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भारतीय होने के मतलब को तलाशती ‘अनेक’

आयुष्मान खुराना की फिल्म अनेक 27 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म को काफी पसंद किया जा रहा है। इस फिल्म की कहानी एक अलगाववादी समूह के साथ पूर्वोत्तर में शांति संधि पर बातचीत करने की कोशिश की कहानी है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो बिना किसी समाधान के दशकों से चली आ रही है। फिल्म में आयुष्मान एक अंडर कवर ऑफिर अमन के रोल में हैं, यह पूर्वोत्तर में जोशुआ बनकर काम करता है।

दरअसल, आयुष्मान खुराना की जब भी कोई फिल्म आनी होती है तो लगता है इस बार क्या नया करेंगे। आयुष्मान ने अपने लिए एक ऐसा मील का पत्थर सेट कर दिया है कि उनसे उम्मीदें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं। इस बार आयुष्मान ने ‘अनेक’ फिल्म के जरिए हिम्मतवाला काम किया है। इस फिल्म की कहानी है नॉर्थ ईस्ट के उन लोगों की जिनमें से कुछ हमारे होकर भी खुद को हमारा नहीं समझते, क्यों नॉर्थ ईस्ट के कुछ लोग खुद को भारत का हिस्सा नहीं समझते, क्यों वहां के कुछ लोग भारत से अलग होना चाहते हैं।

हालांकि ऐसा नहीं है कि वहां का हर शख्स ऐसा चाहता है। कुछ भारत के लिए खेलना भी चाहते हैं। कुछ अपने बच्चों को पढ़ने के लिए दिल्ली भी भेजना चाहते हैं लेकिन फिर वहां शांति बहाल करने में दिक्कत क्या है? यही कहानी है ‘अनेक’ की और ये कहानी कहनी बहुत जरूरी है। ये हमारे अपने लोगों की कहानी है जिसे कहा जाना चाहिए जिसे दमदार तरीके से कहा गया है।

इस फिल्म में आयुष्मान खुराना एक अंडरकवर कॉप के किरदार में हैं और हर बार की तरह इस बार लुक से लेकर हर अंदाज उनका दिख रहा है। इस बार भी स्क्रीन पर आयुष्मान को देखकर लगता है कि वो इतना कमाल कैसे कर देते हैं। हर सीन में आयुष्मान अपनी छाप छोड़ते हैं। इस फिल्म में वो नॉर्थ ईस्ट की ऐसी लड़की के किरदार में हैं जो भारत के लिए बॉक्सिंग करना चाहती है, लेकिन उसके अपने ही लोग खुद को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं। इस किरदार में एंड्रिया सूट करती हैं आयुष्मान के बॉस के किरदार में मनोज पाहवा लाजवाब हैं। जेडी चक्रवर्ती और कुमुद मिश्रा का किरदार भी कमाल का है। नार्थ ईस्ट के सारे कलाकारों ने कमाल का काम किया है और हर किरदार कर अपनी छाप छोड़ी है।

फिल्म की कहानी

इस फिल्म में अमन (आयुष्मान) को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वो उस क्षेत्र के शीर्ष विद्रोही नेता टाइगर सांगा (लोइटोंगबाम दोरेंद्र) को बातचीत करने के लिए तैयार करे। भारतीय सरकार टाइगर सांगा के साथ शांति स्थापित करना चाहती है। लेकिन इस काम को अंजाम देते हुए उसे यह एहसास होता है कि सब कुछ उतना साफ और आसान नहीं है जितना उसने सोचा था। फिल्म में दिखाया गया है कि भारत में किस तरह पूर्वोत्तर में रहने वाले लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है। फिल्म इस दर्द को पर्दे पर अच्छी तरह दिखाने में सफल होती है।
फिल्म में एक यंग बॉक्सर आइडो के रोल में नजर आ रही एक्ट्रेस एंड्रिया उत्तर पूर्व की रहने वाली हैं और भारत की तरफ से खेलना चाहती हैं लेकिन लोग उन्हें भारतीय समझते ही नहीं और इसके चलते भी उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। फिल्म में दर्शाया गया है कि तमाचा मारकर आइडो से पूछना कि पार्लर वाली है? या नेपालन है? जैसे सीन काफी प्रभावित करते हैं। फिल्म की कहानी किस लोकेशन की है इसके बारे में कोई जानकारी फिल्म में नहीं दी गई है। फिल्म में इसे केवल नॉर्थ ईस्ट के तौर पर दिखाया गया है।

क्यों देखें फिल्म

आयुष्मान खुराना ने एक बार फिर अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लिया है। भारत के नॉर्थ ईस्ट के इलाके के मसलों और वहां रहने वाले लोगों के साथ हो रहे भेदभाव को पर्दे पर बखूबी दिखाया गया है, इसे जानने के लिए दर्शकों को फिल्म देखनी चाहिए। इस फिल्म में अनुभव सिन्हा ने अपना काम बखूबी निभाते हुए सभी चीजों को सही तरीके से दिखाने और समझाने की कोशिश की है। फिल्म में नागालैंड की एक्ट्रेस एंड्रिया केवीचुसा ने फिल्म अनेक से अपना डेब्यू किया है।

खूबियां और खामियां

फिल्म की कमी यह है कि ये फिल्म थोड़ी हैवी और स्लो है। यह मसाला एंटरटेनटर नहीं है तो अगर आप मसाला फिल्मों के शौकीन हैं तो इस फिल्म से निराश हो सकते हैं। आपको फिल्म बोरिंग लग सकती है, लेकिन कहीं न कहीं आप वो दर्द महसूस करते हैं जो ये फिल्म आपको महसूस कराना चाहती है। एक सीन में जब हरियाणा की एक बॉक्सर एंड्रिया से कहती हैं कि भारत तेरे बाप का है तो एंड्रिया उसे पंच मारकर कहती हैं कि भारत किसी के बाप का नहीं है। भारत सबका है। ये कहानी हमारे अपने लोगों की है जिसे कहना जरूरी था और अच्छे से कहा भी गया है। अगर इस फिल्म की गहराई को समझेंगे तो आयुष्मान खुराना और डायरेक्टर अनुभव सिन्हा दोनों की तारीफ करेंगे।

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