‘परमाणु बम के जनक’ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर पर आधारित फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ रिलीज हो गई है। इसका निर्देशन किया है क्रिस्टोफर नोलन ने। फिल्म को दर्शकों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है जिसकी गवाही फिल्म की कमाई दे रही है। मगर तारीफों के बीच यह फिल्म ‘भगवद् गीता’ का बेजा उपयोग करने के आरोपों से घिर चुकी है। आलम यह है कि इस विवाद के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को हस्तक्षेप करना पड़ा है। ठाकुर ने न सिर्फ फिल्म से उस सीन को हटाने का निर्देश दिया है, बल्कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को भी आड़े हाथों लिया है
दितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी में छह और नौ अगस्त, 1945 को अमेरिका ने परमाणु हमला किया था। इस हमले से मची तबाही इतिहास की सबसे विनाशकारी घटना साबित हुई जिसमें लाखों लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। हमले की 78वीं बरसी से चंद दिनों पहले ‘परमाणु बम के जनक’ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर पर आधारित फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ रिलीज हो गई है। इसका निर्देशन किया है क्रिस्टोफर नोलन ने। रिलीज के बाद इसे दर्शकों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। इसके साथ ही दर्शक पूरे उत्साह के साथ फिल्म देखने सिनेमाघरों का रुख कर रहे हैं, जिसकी गवाही फिल्म की कमाई दे रही है। मगर तारीफों के बीच यह यह विवादों के घेरे में आ गई है। आलम यह है कि फिल्म को लेकर उठे विवाद के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। ठाकुर ने न सिर्फ फिल्म से उस सीन को हटाने का निर्देश दिया है, बल्कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को भी आड़े हाथों लिया है। अनुराग ने इस आपत्तिजनक सीन पर सीबीएफसी से जवाब मांगा है। साथ ही निर्माताओं को इस विवादित सीन को तुरंत हटाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर यूजर्स जमकर विरोध कर रहे हैं। भारतीय सिनेमा जगत की हस्तियां भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही हैं। ऐसे में सवाल है कि आखिर इस फिल्म में ऐसा क्या है जिसे लेकर विवाद हो रहा है?
दरअसल भारतीय सिनेमाघरों में बीते 22 जुलाई को रिलीज हुई इस फिल्म के एक दृश्य की वजह से सारा विवाद शुरू हुआ है। ‘ओपेनहाइमर’ के एक सीन में अपने निजी पलों के दौरान लीड हीरो (सिलियन मर्फी) संस्कृत में लिखा एक वाक्य पढ़ते नजर आ रहे हैं। ऐसा दावा किया जा रहा है कि हीरो द्वारा पढ़ी गईं ये लाइनें भगवद् गीता से हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर विरोध के सुर गूंज रहे हैं और फिल्म से इस दृश्य को हटाए जाने की मांग की जा रही है।
यह फिल्म उस व्यक्ति की कहानी बताती है, जिसने परमाणु बम बनाने में मदद की और अपने बाकी जीवन में उसके घातक परिणामों को लेकर दुनिया को जागरूक करता रहा। फिल्म की शुरुआत एक साइकोलॉजिकल हॉरर-इन्वेस्टिगेटिव थ्रिलर की तरह होती है। कैसे ‘ओपेनहाइमर’ के नेतृत्व में अमेरिकी सेना ‘ट्रिनिटी’ कोड नाम से दुनिया का पहला परमाणु परीक्षण करती है और परीक्षण के बाद कैसे एक इंसान की खोज उसके विनाश का सबसे बड़ा कारण बन जाती है। अभिनेता मर्फी ने जे रॉबर्ट के जीवन का किरदार बखूबी निभाया है जिसकी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही है लेकिन इस फिल्म की भारत में आलोचना भी हो रही है। फिल्म के अंतरंग सीन्स के दौरन संस्कृत का एक श्लोक पड़ने पर उठा विवाद बढ़ता ही जा रहा है।
फिल्म में क्या है खास
‘टेनेट’, ‘इंसेप्शन’ और ‘इंटरस्टेलर’ जैसी फिल्में बना चुके क्रिस्टोफर नोलन कहानी को हमेशा नए और अनूठे अंदाज में पेश करते हैं। फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ भी नोलन की एक मास्टरपीस फिल्म है। नोलन ने न सिर्फ इस फिल्म को निर्देशित किया है, बल्कि इसकी स्क्रीनप्ले भी लिखी है। आलोचक इस फिल्म को अविश्वसनीय, डरावना और बेहतरीन बता रहे हैं। आलोचकों का यह भी कहना है कि डायरेक्टर ने फिल्म में एक पर्सनल टच भी रखा है, जो कहानी को दर्शकों से जोड़ने में मददगार साबित होता है। फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है जे रॉबर्ट के जीवन के आगे और पीछे की कहानी जुड़ती चली जाती है। साथ ही जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के