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लाजवाब है पंचायत सीजन-3

‘पंचायत’ वेबसीरीज गांव की राजनीति पर आधारित हैं। लेखक चंदन कुमार ने इस कहानी के जरिए भारतीय गांवों की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को दिखाने की कोशिश की है। लॉकडाउन के समय पंचायत का पहला और जून 2022 में दूसरा सीजन आया था जिसको लोगों ने खूब पसंद किया था। अब ‘प्राइम वीडियो’ पर इसका तीसरा सीजन आ चुका है। जो लोग पंचायत के बाकी के दो सीजन देख चुके हैं, उन्हें इसकी कहानी समझने में कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन जिन्होंने ‘पंचायत’ के बाकी 2 सीजन नहीं देखंे, उन्हें तीसरा सीजन देखने से पहले के 2 सीजन जरूर देखने चाहिए। इस सीरीज का निर्देशन दीपक कुमार मिश्रा ने किया है। इसकी कहानी रघुवीर यादव (प्रधान मंजू देवी के पति बृजभूषण दुबे), नीना गुप्ता (प्रधान मंजू देवी), जितेंद्र कुमार (पंचायत सचिव अभिषेक त्रिपाठी), फैसल मलिक (उपप्रधान प्रहलाद पांडे), चंदन राय (सचिव सहायक विकास), सानविका (प्रधान की बेटी रिंकी), सुनीता राजवार (क्रांति देवी), अशोक पाठक (विनोद) और दुर्गेश कुमार (भूषण) के इर्द-गिर्द घूमती है

‘पंचायत’ की कहानी अभिषेक त्रिपाठी से शुरू होती है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई किए है। अच्छी नौकरी नहीं मिलने के कारण उत्तर प्रदेश के दूर-दराज गांव में पंचायत कार्यालय में सचिव का पद स्वीकार कर लेते हैं। इस नौकरी को ज्वाइन करने से पहले वो असमंजस रहते हैं। दोस्त प्रतीक से इस नौकरी की चर्चा के बाद कि ‘बीस हजार रुपया महीना की सरकारी नौकरी ऐसा एडवेंचर है जिसे तुझे छोड़ना नहीं चहिए। तुझे ‘स्वदेश’ का भार्गव बनने का मौका मिल रहा है। मेरी तरह कॉरपोरेट की रेस में क्यों फंसना चाह रहा है। वहां गांव जाकर प्रधान के साथ मिलकर कुछ नया कर वहां का डवलपमेंट कर जिससे लोग तुझे याद रखें’। अभिषेक त्रिपाठी नौकरी स्वीकार लेता है। उसे लगता है कि खाली रहने से अच्छा है कि इस नौकरी को ज्वाइन करे और साथ में कैट के एक्जाम की तैयारी भी करे। बस फिर क्या था, त्रिपाठी जी सामान बांधकर चल पड़ते हैं फुलेरा गांव। हालांकि काम पर उसका पहला दिन उसकी सोच से भी कहीं ज्यादा बुरा रहा। लेकिन गांव से निकलने की लालसा और अधिक पैसे कमाने का जोश अभिषेक के सर चढ़ जाता है। वह खूब मेहनत करता है लेकिन दिनभर ऑफिस का काम, शाम के समय बिजली का गुल होना आदि कई समस्याएं अभिषेक की राह का कांटा बन सामने आती हैं। इस सीरीज में इमोशनल, सोशल मैसेज, गुस्सा, फ्रस्ट्रेशन, यूनिटी, कॉमेडी, एक्शन सब देखने को मिलेगा लेकिन अपने ही अंदाज में। इसके लिए आपको यह सीरीज देखनी होगी।

पंचायत सीजन-2

‘पंचायत-2’ सीजन की शुरुआत वहीं से होती है जहां पहला सीजन समाप्त हुआ था। सचिव अभिषेक त्रिपाठी को गांव की टंकी से उतरते हुए दिखाया गया है। उपप्रधान प्रहलाद पाण्डे (फैजल मालिक) और ऑफिस सहायक विकास (चंदन राय) उसको टंकी से उतरते देख लेते हैं। उनको इस बात की टेंशन होती है कि प्रधान जी को उन दोनों के बारे में पता न चल जाए। ‘सीजन-2’ में अभिषेक को गांव की हवा रास आने लगी है, चिड़चिड़ापन खत्म हो गया है। लेकिन उसका इरादा अभी भी पक्का है कि कैट का एक्जाम पास होते ही वो गांव से बहार निकल जाएगा। ‘सीजन-2’ में अभिषेक अनजाने में स्थानीय विधायक से मिलता है। विधायक अभिषेक को गाली-गलौज करता है जिसकी वजह से वो ग्लानि महसूस करता है। ‘सीजन- 2’ में दो किरदार की एंट्री होती है रिंकी (सानविकी) और सुनीता राजवीर की। ‘पंचायत सीजन-2’ में भी पहले सीजन की तरह इमोशनल दृश्य की भरमार है जो आपको 8 एपिसोड तक जोड़े रखने में मजबूर कर देता है। खासकर आठवां एपिसोड जब प्रहलाद का बेटा शहीद हो जाता है।

