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कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना…..

जब आप लीक से हटकर कुछ नया करते हैं, तो सबसे पहले मन में एक ख़्याल ज़रूर आता है कि पता नहीं लोग क्या कहेंगे। फिर जब आप अपने किसी क़रीबी से अपने मन के संशय को साझा करते हैं तो वह तपाक से बोलता है कि, “छोड़ो! कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना”।और फिर एक नया जोश और आत्मविश्वास लिए हम निकल पड़ते हैं कुछ अलग करने की राह पर। लेकिन हर बार यह एक पंक्ति हमें कितना प्रेरित करती है इस पर गौर करने वाली बात है। “कुछ तो लोग कहेंगे ,लोगों का काम है कहना….” एक गीत भी ज़रूर याद आ रहा होगा।

किशोर कुमार का गाया यह गीत फ़िल्म ‘अमर प्रेम’ का है। इस फ़िल्म को शक्ति सामन्त ने निर्देशित किया था। राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर ने अपने बेहतरीन अभिनय से इस फ़िल्म को अमर कर दिया था। लेकिन फिर वही बात कि इस गीत के गीतकार को कैसे भुलाया जा सकता है?
‘आनंद बक्षी’ (Anand Bakshi) लगभग चार हजार गाने, 40 बार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकन और करीब चार दशकों तक सिनेमा पर संगीत का जादू बिखेरने वाले जादूगर । ‘आनंद बक्शी’ (Anand Bakshi) ने जो कलम से लिखा वो संगीत की दुनिया में सुनहरा इतिहास बनकर दर्ज हो गया।

शब्दों को संगीत में पिरोने वाले आनंद बक्षी (Anand Bakshi) हमेशा मैदान में खड़े रहे। आनंद बक्षी(Anand Bakshi) का जन्म 21 जुलाई वर्ष 1930 में मौजूदा पाकिस्तान(Pakistan) के रावलपिंडी शहर में हुआ था।

जब मन कुछ ऐसा सुनने को करता है, जो दिल को छुए तो ऐसे में याद आते हैं आनन्द बक्षी के गीत।आनंद बक्षी के गीतों की ख़ासियत उनकी सादगी ही रही। उनके गाने के बोल इतने सरल होते हैं कि आम आदमी (aam admi) की जुबान उन शब्दों के साथ पल भर में ही सहज महसूस करती है। हर गाने में एक फलसफा और फलसफे का अपना अलग अंदाज। यही वजह रही है कि उन्हें लोगों का भरपूर प्यार मिला। शब्दों के बाजीगर आनंद आनंद बक्शी के जन्म दिवस पर आज हम आपको उनके कुछ यादगार गीत सुनाते हैं……

गीत : सावन का महीना

फिल्म : मिलन(Milan) (1967)
मुकेश(Mukesh) और लता मंगेशकर(Lata Mangeshkar) की आवाज में यह गाना सावन के महीने के बिना भी सावन जैसा सुहावना महसूस कराता है। इसकी वजह Anand Bakshi के लिखे शानदार बोल ही हैं, जो लक्ष्मीकांत प्यारेलाल(Laxmikant Pyarelal) के संगीत के साथ बेहतरीन तालमेल बनाते हैं। इस गाने के लिए Anand Bakshi को पहली बार फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामित किया गया था।

गीत : हम तुम एक कमरे में बंद हों

फिल्म : बॉबी(Bobby) (1973)
इस गीत में दो प्रेमियों की दिली ख्वाहिश को सटीक शब्दों में पिरोने का काम आनंद बक्शी से बेहतर शायद ही कोई कर सके। डिंपल कपाड़िया और ऋषि कपूर (Rishi Kapoor)पर फिल्माए इस गीत को शैलेन्द्र सिंह और लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की प्रतिष्ठित जोड़ी के संगीत से सजे इस सदाबहार गीत के लिए आनंद बक्शी को फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नामित किया गया।

गीत : इश्क बिना

फिल्म : ताल (taal) (1999)
गायक बदलते गए और संगीतकार भी बलदते गए, लेकिन आनंद बक्शी ने अपनी कलम का तिलिस्म बरकरार रखा। इस गीत को ऑस्कर विजेता संगीतकार ए आर रहमान ने संगीत दिया और सोनू निगम, अनुराधा श्रीराम और सुजाता मोहन ने अपनी आवाज दी। ऐश्वर्या राय और अक्षय खन्ना पर फिल्माए इस गीत के लिए आनंद बक्शी को फिल्मफेयर अवार्ड से अलंकृत किया गया।

गीत : तुझे देखा तो ये जाना सनम

फिल्म : दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे(dilwale dulhaniya le jayenge) (1995)
हिंदी सिनेमा की अब तक की सबसे बड़ी रोमांटिक फिल्म में आनंद बक्शी अपनी कलम का जादू न दिखाएं, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं था। शाहरुख खान और काजोल की सुपरहिट जोड़ी पर फिल्माए गए इस गाने के शब्दों को आनंद ने एक धागे में पिरोया है। इस गीत को लता मंगेशकर और कुमार सानू ने गाया है, और संगीत दिया है जतिन-ललित ने। इस सदाबहार गाने के लिए आनंद को फिल्मफेयर अवार्ड से सुशोभित किया गया।

गीत : जब हम जवां होंगे

फिल्म : बेताब(betaab) (1983)
सनी देओल और अमृता सिंह पर फिल्माया गए गाने को लता मंगेश्कर और शब्बीर कुमार ने अपनी आवाज दी, आर डी बर्मन ने म्यूजिक और आनंद बक्शी के द्वारा लिए गए खूबसूरत बोल ने गाने में चार चांद लगा दिए थे।

गीत : मेरे मेहबूब कयामत होगी

फिल्म : मिस्टर एक्स इन बॉम्बे(Mr. X in Bombay) (1964)
फिल्म मिस्टर एक्स इन बॉम्बे (1964) का लोकप्रिय गीत मेरे मेहबूब कयामत होगी… गीत के बोल आनंद आनंद बक्शी द्वारा लिखे गए हैं, म्यूजिक लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल द्वारा और किशोर कुमार द्वारा गाए गए हैं।

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