बाॅलीवुड के मशहूर डायरेक्टर संजय लीला भंसाली एक बार फिर बाॅक्स आफिस पर जादू बिखेरने वाले हैं। भंसाली अपनी आगामी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को लेकर इन दिनों चर्चा में हैं। फिल्म का निर्देशन भंसाली ने किया और कहानी हुसैन जैदी की किताब ‘माफिया क्वीन आफ मुंबई’ पर आधारित है। फिल्म की मुख्य भूमिका में आलिया भट्ट हैं। दरअसल गंगूबाई के गोद लिए हुए बेटे बाबूजी रावजी शाह ने भंसाली, एक्ट्रेस आलिया भट्ट और किताब के लेखक हुसैन जैदी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था जिसको मुंबई की एक अदालत ने खारिज कर दिया था। गंगूबाई के बेटे ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि गंगूबाई फिल्म बनाने और उसके रिलीज पर रोक लगाई जाए।
उनके बेटे ने कहा था कि इससे गंगूबाई की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचेगी। लेकिन अदालत ने गंगूबाई फिल्म पर किसी तरह की रोक लगाने से मना कर दिया। अब फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ हो गया है। फिल्म का टीजर यूट्यूब पर आ चुका है। फिल्म को लेकर जिस तरह के क्यास लगाए जा रहे थे, टीजर में वैसा कुछ दिखा नहीं। टीजर के शुरू होते ही बैकग्रांउड म्यूजिक में आवाज चल रही है कमाठीपुरा में कभी रात नहीं होती, क्योंकि यहां गंगूबाई रहती है। गंगू चांद थी और चांद ही रहेगी। लेकिन फिल्म वास्तव में कैसी है यह तो पूरी फिल्म जब रिलीज होगी, उसे देखने के बाद दर्शक ही तय करेंगे। सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि कौन थी गंगूबाई काठियावाड़ी जिसकी चर्चा फिल्म को लेकर हो रही है।
कौन थी गंगूबाई काठियावाड़ी?
फिल्म की कहानी 1960 के दशक पर सेट है। गंगूबाई 1960 में मुंबई के काठियावाडी में वेश्यालयय चलाती थी। उनका असली नाम हरजीवनदास काठियावाडी था। गंगूबाई का जन्म गुजरात में हुआ था और वह वहीं पली-बढ़ीं। ऐसा नहीं था कि गंगूबाई किसी निर्धन परिवार से थी। एक पढ़े-लिखे और वकालत के पेशे से संबंध रखने वाले परिवार से गंगूबाई थी। गंगू को एक रमणीकलाल नाम के अकाउंटेंट से प्यार हो जाता है। परिवार लड़के को पंसद नहीं करता और गंगूबाई परिवार छोड़कर मुंबई भाग जाती है। लेकिन जिस लड़के से गंगूबाई को प्यार होता है वह उसे मात्र 500 रुपए में कमाठीपुरा में बेच देता है। इस बात से गंगूबाई को काफी गहरा धक्का लगता है। वह वापस अपने घर भी नहीं लौट सकती, क्योंकि परिवार वाले उन्हें अब स्वीकार नहीं करेंगे। समय की मजबूरी और हालात को देखते हुए गंगूबाई कमाठीपुरा में सेक्स वर्कर का काम करने लगती है। ना ही वह गैंगस्टर थी, न ही अंडरवल्र्ड का हिस्सा थी। समय बीता और गंगूबाई कमाठीपुरा के कोठे की सबसे चर्चित सेक्स वर्करों की लिस्ट में शुमार हो गई। इस तरह वह गंगा से गंगूबाई मैडम बन गई। इसके बाद गंगूबाई कमाठीपुरा के घरेलू चुनाव में उतरी और जीत गई।
वर्ष 1960 और 70 के दशक में उनका काफी नाम पाॅपुलर हो गया। वह अपनी सेक्स वर्कर के लिए मां बन गई। उसने कोठा चलाने वाली मैडमों का प्रभाव खत्म कर दिया। गंगूबाई सुनहरे किनारे वाली सफेद साड़ी, सुनहरे बटन वाला ब्लाउज और सुनहरा चश्मा भी पहनती थी, वह कार से चला करती थी। इसके अलावा गंगूबाई को सोने के आभूषण पहनने का काफी शौक था। गंगूबाई का बचपन में सपना था कि वह एक अभिनेत्री बनेगी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। अभिनेत्री तो वह नहीं बन पाई, लेकिन एक अभिनेत्री जैसी शोहरत उन दिनों उसने जरूर हासिल कर ली थी। उसने बेसहारा लड़कियों को वापस उनके घर भेजा, जिन्हें जबरदस्ती वेश्यालय में बेचा गया था। वह हमेशा सेक्स वर्कर के मुद्दों को उठाती रहती थी। उसका मानना था कि शहरों में सेक्स वर्कर के लिए जगह उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।
