फिल्मी सितारों की मायानगरी मुंबई में एक बंगला हुआ करता था। इस बंगले को अधिकांश ‘आशीर्वाद’ नाम से पहचानते हैं। मायानगरी में इस बंगले के भूतिया होने की कई कहानियां मशहूर हैं। कहा और माना जाता है कि इस बंगले ने अपने मालिकों को आशीर्वाद नहीं शाप दिया जिसके चलते उनका फिल्मी करियर बर्बाद हो गया। इस बंगले के मशहूर मालिकों में शामिल थे सुपरस्टार भारत भूषण, राजेंद्र कुमार और राजेश खन्ना
मुंबई मनोरंजन की राजधानी के रूप में जानी जाती है। देश के कोने- कोने से कलाकार अपने सपने पूरे करने के लिए मुंबई का रुख करते हैं। इनमें से कुछ तो रातोंरात स्टार बन जाते हैं और कुछ निराश होकर अपने घर वापस लौट जाते हैं। स्टार कलाकारों के लिए एक कहावत खासी प्रसिद्ध है कि जब भी कोई कलाकार फिल्मों में काम करने के लिए मुंबई आया उसके पास खाने के लिए पैसे और रहने के लिए घर नहीं होता था, वो फुटपाथ पर सो जाते थे। इसलिए कोई भी कलाकार स्टार बनते ही सबसे पहले मुंबई में घर खरीदता है। उस घर का नाम भी उन्हीं की तरह मशहूर होता है। जैसे अमिताभ बच्चन का घर ‘जलसा’, शाहरुख खान का ‘मन्नत’, अजय देवगन का ‘शिवशक्ति’ एक दौर में बॉलीवुड के मशहूर कलाकारों के बंगले मुंबई के पॉश इलाके कार्टर रोड पर हुआ करते थे। इन्हीं में से एक बंगला ‘आशीर्वाद’ के नाम से जाना जाता था और इसमें रहा करते थे गुजरे जमाने के सुपर स्टार राजेश खन्ना। राजेश खन्ना के इस घर को भूतिया बंगले के नाम से भी जाना जाता था। धारणा है कि इस आलीशान घर ने तीन सुपरस्टार का जीवन बर्बाद किया है जिसकी कहानी आज हम आपको बता रहे हैं।
भारत भूषण ने खरीदा बंगला और हुए बर्बाद
वर्ष 1950 के दौर में मुंबई के आलीशान कार्टर रोड पर दो बंगले थे। पहला बंग्ला प्रसिद्ध संगीतकार नौशाद का था और उसी के नजदीक एक बंगला मूल रूप से एक एंग्लो-इंडियन परिवार के स्वामित्व में था जिसको बॉक्स ऑफिस के बादशाह अभिनेता भारत भूषण ने खरीदा था। उन्होंने जब ये बंगला खरीदा था तब तक वे ‘बैजू बावरा’, ‘मिर्जा गालिब’, ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ और ‘बरसात की एक रात’ जैसी हिट फिल्में दे चुके थे लेकिन 60 का दशक आते-आते उनकी फिल्में फ्लॉप होने लगी और भारत भूषण कर्ज में डूबते चले गए जिसके बाद उन्होंने इस बंगले को खाली कर दिया। काफी दिन तक यह बंगला खाली पड़ा रहा। भारत भूषण पर कर्ज बढ़ता जा रहा था। उन्होंने इस बंगले को बेचने का फैसला लिया। पहली बार इस घर के बारे में तभी अफवाह उड़ी कि जब से भारत भूषण ने इस बंगले को खरीदा है तब से उनकी फिल्में फ्लॉप हो रही हैं और इस घर में कोई भूत रहता है। कहा जाता है कि अफवाह उड़ाने वाला कोई और नहीं, बल्कि उनका किराएदार ही था जिसने काफी महीनों से किराया नहीं दिया था और वह घर खाली भी नहीं कर रहा था।
राजेंद्र कुमार का डूबा करियर
