
‘वैलेंटाइन’ 14 फरवरी किसी दिन का नाम नहीं है, यह नाम है एक पादरी (Priest) का, जो कि रोम में रहता था, उस वक्त रोम पर Claudius का शासन था, जिसकी इच्छा थी, कि वह एक शत्तिफ़शाली शासक बने, जिसके लिए उसे एक बहुत बड़ी सेना बनानी थी, लेकिन उसने देखा कि रोम के वो लोग जिनका परिवार है, जिनके बीवी और बच्चे है, वो सेना में नहीं जाना चाहते, तब उस शासक ने एक नियम बनाया, जिसके अनुसार उसने भविष्य में होने वाली सभी शादी पर प्रतिबन्ध लगवा दिया। यह बात किसी को ठीक नहीं लगी, पर उस शासक के सामने कोई कुछ नहीं कह पाया। यह बात पादरी वैलेंटाइन को भी ठीक नहीं लगी- एक दिन एक जोड़ा आया, जिसने शादी करने की इच्छा जाहिर की, तब पादरी वैलेंटाइन ने उनकी शादी चुपचाप एक कमरे में करवाई- लेकिन उस शासक को पता चल गया और उसने पादरी वैलेंटाइन को कैद कर लिया और उसे मौत की सजा सुनाई गई।
ऐसे ही प्यारे अहसास को जब एक त्यौहार ‘वैलेंटाइन डे’ के रूप में मनाया जाता है, तब वह दिन एक यादगार दिन बन जाता है।
जीवन में जब सब कुछ प्यार ही है, तो इस अनमोल अहसास को वक़्त देना भी बहुत जरुरी है और वत्तफ़ शायद इस भाग दौड़ की दुनिया में कही खो गया है, वत्तफ़ एक ऐसा पंछी है, जो अगर हाथ से निकल गया, तो वापस नहीं आता और जिन्दगी में वत्तफ़ सुन्दर यादों में ही कैद हो पाता है।

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- मनोज चौधरी