फिल्म ‘धड़क’ से बॉलीवुड में एक और स्टार किड्स जाह्नवी कपूर की एंट्री हो गई। जाह्नवी मशहूर अभिनेत्री स्वर्गीय श्रीदेवी एवं निर्माता-निर्देशक बोनी कपूर की किड्स हैं। अभी कई और स्टार किड्स बॉलीवुड में एंट्री के लिए लाइन में हैं। इन स्टार किड्स को लेकर कई बार फिल्म उद्योग में बहस होती रहती है। छोटे शहरों और बॉलीवुड से बाहर की दुनिया से आने वाले कई अभिनेता-अभिनेत्रियां नेपोटिज्म का आरोप लगाती हैं। बॉलीवुड में जब भी कोई नया स्टार किड अपना करियर शुरू कर रहा होता है तो नेपोटिज्म यानि भाई-भतीजावाद की बहस तेज हो जाती है।
‘धड़क’ के रिलीज होने पर भी नेपोटिज्म पर चर्चा खूब हुई। यह फिल्म सुपर हिट तो नहीं रही। मगर इसने औसत बिजनेस जरूर किया। इसलिए नेपोटिज्म की चर्चा कुछ दिनों में ही स्टार किड्स की सफलता-असफलता पर पहुंच गई। इसलिए यहां नेपोटिज्म की अच्छाइयों या कमियों पर बात नहीं करेंगे। बल्कि ऐसे स्टार किड्स की बात करेंगे जो अपने पेरेंट्स की तरह स्टार नहीं बन पाए। इन किड्स ने सफलता से ज्यादा असफलता का स्वाद चखा। इसमें कोई शक नहीं कि स्टार किड्स को लाइट्स, कैमरा और एक्शन विरासत में मिलने की वजह से शुरुआती संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ता। मतलब इन्हें काम के लिए चप्पल नहीं घिसने पड़ते। मगर स्टार बनना उनकी अभिनय क्षमता पर ही निर्भर करता है, क्योंकि अंतिम फैसला तो जनता को ही करना होता है। जनता अपना हीरो चुनते समय इस बात को याद नहीं रखती कि फलां एक्टर या एक्ट्रेस किसी सुपरस्टार का बेटा या बेटी है। जो दर्शकों का दिल जीतता है वो ही जमाना जीतता है। वही स्टार बनता है।
स्टार किड्स को अपने पेरेंट्स की लेगेसी का बोझ और दर्शकों की अपेक्षाएं पहली ही फिल्म से पैकेज के रूप में मिलती हैं। जब ये दर्शकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो दर्शक भी इन्हें ठुकराने में देर नहीं लगाते। कुछ फिल्मों के बाद निर्माता-निर्देशक भी इनसे किनारा करने लगते हैं। यहां कुछ ऐसे ही एक्टर्स के फिल्मी कैरियर को जांचते हैं, जिन्हें फिल्मी दुनिया विरासत में मिली, मगर इस दुनिया में इनकी मौजूदगी ‘गेस्ट अपीयरेंस’ बनकर रह गयी है। मेहमान की तरह कभी- कभी दिखायी देते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। ये उन स्ट्रग्लर एक्टर्स के लिए राहत वाली बात भी है कि आखिर टैलेंट के बिना यहां कोई नहीं टिक सकता। टैलेंट है तभी टिकेंगे नहीं तो गेस्ट बनकर रह जाएंगे।
लव सिन्हा : शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी फिल्मों और पर्सनेलिटी के जरिए एक अलग ही मुकाम पाया है, लेकिन उनके बेटे लव सिन्हा का करियर पहली फिल्म के बाद ही ठहर गया। लव ने 2010 की फिल्म ‘सदियां’ से डेब्यू किया। पर उनका करियर कुछ साल भी नहीं चला। हालांकि डेब्यू के सात साल बाद लव को जेपी दत्ता की फिल्म ‘पलटन’ मिली। यह फिल्म इसी साल रिलीज हो रही है। यह मल्टीस्टारर फिल्म है।
