी, जिसके ‘बिहाइंड द सीन्स’ फुटेज को दूरदर्शन पर टेलीकास्ट किया गया था।’

हार्ट ऑफ लंदन बिजनेस एलायंस
हार्ट ऑफ लंदन बिजनेस एलायंस ने बताया कि लीसेस्टर स्क्वायर पर लगी चुनिंदा फिल्मों की प्रतिमाएं यानी ‘सीन्स इन द स्क्वायर’ में फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ का भी एक दृश्य रखा गया था। यूनाइटेड किंगडम में स्थापित होने वाली यह भारतीय सिनेमा की पहली और अनोखी प्रतिमा है। यशराज फिल्म्स की स्थापना के 50 साल के जश्न की खुशियां इस घोषणा से दोगुनी हो गई है। राज और सिमरन की प्रतिमाएं जब लीसेस्टर स्क्वायर पर लगेगी तो यह दुनियाभर में बीते सौ सालों में बनी फिल्मों के दृश्यों से ली गई 10वीं ऐसी प्रतिमा होगी। अभी कुछ साल पहले ही यहां हैरी पॉटर की एक प्रतिमा लगाई गई है। इससे पहले यहां अब तक लॉरेल एंड हार्डी, बग्स बनी, सिंगिंग इन द रेन के जीन केली, मैरी पॉपिंस, मिस्टर बीन, पैडिंगटन और सुपरहीरो बैटमैन व वंडर वूमन की प्रतिमाएं लग चुकी हैं।

 

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