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कांस में भारत का जलवा

पिछले दो सालों से कोरोना महामारी ने सभी की जिंदगी को अस्त- व्यस्त कर रखा है। ऐसे में दो साल के अंतराल के बाद इस साल फिर से फ्रांस की कांस सिटी में 75वें कांस फिल्म फेस्टिवल यानी फिल्मों के महाकुंभ का आयोजन 17 मई से शुरू हो गया है। इस साल के महोत्सव में भारत एक नई ऊर्जा, शक्ति और ताकत के साथ अपना जलवा बिखेर रहा है। दरअसल, यह फिल्म फेस्टिवल भारत के लिए भी कई मायनों में खास है क्योंकि कांस में भारत कंट्री ऑफ ऑनर है। कंट्री ऑफ ऑनर के रूप में भारत से इंफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्ट मिनिस्टर अनुराग ठाकुर डेलिगेशन को लीड कर रहे हैं। डेलिगेशन में एआर रहमान, पूजा हेगड़े, शेखर कपूर, प्रसून जोशी, मामे खान और रिक्की केज समेत कई लोग शामिल हैं। अभिनेत्री  दीपिका पादुकोण को इस फेस्टिवल का जूरी मेंबर चुना गया है। फेस्टिवल के ओपनिंग डे सेरेमनी में दीपिका पादुकोण, उर्वशी रौतेला, तमन्ना भाटिया, एआर रहमान, पूजा हेगड़े समेत कई भारतीय सेलेब्स ने रेड कॉरपेट पर अपना जलवा बिखेर रहे हैं। हालांकि यह रिवाज इस साल से ही शुरू हुआ है और पहला मौका भारत को मिला है।

गौरतलब है कि देश की आजादी को इस साल 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे, ऐसे में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही भारत सरकार ने भारतीय सिनेमा को भी विश्व पटल तक पहुंचाने का फैसला किया है। इस साल ‘कांस फिल्म फेस्टिवल’ में भारत की ओर से 6 फिल्में प्रदर्शित होंगी। इनमें तमिल, मराठी, मलयालम और हिंदी भाषी फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज शामिल हैं। खास बात यह है कि इस साल खुद केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ‘कांस फिल्म फेस्टिवल’ में मौजूद हैं। उन्होंने एआर रहमान, शेखर कपूर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ कांस रेड कॉरपेट पर वॉक किया। जो अपने आप में एक ऐतिहासिक मौका है जब भारत की ओर से किसी राजनेता ने कांस में वॉक किया है।

राजनीतिक रूप से भी यह मौका भारत के लिए काफी खास है क्योंकि भारत और फ्रांस के राजनयिक संबंधों को भी इस साल 75वर्ष पूरे हो रहे हैं। कांस फिल्म फेस्टिवल का भी यह 75वां साल है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी कांस के शुरू होने से पहले वहां हिस्सा लेने जा रहे सभी सेलेब्स और उनकी टीम को शुभकामनाएं दी। पीएम मोदी ने कहा कि, ‘यह संयोग ही है कि भारत-फ्रांस संबंधों के 75 साल, आजादी के 75 साल और कांस फिल्म फेस्टिवल साथ- साथ मनाया जा रहा है।’

जूरी मेंबर्स में शामिल हैं दीपिका पादुकोण


स्टार एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का जूरी मेंबर्स में शामिल होना इस बात की गवाही देता है कि भारतीय सिनेमा और भारतीय कलाकारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न केवल लोगों के दिलों को जीता है बल्कि उनकी जिंदगियों को छुआ भी है। दीपिका पादुकोण पहली भारतीय अदाकारा हैं, जिन्हें कांस फिल्म फेस्टिवल के जूरी मेंबर्स में शामिल होने का मौका मिला है।

इस साल कांस फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की जाने वाली भारतीय फिल्मों की बात करें, तो इनमें अभिनेता आर ़माधवन के निर्देशन वाली पहली फिल्म ‘रॉकेट्री : द नाम्बी इफेक्ट’ शामिल है जो जुलाई की शुरुआत में रिलीज होनी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जिन पांच अन्य फिल्मों का चयन किया है उनमें निखिल महाजन की मराठी भाषी फिल्म ‘गोदावरी’, शंकर श्रीकुमार की ‘अल्फा बीटा गामा’, बिस्वजीत बोरा की ‘बूम्बा राइड’, अचल मिश्रा की ‘धुइन’ और जयराज की ‘ट्री फुल ऑफ पैरट्स’ जैसी सभी फिल्में कांस फिल्म महोत्सव में दिखाई जाएंगी।