पुरु राजकुमार : अपने समय के अलग स्टाइल और डायलॉग के लिए चर्चित अभिनेता राजकुमार को आज की युवा पीढ़ी भी पसंद करता है। उनकी एकि्ंटग हर किसी को अपना दीवाना बना लेती थी। उनके डायलॉग के अंदाज के सामने कोई नहीं ठहर पाता था। उनके बेटे पुरु राजकुमार ने 1996 की फिल्म ‘बाल ब्रह्मचारी’ से बॉलीवुड में कदम रखा, मगर राज कुमार जैसा असर वो पैदा ना कर सके। आखिरी बार वो अजय देवगन की फिल्म ‘एक्शन जैक्सन’ में दिखाई दिये थे। उससे चार साल पहले सलमान खान की फिल्म ‘वीर’ में भी पुरु नजर आए थे, पर वे अपने अभिनय से दर्शकों को लुभा नहीं पाए।
जाएद खान : अपने दौर के हैंडसम एक्टर- प्रोड्यूसर संजय खान के बेटे जाएद खान ने 2003 की फिल्म ‘चुरा लिया है तुमने’ से फिल्मी पारी शुरू की। मगर, जाएद का करियर उस तरह सेट नहीं हो सका। उन्हें कई फिल्में मिली। जो स्टार किड के कारण ही मिली। मगर कुछ फिल्मों के बाद निर्माता-निर्देशक भी उनसे दूर होने लगे। जाएद का पर्दे पर आना-जाना लगा रहता है। बतौर लीड उनकी आखिरी फिल्म 2015 में आयी ‘शराफत गयी तेल लेने’ है।
राहुल खन्ना : विनोद खन्ना के छोटे बेटे राहुल खन्ना बॉलीवुड में गेस्ट अपीयरेंस ही देते हैं। राहुल की आखिरी स्क्रीन प्रेजेंस 2014 की फिल्म ‘फायर फ्लाइज’ है। इससे पहले वो ‘लव आजकल’ और ‘वेकअप सिड’ में नजर आये थे, जो 2009 में रिलीज हुई थी।
हरमन बावेजा : फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर हैरी बावेजा के बेटे हरमन बावेजा ने 2008 में ‘लव स्टोरी 50-50’ से डेब्यू किया था। इसके बाद वो 2009 में ‘व्हाट्स योर राशि’ और ‘विक्ट्री’ में नजर आए। हरमन को आखिरी बार 2014 में ‘ढिश्कियायूं’ में पर्दे पर देखा गया। मगर, इस फ्लॉप के बाद हरमन अभी तक पर्दे पर नहीं लौटे हैं।
जैकी भगनानी : जैकी भगनानी मशहूर प्रोड्यूसर वाशु भगनानी के बेटे हैं। जैकी ने 2009 की फिल्म ‘कल किसने देखा’ से बतौर हीरो पारी शुरू की। इसके बाद वो 5 फिल्मों में और दिखाई दिये। जैकी आखिरी बार 2015 की फिल्म ‘वेल्कम टू कराची’ में अरशद वारसी के साथ पर्दे पर दिखे। बतौर एक्टर जैकी की स्थिति भी अब बॉलीवुड में मेहमानों जैसी ही है। फिलहाल वो कभी-कभार शॉर्ट फिल्मों में दिख जाते हैं।
महाअक्षय चक्रवर्ती : मिथुन चक्रवर्ती हिंदी सिनेमा के उन एक्टर्स में शामिल हैं, जिन्होंने अपने टेलेंट से नाम कमाया है। मगर, बेटे महाअक्षय चक्रवर्ती पापा की कामयाबी और शोहरत से बहुत पीछे रह गए हैं। 2008 में महाअक्षय ने फिल्म ‘जिम्मी’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया। फिल्म फ्लॉप रही और महाअक्षय के स्टार बनने के सपने टूट गए। फिर भी कोशिशें जारी रखीं। उनकी आखिरी फिल्म ‘इश्के दारियां’ है, जो 2015 में आयी, मगर महाअक्षय आज भी बॉलीवुड के गेस्ट स्टार ही हैं। हाल ही में महाअक्षय की शादी हुई है। महाअक्षय एक यौन दुराचार के मामले में भी फंसे हुए हैं।
फरदीन खान : फिरोज खान के बेटे फरदीन खान ने 1998 की फिल्म ‘प्रेम अगन’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया। शुरू से ही फरदीन का करियर वो रफ्तार नहीं पकड़ सका, जिसकी उनसे उम्मीद थी। फरदीन 2010 की फिल्म ‘दूल्हा मिल गया’ में आखिरी दफा पर्दे पर दिखायी दिये। फिलहाल बतौर लीड एक्टर उनकी वापसी की संभावना बहुत कम है। यानी बॉलीवुड में उनकी प्रेजेंस भी मेहमान की तरह हो चली है।