उस दर्द को भी कुरेद दिया, मानव द्वारा रचित इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी जिसमें लाखों लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। इस फिल्म के जरिए उस गुप्त ऑपरेशन के बारे में बताया गया है, जिससे लाखों लोगों की मौत हो गई थी। फिल्म की कहानी ‘ओपेनहाइमर’ की जिंदगी, उनके शोध और उनके खुद की मनोवैज्ञानिक लड़ाई पर आधारित है। उन्होंने एक ऐसे हथियार की परिकल्पना कर उसे बनाया, जो दुनिया को बचाने के लिए इस दुनिया को ही खत्म करने की क्षमता रखता है। हालांकि फिल्म परमाणु बम को लेकर नहीं बनाई गई है, बल्कि ये फिल्म जे रॉबर्ट के जीवन पर आधारित है। फिल्म में क्रिस्टोफर नोलन के डायरेक्शन की तारीफ तो करनी होगी, उन्होंने शुरू से लेकर अंत तक कहानी को दिलचस्प बनाए रखा है। पूरी फिल्म आपको सीट पर बैठे रहने पर मजबूर कर देती है।
क्यों हो रहा हैं भारत में विरोध
फिल्म ‘ओपेनहाइमर’ पिछले हफ्ते भारतीय सिनेमाघरों में रिलीज हुई। इस फिल्म में एक सीन ऐसा है जिसमें हीरो हीरोइन के साथ जब काम वासना के दौरान अभिनेत्री जीन (फ्लोरेंस पग) की नजर अभिनेता ओपेनहाइमर (किलियन मर्फी) की बुक शेल्फ पर पड़ती है। वह देखती है कि दुनिया भर की साइंस से जुड़ी किताबों के बीच एक अलग-सी किताब रखी है। वह इस किताब को उठाकर लाती है और ‘ओपेनहाइमर’ से पूछती हैं ये क्या है। ‘ओपेनहाइमर’ इसे संस्कृत भाषा की किताब बताता है और इस किताब को पढ़ने के लिए कहता है। फिल्म के सीन में दिखाया गया है कि ओपेनहाइमर अपने साथी के साथ निजी पलों के दौरान जोर-जोर से भगवद् गीता पढ़ता है। इसी सीन की वजह से यह फिल्म विवादों में घिर गई है। इस सीन को लेकर ही दर्शक सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं। इस फिल्म का विरोध आम दर्शक ही नहीं बल्कि कई स्टार भी इसके विरोध में कूद गए हैं। दर्शकों ने सेंसर बोर्ड की लापरवाही पर खूब टिप्पणियां की हैं।
सेंसर बोर्ड की लापरवाही
सिनेमा पर कुछ भी दिखाने से पहले बहुत सारी सावधानियां बरतनी होती हैं। फिल्म में कुछ ऐसा तो नहीं है जिसको दिखाने से किसी की धार्मिक भावना आहत न हो यानी की फिल्म के कंटेंट पर नजर बनाए रखने के लिए एक वैधनिक संस्था बनाई गई है जिसे सीबीएफसी या सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन कहा जाता है। यह संस्था इस बात पर खास ध्यान देती है कि किसी फिल्म में संवाद या फिर किसी दृश्य के द्वारा कोई भी ऐसा संदेश लोगों तक न पहुंचे, जिससे धार्मिक उन्माद भड़क सकता है, देश की शांति भंग हो या फिर किसी दृश्य से कोई विचलित हो सकता हो। ऐसे दृश्यों को हटाने के लिए यह संस्था फिल्म मेकर को बोलती है और ऐसे दृश्य हटाने के बाद ही उस फिल्म को सिनेमाघरों में दिखाने के लिए सर्टिफिकेट दिया जाता है।
‘ओपनहाइमर’ को भी भारत में दिखाने के लिए पहले सर्टिफिकेट लिया गया था। अब दर्शक इस बात पर सवाल कर रहे हैं कि फिल्म के रिलीज से पहले जब फिल्म की एक्टर सिलियन मर्फी ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान खुलासा किया था कि इस फिल्म की तैयारी के लिए उन्होंने भगवद् गीता का पाठ किया। मीडिया में ये भी खबरें आईं थी कि खुद वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर गीता से प्रभावित थे और उन्होंने संस्कृत सीखी थी। ये खबरें आने के बाद भी सेंसर बोर्ड ने फिल्म में क्या चेक किया? कैसे फिल्म को भारत के सिनेमाघरों दिखाने की इजाजत दी गई?
एक्शन में सूचना एवं प्रसारण मंत्री
फिल्म पर बढ़ते विवाद के बाद अब सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अनुराग ठाकुर ने सीबीएफसी को आड़े हाथ लेते हुए इस आपत्तिजनक सीन पर सेंसर बोर्ड से जवाब मांगा है। और फिल्म से उस सीन को हटाने का निर्देश भी दिया है।
सूचना आयुक्त ने लिखा खुला पत्र
भारत सरकार के सूचना आयुक्त एवं ‘सेव कल्चर, सेव इंडिया’ फाउंडेशन के संस्थापक उदय माहुरकर ने भी फिल्म निर्देशक नोलन को एक खुला पत्र लिख चुके हैं। इसमें उन्होंने आपत्ति जताते हुए फिल्म से दृय को हटाने की अपील की है। माहुरकर ने लिखा, ‘हम अरबों हिंदुओं और पूज्य गीता द्वारा जीवन बदलने की शाश्वत परंपरा की ओर से आग्रह करते हैं कि वे इस पूज्य पुस्तक की गरिमा बनाए रखने और दुनियाभर में अपनी फिल्म से इस दृश्य को हटाने के लिए हर संभव प्रयास करें। यदि आप इस अपील को नजरअंदाज करते हैं तो इसे भारतीय सभ्यता पर जान-बूझकर किया गया हमला माना जाएगा।’