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गंगूबाई काठियावाड़ी हाजिर हो?

संजय लीला भंसाली की अपकमिंग फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ रिलीज से पहले विवादों में घिर गई है। फिल्म की एक्ट्रेस आलिया भट्ट, निर्देशक संजय लीला भंसाली और फिल्म के राइटर को मुंबई की मझगांव कोर्ट ने समन जारी किया है। इन सभी को 21 मई को कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया है। गंगूबाई के 4 अडॉप्टेड बच्चों में से एक बाबूजी रावजी शाह ने हुसैन जैदी (जिनकी बुक ‘माफिया क्वीन ऑफ मुंबई’ को कहानी का आधार बनाया गया), एक्ट्रेस आलिया भट्ट और डायरेक्टर संजय लीला भंसाली के खिलाफ केस फाइल किया था। अदालत ने इसी मामले की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया है। अदालत ने इससे पहले आलिया, भंसाली और किताब के रायटर से जवाब तलब किया था।

बाबूजी रावजी शाह का कहना है कि जबसे फिल्म के पोस्टर्स और प्रोमो आए हैं, तबसे उनके इलाके के लोग उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। इसकी वजह से उनके एक पैर में फ्रैक्चर भी हो गया है। उनके मुताबिक, न केवल उन्हें, बल्कि उनके परिवार और रिश्तेदारों को भी ‘वेश्या के परिवार वाले’ कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है। हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक अमीन पटेल ने फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ का नाम बदलने की मांग की थी। उनका कहना थी कि इससे काठियावाड़ शहर की छवि खराब होगी।

फिल्म की कहानी 1960 के दशक पर सेट है। गंगूबाई 1960 में मुंबई के काठियावाडी में वेश्यालयय चलाती थी। उनका असली नाम हरजीवनदास काठियावाडी था। गंगूबाई का जन्म गुजरात में हुआ था और वह वहीं पली-बढ़ीं। ऐसा नहीं था कि गंगूबाई किसी निर्धन परिवार से थी। एक पढ़े-लिखे और वकालत के पेशे से संबंध रखने वाले परिवार से गंगूबाई थी। गंगू को एक रमणीकलाल नाम के अकाउंटेंट से प्यार हो जाता है। परिवार लड़के को पंसद नहीं करता और गंगूबाई परिवार छोड़कर मुंबई भाग जाती है। लेकिन जिस लड़के से गंगूबाई को प्यार होता है वह उसे मात्र 500 रुपए में कमाठीपुरा में बेच देता है। इस बात से गंगूबाई को काफी गहरा धक्का लगता है। वह वापस अपने घर भी नहीं लौट सकती, क्योंकि परिवार वाले उन्हें अब स्वीकार नहीं करेंगे। समय की मजबूरी और हालात को देखते हुए गंगूबाई कमाठीपुरा में सेक्स वर्कर का काम करने लगती है। ना ही वह गैंगस्टर थी, न ही अंडरवल्र्ड का हिस्सा थी। समय बीता और गंगूबाई कमाठीपुरा के कोठे की सबसे चर्चित सेक्स वर्करों की लिस्ट में शुमार हो गई। इस तरह वह गंगा से गंगूबाई मैडम बन गई। इसके बाद गंगूबाई कमाठीपुरा के घरेलू चुनाव में उतरी और जीत गई।

वर्ष 1960 और 70 के दशक में उनका काफी नाम पाॅपुलर हो गया। वह अपनी सेक्स वर्कर के लिए मां बन गई। उसने कोठा चलाने वाली मैडमों का प्रभाव खत्म कर दिया। गंगूबाई सुनहरे किनारे वाली सफेद साड़ी, सुनहरे बटन वाला ब्लाउज और सुनहरा चश्मा भी पहनती थी, वह कार से चला करती थी। इसके अलावा गंगूबाई को सोने के आभूषण पहनने का काफी शौक था। गंगूबाई का बचपन में सपना था कि वह एक अभिनेत्री बनेगी। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। अभिनेत्री तो वह नहीं बन पाई, लेकिन एक अभिनेत्री जैसी शोहरत उन दिनों उसने जरूर हासिल कर ली थी। उसने बेसहारा लड़कियों को वापस उनके घर भेजा, जिन्हें जबरदस्ती वेश्यालय में बेचा गया था। वह हमेशा सेक्स वर्कर के मुद्दों को उठाती रहती थी।

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