सोशल मीडिया पर छाया कांस फिल्म फेस्टिवल
कई सेलिब्रिटियों ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है। संगीतकार एआर रहमान ने ट्वीट कर लिखा है कि यहां होना एक बड़े सम्मान की बात है। मेरे पास मेरी पहली निर्देशित फिल्म भी है जिसका प्रीमियर कांस एक्सआर में हो रहा है। वहीं फिल्म मेकर शेखर कपूर ने लिखा, ‘हम केवल अतीत का ही नहीं, भविष्य का जश्न मना रहे हैं। जिस तरह से भारत ने डिजिटलीकरण किया है और जिस तरह भारतीय युवा व कंटेंट क्रिएटर दुनिया को जीतने के लिए तैयार है, हम उसका जश्न मना रहे हैं।’
सीबीएफसी के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने एक बयान में कहा है कि ‘भारत हमेशा कांस में आया है। कांस के दो हिस्से हैं, एक बाजार है और दूसरा वह है जहां फिल्मों का प्रदर्शन किया जाता है, दोनों हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह एक खास मौका है क्योंकि भारत सम्मान का देश है। अगला युग भारत का हो सकता है। खासकर भारत से निकलने वाले वैश्विक विचारों के संदर्भ में यह हमारे लिए एक महान त्यौहार होगा और हम सभी इसके लिए तत्पर हैं।

कैसे हुई कांस फेस्टिवल की शुरुआत

कांस फिल्म फेस्टिवल जर्मनी के तानाशाह हिटलर की मनमानी के खिलाफ शुरू हुआ था। यह वो दौर था जब दुनियाभर में महज एक वेनिस फिल्म फेस्टिवल हुआ करता था, अवॉर्ड देने के लिए फिल्म में एकि्ंटग, मेकिंग और कला जैसी चीजों का ध्यान नहीं रखा जाता था। इटली के तानाशाह मुसोलिनी और जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर आपस में ही सलाह कर फिल्मों को अवॉर्ड दे दिया करते थे। दोनों तानाशाहों के रवैये से परेशान होकर फ्रेंच, अमेरिकी और ब्रिटिश ज्यूरी मेंबर ने विरोध किया और इस समारोह से हमेशा के लिए दूरी बना ली। दोनों तानाशाहों की मनमानी का जवाब देने के लिए फ्रांस ने फ्री फेस्टिवल बनाने का निर्णय लिया और 31 मई 1938 में कांस को इस फेस्टिवल की लोकेशन के रूप में फाइनल किया। इसी समय फ्रांस सरकार ने इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दस्तावेजों में साइन कर इसे ऑफिशियल कर दिया। पहले फिल्म फेस्टिवल 1 सितंबर 1939 की घोषणा कर दी गयी। फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत यानी 1 सितंबर 1939 से ठीक एक दिन पहले 31 अगस्त को एक ओपनिंग गाला नाइट रखी गई, जिसमें उस जमाने के तमाम हॉलीवुड स्टॉर पहुंचे थे।
1 सितंबर को जैसे ही समारोह शुरू हुआ तो खबर मिली कि एडोल्फ हिटलर ने पोलैंड पर हमला कर दिया है। नतीजा, पहले दिन ही फेस्टिवल को 10 दिनों के लिए टाल दिया गया था। इसके बाद फेस्टिवल आयोजित करने वालों को युद्ध का माहौल शांत होने का इंतजार था लेकिन स्थिति बद से बदतर होती चली गई। दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया, जो 6 सालों तक जारी रहा। फ्रांस सरकार ने फेस्टिवल
रोकने के निर्देश दे दिए और पहला इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल शुरू होते ही रुक गया। वर्ष 1939 से 1946 के बीच करीब सात साल के इंतजार के बाद 20 सितंबर से 5 अक्टूबर 1946 में दोबारा फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इस बार
फेस्टिवल में 20 देशों ने हिस्सा लिया, जिनकी फिल्मों को पहले कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रेजेंट किया गया।

बजट की वजह से नहीं हुई सेरेमनी
पहली सेरेमनी 1946 की तो ठीक से हो गई थी लेकिन 1947 में दूसरी सेरेमनी में महज 16 देशों ने हिस्सा लिया। वर्ष 1948 में पैसे की कमी के चलते सेरेमनी नहीं हो सकी। 1949 में बहुत काम देशों ने हिस्सा लिया और 1950 में फिर बजट कम पड़ने के चलते सेरेमनी नहीं हुई। बजट को सुधारने के लिए आयोजकों में मंथन हुआ फिर निष्कर्ष निकाला गया कि वेनिस फिल्म फेस्टिवल से सीधी टक्कर से बचा जाए जिसके लिए आयोजकों ने इस फेस्टिवल को सितंबर से टाल कर मार्च से जून के बीच आयोजित किया गया। बड़े पैमाने पर हो रही कवरेज से यह फेस्टिवल मशहूर हुआ और लोग इस फेस्टिवल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे।

कांस फिल्म फेस्टिवल में भारत की एंट्री

वर्ष 1984 में भारत, चीन, सहित न्यूजीलैंड, फिलीपींस, अर्जेंटीना, क्यूबा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को ऑफिशियली कांस फिल्म फेस्टिवल में जगह मिली। कांस फिल्म फेस्टिवल में एंट्री मिलते ही पहली बार ग्रांड प्रिक्स अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म ‘नीचा नगर’ थी। यह इकलौती भारतीय फिल्म है जिसने पाम डीओर अवॉर्ड जीता है। इसे वर्ष 1946 में पहला कांस फिल्म
फेस्टिवल में सम्मानित किया गया था।

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