लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए आगे आए सोनू सूद को देश के हर हिस्सें से प्यार मिल रहा है। जो प्रवासी मजदूर मुंबई जैसे शहरों में लॉकडाउन के दौरान फंसे हुए थे, उन्होंने अपने घर जाकर अपनी नई दुकानों, गैराजों तक के नाम सोनू के नाम पर रख दिए थे। सोनू ने मुंबई में फंसे बिहार, यूपी, उत्तराखंड, और मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों के मजदूरों को लॉकडाउन में वापिस उनके घर भेजने का काम किया था। एक्टर ने कुछ समय पहले कहा था कि वह अपनी ऑटोबायोग्राफी लिख रहे है। आज उसका टाइटल रिवील हो गया है। किताब का नाम आई एम नो मसीहा है।
यह किताब हिंदी संस्करण और अग्रेजी में होगी। इसमें सोनू ने उन परेशानियों का जिक्र भी किया है जो उन्होंने मदद पहुंचाने के दौरान झेली। सोनू ने अपनी किताब का कवर और बाकी डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर किए है। सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए सोनू ने लिखा ” आई एम नो मसीहा, दिसंबर में आएगी। यह मेरी जिंदगी की कहानी है। साथ ही उतनी ही उन हजारों प्रवासी मजदूरों की भी। किताब को पेंगुइन इंडिया पब्लिश कर रहा है। इस बुक के कवर पर सोनू सूद और मीरा के. अय्यर लिखा है।”
अपने एक इंटरव्यू में सोनू ने कहा कि ”लोग बहुत दयालु है और उन्हें मुझे मसीहा कहना पसंद है। लेकिन सच यही है कि मैं मसीहा नहीं हूं। मैं वही करता हूं जो मेरा दिल कहता है। एक इंसान होने के नाते एक-दूसरे की मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं जो उन्होंने मुझे प्रवासियों की मदद के लिए चुना। मेरा दिल मुंबई में धड़कता है लेकिन इस मूवमेंट के बाद मुझे लगता है कि मेरा ही एक हिस्सा यूपी, बिहार, झारखंड, असम, उत्तराखंड और बाकी सारे राज्यों में भी है। जहां मुझे मेरे नए दोस्त और गहरे रिश्ते मिले। इसलिए मैंने इन सारे अनुभवों और कहानियों को जो मेरी आत्मा से जुड़ गए हैं उन्हें किताब की शक्ल देने का फैसला किया।”