उसी दौर में उभारते स्टार राजेंद्र कुमार भी घर की तलाश कर रहे थे उनको यह बंगला पसंद आ गया था। उनको यह बंगला 75,000 में ऑफर हुआ लेकिन राजेंद्र कुमार को इसकी कीमत थोड़ी ज्यादा लग रही थी। उन्होंने इसका मोलभाव किया और 60,000 में घर खरीद लिया। लेकिन इसे खरीदने के लिए उनके पास इतने पैसे नहीं थे। उनके पास केवल 15,000 रुपए थे। तब इस घर को खरीदने में बीआर चोपड़ा ने उनकी मदद की थी। राजेंद्र कुमार ने बीआर चोपड़ा के साथ दो फिल्में साइन कर 60,000 रुपए जुटा लिए थे। बंगला खरीदने के बाद राजेंद्र कुमार ने इसका नाम अपनी बेटी ‘डिंपल’ के नाम पर रखा था। कहा जाता है कि इस घर को खरीदने के बाद राजेंद्र कुमार को एक के बाद एक हिट फिल्में मिलती गईं उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर झंडे गाड़ दिए और उन्हें जुबली कुमार के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन ये सिलसिला लम्बा नहीं चल सका और भारत भूषण की तरह राजेंद्र कुमार की किस्मत भी जल्द डूबने लगी। साल 1969 के आस-पास राजेंद्र कुमार की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम होकर गिरने लगीं। वो भी कर्ज में डूबने लगे, उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी। यहां तक कि वो फिल्मों में साइड एक्टर का रोल करने लगे। इसके बाद पैसों की तंगी के कारण उन्हें ये घर छोड़ना पड़ा। बाद में घाटे से उबरने के लिए उन्हें मजबूरन बंगला बेचना पड़ा।
राजेश खन्ना भी हुए बर्बाद
सत्तर का दशक राजेश खन्ना का था। उस दौर के वो उभरते हुए स्टार थे। मुंबई में वो भी बंगले की तलाश कर रहे थे और ये भूतिया बंगला पहले से ही भारत भूषण और राजेंद्र कुमार के रहने की वजह से कलाकारों के बीच चर्चा में रहता था। राजेश खन्ना चमत्कार में विश्वास भी करते थे। राजेंद्र कुमार जब इस बंगले को बेचने का मन बना रहे थे तो इसकी जानकारी राजेश खन्ना को भी लगी। तब उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगाते हुए वो बंगला राजेंद्र कुमार से 3 लाख 50 हजार रुपए में खरीद लिया। इसके बाद बंगले का नाम डिंपल से ‘आशीर्वाद’ कर दिया। ये बंगला राजेश खन्ना की एक पहचान के रूप में नामी हो गया।
शुरुआत में इस बंगले ने ‘आशीर्वाद’ के रूप में राजेश खन्ना पर कई चमत्कार किए उनकी फिल्में भी सुपरहिट होने लगीं। प्रोड्यूसर की लाइन लगने लगी। उन्हें लगता था कि राजेश खन्ना जिस फिल्म में होंगे वो कमाई करके देगी। वे उस जमाने के स्क्रीन आईडल बन गए थे। इस वजह से उनका बंगला भी मुंबई में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया, ठीक उसी तरह जैसे वर्षों बाद अमिताभ का ‘जलसा’ और शाहरुख का ‘मन्नत’ बना। कहते हैं कि समय बदल जाता है लेकिन कभी-कभी किस्मत नहीं बदलती। इस बंगले का हाल भी कुछ ऐसा ही था। 1974 आते-आते राजेश खन्ना की फिल्में असफल होने लगीं। उनकी फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम होकर गिरने लगी। धीरे-धीरे उन्होंने सुपरस्टार का टैग भी खो दिया। हालात यहां तक पहुंच गए कि 80 के दशक के अंत तक उनके पास एक भी फिल्म नहीं थी। जिसके बाद उनके पारिवारिक रिश्ते खराब होते चले गए। उनकी पत्नी डिंपल खन्ना उन्हें छोड़कर अपने बच्चों को साथ लेकर चली गईं। राजेश खन्ना की बुलंदी उन्हें नीचे खींच ले आई। कथित तौर पर बंगले में अकेले रहने लगे थे और 2012 में इसी बंगले मे उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
राजेश के बाद शक्ति शेट्टी का हुआ ‘आशीर्वाद’
राजेश खन्ना की मौत के बाद 2014 में यह बंगला उद्योगपति शक्ति शेट्टी को 90 करोड़ रुपए में बेच दिया गया था। शक्ति शेट्टी ने इस बंगले को ध्वस्त कर 5 मंजिला बिल्डिंग बना दी है और उस बंगले की कहानी को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दिया है।