बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी के पिता और दिवंगत उर्दू कवि कैफी आजमी के जीवन पर बनी फिल्म ‘मी रक़्सम’ 21 अगस्त को ZEE5 पर रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में कैफी आजमी का किरदार नसीरुद्दीन शाह ने निभाया है। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह के अलावा दानिश हुसैन और अदिति सूबेदार अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस फिल्म को शबाना आजमी के भाई और मशहूर सिनेमैटोग्राफर बाबा आजमी डायरेक्ट कर रहे हैं।
वहीं शबाना आजमी ‘मी रक़्सम’ के प्रीमियर पर कहती हैं कि इस कठिन समय में, मी रक़्सम आशा प्रदान करता है और आत्मा को ऊपर उठाता है। सोशल मीडिया पर पोस्टर शेयर करते हुए लिखा है कि ‘मी रक़्सम’ जिसका मतलब ‘आई डांस’ है; जो भावनात्मक रूप से आगे बढ़ने और परिवारिक ड्रामा है। यह प्यार, विश्वास और समाज के खिलाफ एक सपने को जीने पर आधारित है।
फिल्म की कहानी, एक पिता और उसकी युवा बेटी द्वारा साझा किए गए रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है। यह लड़की द्वारा डांसर बनने की सपने की कहानी है, लेकिन मिजवान जैसे छोटे से गांव से तालुख रखने के कारण, हर कोई उसके सपनों और पसंद पर सवाल उठाता है। इन सब में उसके एकमात्र पिता ही थे जो उसके सपने को पूरा करने में उसका साथ देते हैं। बेटी के नृत्य करने की इच्छा के पीछे एक पिता का साथ खड़े होने की प्रेरणादायक कहानी है। इस कठिन समय में मी रक़सम आशा प्रदान करता है और आत्मा को ऊपर उठाता है। मी रक़्सम के प्रीमियर पर शबाना आजमी ने व्यक्त किया।
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “फिल्म की सादगी दर्शकों को अचंभे में डाल देगी। ‘मी रक़्सम’ को बहुत प्यार और पवित्रता के साथ बनाया गया है, यह खूबसूरती से पिता-बेटी के रिश्ते को चित्रित करता है। यह एक बेटी की आकांक्षा और उसके पिता द्वारा समाज के खिलाफ जा कर, उसके सपनों और पसंद का समर्थन करने के बारे में है। यह इस खूबसूरत रिश्ते की ताकत को दर्शाता है। फिल्म का प्रीमियर 21 अगस्त को ZEE5 पर होगा।”
दूसरी ओर शबाना आज़मी कहती हैं, “उनके पिता दिवंगत उर्दू कवि कैफी आजमी, भारत में इस संस्कृति के पथप्रदर्शकों में से एक थे। ये पहली फिल्म है जिसे मैं खुद प्रस्तुत कर रही हूं। ये मेरे पिता कैफी आजमी को श्रद्धांजलि है। ये एक प्रेरणादायक कहानी है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पिता अपनी बेटी के डांस करने के सपने के साथ खड़ा रहता है।”
वहीं फिल्म के निर्देशन बाबा आजमी ने कहा, “एक बार मेरे पिता कैफी आजमी ने मुझसे पूछा था, क्या आपके लिए मिजवान में फिल्म शूट करना संभव है? क्योंकि मेरे पिता का जन्म यूपी के मिजवान गांव में हुआ था। इसके बाद हम दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे, क्योंकि हम दोनों ही जानते थे कि ये एक असंभव काम है। मिजवान एक ऐसा गांव था जिसकी न तो कोई सड़क थी, न कोई सुविधाएं और न ही कोई बुनियादी ढांचा। मेरे पिता का वो प्रश्न हमेशा के लिए मेरे साथ रह गया था। अब कई वर्षों बाद जब मैं ऐसा करने में सक्षम हूं तो मैंने अपने पिता कैफी आजमी को श्रद्धांजलि के तौर पर फिल्म बनाकर अपने निर्देशन करियर की शुरुआत की है।”