‘पंचायत-3’

‘पंचायत-2’ का अंत प्रहलाद के बेटे की मौत पर हुआ था। नए सीजन की शुरुआत भी उसी के साथ हुई है। प्रहलाद अपने बेटे की मौत के सदमे से उबर नहीं पाए हैं। सचिव त्रिपाठी का तबादला हो गया है। नए सचिव आ गए हैं। रिंकी अभिषेक से संपर्क साधने की कोशिश करती है पर वह फोन नहीं उठाता। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है ‘पंचायत-3’ अपने रंग में आने लगती है। विधायक, जो दूसरे सीजन से सचिव का दुश्मन बन बैठा है, वह उनसे बदला लेकर फुलेरा ग्राम पंचायत पर अपना कब्जा करना चाहता है। इस साजिश में भूषण उर्फ बनराकस विधायक का साथ देता है। बनराकस को फुलेरा गांव का प्रधान बनना है जिसके लिए वह कई चालें भी चल रहा है। लेकिन क्या ये चालें सफल होती हैं? वह किस हद तक गुजर सकता है? विधायक प्रधान जी से कैसे बदला लेता है? इन सारे सवालों के जवाब तो ‘पंचायत-3’ देखने पर ही मिलेंगे। ‘पंचायत-3’ में इस बार दर्शकों को खूब मस्ती, प्यार और कॉमेडी के साथ-साथ चुनावी रंग में डूबी राजनीति देखने को मिलेगी तो वहीं आपको एक्शन और ट्विस्ट के साथ-साथ रिंकी की लव स्टोरी और प्रहलाद के साथ फुलेरावासियों के इमोशंस की भी कोई कमी नहीं खलेगी।

परफॉरमेंस

पंचायत-1 से लेकर पंचायत-3 के कलाकारों की भूमिका के बारे में बात करें तो शुरुआत से लीड रोल में जितेंद्र कुमार ने पिछले दो सीजन की तरह ‘सचिव जी’ का किरदार बेहद दमदार तरीके से निभाया है। ‘सीजन-1’ से ही उसने अपने अभिनय से दर्शकों को ‘सीरीज-3’ तक बांधे रखा है। फैंस उनके रोल से इस बार भी निराश नहीं होंगे। वहीं प्रधानजी और मंजू देवी के किरदार में रघुबीर यादव और नीना गुप्ता कमाल है। दोनों के बीच होने वाली नोक-झोक और लड़ाई को देखना काफी मजेदार है। प्रहलाद इस सीजन का वो किरदार है, जो आपकी आंखें नम करता है। उनका इस सीरीज का किरदार पिछले दो सीजन के किरदार से बिल्कुल अलग है। ‘पंचायत-3’ में प्रहलाद के किरदार की हर तरफ तारीफ हो रही है। फैजल मलिक ने अपने किरदार के इमोशंस को लाजवाब तरीके से पर्दे पर उतारा है। बाकी किरदारों ने भी इसकी कहानी को कस के पकड़े रखा है।

कैसी है सीरीज

‘पंचायत’ सीरीज के सभी एपिसोड देखने के बाद आपको महसूस होने लगेगा कि आप भी किसी गांव में रहते हैं और इस कहानी का हिस्सा हैं जो परेशानियां इस सीरीज में दिखाई गई हैं, वहीं परेशानियां अब अपनी जिंदगी में भी झेल रहे हैं। सीरीज में कई घटनाएं ऐसी दिखाई गई हैं जो आपके दिल में जगह बना लेगी। जैसे मुफ्त का घर पाने के लिए नाटकीय अंदाज में एक बेटा अपनी बूढ़ी मां से लड़ता है, लेकिन उसे घर से बाहर नहीं निकाल पाता। इस मामले में प्रहलाद का हस्तक्षेप और घर के बारे में उसका विचार सीरीज का दिल तोड़ देने वाला पल है। दूसरा गांव की भलाई के लिए प्रहलाद अपने बैंक खाते से 5 लाख रुपए देता है। तीसरा सहायक ऑफिसर विकास से यह कहना कि उन्हें अपने बेटे की पढ़ाई की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह बताता है कि इंसानियत और मासूमियत दोनों जिंदा हैं। इस वेबसीरीज के सारे एपिसोड आपको यह एहसास कराते हैं कि शहरों में जिंदगी भले ही कट सकती है, लेकिन शांति सिर्फ गांवों में ही मिलती है। तो गांव की असल जिंदगी का मजा लेने के लिए देखिए ‘पंचायत’ का तीसरा सीजन।

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