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‘सांड की आंख’ फिल्म का पहला पोस्टर रिलीज हुआ। रिलीज के बाद ही फिल्म अपने विषय और नाम को लेकर चर्चा में आ गई। साथ ही तापसी पन्नूम और भूमि पेडनेकर के नए लुक के बारे में भी खूब चर्चा हुई। अपने लुक को लेकर तो तापसी ने यह कहा भी कि उन्हें अपनी मां की उम्र से भी ज्यादा का दिखना था इसके लिए उन्हें पूरा दिन झुर्रियों वाला मेकअप लगाना पड़ता था।

‘सांड की आंख’ बायोपिक है जिसका अर्थ होता है किसी के जीवन पर रची गई वास्तविक कहानी। यह कहानी उत्तर प्रदेश दो बुजुर्ग महिलाओं की कहानी है जिन्होंने उम्र के आखिरी पड़ाव में बंदूक उठाई और ऐसे निशाने लगाए कि कई सारे मेडल अपने नाम कर लिए। इनके वास्तविक नाम चंद्रो तोमर और प्रकाशी तोमर हैं। इन्हें पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा उम्र की शार्प शूटर के तौर पर जाना जाता है। इनमें प्रकाशी तोमर को ‘रिवाल्वर दादी’ तो चंद्रो तोमर को ‘शूटर दादी’ का उपनाम मिला हुआ है।

ये दोनों ही बागपत जिले के जोहरी गांव से हैं और इनकी उपलब्धि ही है कि इस साल दीपावली में इनके जीवन के ऊपर बनी फिल्म ‘सांड की आंख’ बड़े पर्दे पर आएगी। ‘सांड की आंख’ नाम भी सुनने में बहुत अजीब है लेकिन संभवतः यह अंग्रेजी के फ्रेज ‘बुल्सर आई’ का हिन्दी रूपांतर है जिसका अर्थ होता ‘ठीक बिल्कुल निशाने पर’। फिल्म के नाम से ही लोग इसके बारे में सोचने को मजबूर हो जाएं। शायद इसलिए ही फिल्म का ऐसा नाम रखा गया होगा। खैर इस नाम के पीछे की कहानी यही है या कुछ और वह ट्रेलर आने या फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा। हालांकि साल 2019 बायोपिक फिल्मों के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा है। ‘दि एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’, ‘मणिकर्णिका’, ‘नरेंद्र मादी’, ‘ठाकरे’ जैसी बायोपिक बॉक्स ऑफिस में कुछ खास नहीं कर पाईं। हालांकि कमाई के लिहाज से ‘मणिकार्णिका’ आगे थी, लेकिन जिस तरह से कॉन्ट्रोवर्सी हो रही थी उस प्रकार से बाद में इस फिल्म को उतना हाइप नहीं मिला।

इसलिए शूटर दादी और रिवाल्वर दादी पर बनी इस बॉयोपिक पर ध्यान देने की जरूरत है। वैसे प्रचार तो शुरू कर ही दिया गया है। तापसी और भूमि इंटरव्यू देकर और सोशल मीडिया में गांव की फोटो तथा रोजमर्रा के काम करते हुए फोटो डाल रही हैं। जिससे फिल्म को चर्चा तो मिल रही है। लेकिन इन दो नवोदित अभिनेत्रियों को बुजुर्ग के रूप में देखना दर्शक पसंद करेंगे या नहीं यह कहा जाना बहुत कठिन है।

हालांकि जैसा तापसी और भूमि ने इंटरव्यू में बताया इस रोल के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की, हरियाणा के गांव में जाकर रहीं और गांव में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले हर काम किए जिससे वह अपने लुक और अभिनय को वास्तविक रूप दे सकें। इस दौरान की कुछ फोटो भी दोनों ने सोशल मीडिया में शेयर की जिसमें वह गोबर के उपले बनाते हुए दिखाई दे रही हैं।

खैर इस फिल्म की चर्चा पोस्टर आने के बाद से ही शुरू हो गई है। इसने एक बार फिर दोनों शूटर दादियों को भी खबरों में ला दिया है। उम्मीद है कि फिल्म के प्रचार में दोनों दादी भी जुट जाएं। लेकिन आखिरी रिपोर्ट कार्ड तो बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ही देता है जिसमें यह फिल्म अच्छा करेगी उसकी पूरी संभावनाएं हैं। ‘दि संडे पोस्ट’ की भी शुभकामनांए इस फिल्म को भी और भारत के साथ उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करने वाली शूटर दादी और रिवाल्वर दादी को भी।

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