करीम लाला से संबंध
गंगूबाई का नाम करीम लाला से जुड़ा हुआ है। इसके पीछे काफी दिलचस्प कहानी है। अगर आपने ‘शूटआॅउट बाटला हाउस’ फिल्म देखी है तो उसमें एक सीन आता है जब जाॅन अब्राइम कोठे पर जाते हैं और एक व्यक्ति सेक्स वर्कर के साथ बदतमीजी से पेश आता है, जिसे देखकर जाॅन को गुस्सा आता है और वह उस व्यक्ति को मारते हैं। हालांकि जिस सेक्स वर्कर के लिए जाॅन बदतमीजी करने वाले व्यक्ति को मारते हैं वह डाॅन की रखैल होती है। वैसे ही कुछ गंगूबाई के साथ होता है। एक पठान गंगू के साथ वेश्यालय में बदतमीजी करता है और सेक्स करने के बाद पैसे नहीं देता। एक बार तो गंगूबाई को पठान इतनी चोट पहुंचाता है कि उसे अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। उसके बाद गंगूबाई उनके खिलाफ जानकारी एकत्रित करती है और जानकारी से पता चलता है कि उस पठान का संबंध करीम लाला गैंग से था। उस समय करीम लाला गैंग का काफी बोलबाला था। पठान की शिकायत लेकर गंगूबाई करीम लाला के पास पहुंचती है और उसे सारी सच्चाई बताती है। सच्चाई सुनने के बाद लाला गंगू को अपनी बहन बना लेता है और उन्हें सुरक्षा का वादा करता है। अगली बार जब पठान वेश्यालय पहुंचता है तो उसकी जमकर पिटाई की जाती है जिसके बाद गंगूबाई का दबदबा इलाके में और बढ़ जाता है।
नेहरू से मुलाकात
वर्ष 1960 के दशक में कमाठीपुरा में एक गल्र्स स्कूल शुरू हुआ। गल्र्स स्कूल होने के कारण उन्होंने आवाज उठाई कि वेश्यालय को बंद करना चाहिए, क्योंकि इससे छोटी बच्चियों पर बुरा असर पड़ता है। गंगूबाई इस बात से सहमत नहीं हुई और इसके खिलाफ आवाज उठाई और स्कूल को आगे ले जाने के लिए कहा। इसके लिए उसने अपनी सारी राजनीतिक ताकत लगा दी। जिस भी राजनीतिक व्यक्ति से गंगू का संबंध था सभी से मदद की गुहार लगाई। इसी गुहार के चलते उन्होंने देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात का समय मांगा।
आधिकारिक तौर पर यह मीटिंग कहीं दर्ज नहीं हुई, लेकिन लेखक ने अपनी किताब में इस किस्से का जिक्र किया है। जैदी ने ‘माफ़िया क्वीन्स आफ मुंबई’ में लिखा, ”इस मुलाकात में गंगूबाई की सजगता और स्पष्ट विचारों से नेहरू भी हैरान रह गए। नेहरू ने उनसे सवाल किया था कि वो इस धंधे में क्यों आईं, जबकि उन्हें अच्छी नौकरी या अच्छा पति मिल सकता था।’’ ऐसा कहा जाता है कि गंगूबाई ने उसी मुलाकात में तुरंत नेहरू के सामने प्रस्ताव रखा। उसने नेहरू से कहा कि अगर वो उन्हें (गंगूबाई) को पत्नी के रूप में स्वीकार करने को तैयार हैं तो वह ये धंधा हमेशा के लिए छोड़ देगी।
मुलाकात खत्म होने पर नेहरू ने गंगूबाई से वादा किया कि वो उनकी मांगों पर ध्यान देंगे। प्रधानमंत्री ने जब खुद इस पर हस्तक्षेप किया तो कमाठीपुरा से वेश्याओं को हटाने का काम कभी नहीं हो पाया। फिल्म को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता बनी हुई है। आलिया के अलावा फिल्म में अजय देवगन और विक्रांत मुख्य किरदारों में हैं। पैन मूवीज और भंसाली प्रोडक्शन इस फिल्म को प्रोड्यूस कर रहे हैं। फिल्म 30 जुलाई 2021 को रिलीज होगी।