काफी समय से साउथ सिनेमा का तिलिस्म तमाम फिल्म इंडस्ट्रीज में बढ़-चढ़ कर देखने को मिल रहा है। साउथ में आने वाली फिल्में बॉक्सऑफिस पर काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। साउथ की फिल्मों की अच्छी स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले दर्शकों को काफी आकर्षित कर रहा है। इनका अद्भुत और अनोखा अंदाज़ साउथ सिनेमा की लोकप्रियता बढ़ाने में साकार रहा हैं जैसे- बाहुबली-1 और 2, पुष्पा, लाइगर, और कल यानी 30 सितम्बर को रिलीज हुई ‘पोन्नियिन सेल्वन’ मूवी ने भी जनता की उम्मीद पर खरा उतर सिनेमा घरों में काफी कमाई की है। इस मूवी का इंतज़ार दर्शक 2019 से कर रहे थे, कोरोना के कारण देरी के बाद अब इस मूवी को रिलीज किया गया है। हिंदी सिनेमा की मल्लिका ‘ऐश्वर्या राय बच्चन’ ने काफी समय बाद पर्दे पर अपना जादू चलाया है। जिसके कारण भी इसे हिंदी सिनेमा में भी काफी पसंद किया जा रहा है।
मणिरत्नम का सिनेमा एक अलग अनुभूति का सिनेमा है। वह अपनी फिल्म के किरदारों को बड़ी ही स्पष्टता के साथ चुनते हैं। जिस कारण कहानी के किरदार दर्शकों को अपने साथ आखिर तक बांधकर चलते हैं। जिसे फिल्म में प्रदर्शित सभी सीन प्राकृतिक दृश्य की तरह प्रतीत होते हैं। फिल्म ‘पोन्नियिन सेल्वन पार्ट वन’ में मणिरत्नम ने एक ऐसा साम्राज्य गढ़ा है जिसके बारे में जो कुछ है बस किताबों में है। कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यास पढ़ने वालों की मानें तो इनकी लिखावट किसी पटकथा से कम नहीं है। उनकी लिखावट और उनके द्वारा बनाये गए चित्रों का विवरण इस फिल्म में भली-भांति देखने को मिलता है। इस फिल्म में राज साम्राज्य से लेकर चोल साम्राज्य का वैभव देखने को मिलता है। इसमें महिलाओं के चरित्रों को भरपूर अदायगी के साथ उभारा गया है। इस फिल्म में दिखाई गई महिलाओं के चरित्र आम फिल्मों की तरह नहीं है। इसमें हर एक रिश्ते के उतार-चढ़ाव को अच्छी तरह दर्शाया गया है। इस फिल्म के प्रोडक्शन की जानकारी रखने वाले बताते हैं कि फिल्म के दूसरे हिस्से की भी शूटिंग हो चुकी है और फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन पूरा करके इसे अगले साल ही रिलीज करने की तैयारी है।
‘पोन्नियिन सेल्वन’ फिल्म की कहानी को 70 साल से लोग सिनेमा के रूप में पर्दे पर देखने का ख्वाब संजोए हुए हैं। जनता के इस ख्वाब को एम जी रामचंद्रन और कमल हासन जैसे दिग्गज बरसों पहले अपना बना चुके थे बस इस कहानी को पर्दे पर उतरते देखना किसी ख्वाब से कम नहीं है। निर्देशक मणिरत्नम हालांकि बातचीत में कहते हैं कि ये फिल्म उन्होंने बड़े परदे पर सिनेमा की भव्यता या उसका करतब दिखाने के लिए नहीं बनाई है, लेकिन फिल्म का अंतिम प्रभाव दर्शकों पर यही पड़ता है। कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यासों की ‘पोन्नियिन सेल्वन’ श्रृंखला के तीन उपन्यासों की कथा इस पहली फिल्म में है और अगर कहानी पहले से न पता हो करीब पौने तीन घंटे की फिल्म देखने के बाद इसको समझ पाना काफी मुश्किल है। कुछ कुछ ‘बाहुबली’ जैसे राजसी संघर्ष की इस कहानी में किरदारों की भरमार है।