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बॉयकॉट के बावजूद भी ब्रह्मास्त्र का चला जादू 

हिंदी सिनेमा में काफी समय से चल रहे बायकॉट ट्रेंड के कारण कई साल से आ रही फिल्मों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है। बॉयकॉट ट्रेंड के निशाने पर लगातार आई फिल्मों पर इसके काफी कुप्रभाव देखे गए हैं। 9 सितम्बर को रिलीज हुई ‘ब्रह्मास्त्र’ फिल्म को भी रिलीज से पहले बायकॉट किया गया, लेकिन बॉयकॉट होने के बावजूद भी यह फिल्म पहले दिन से ही अच्छा प्रदर्शन कर रही है। यह हिंदी सिनेमा की अब तक की सबसे महंगी फिल्म बताई जा रही है। ब्रह्मास्त्र रिलीज के बाद तीन दिन के अंदर-अंदर 100  करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। इस फिल्म के निर्देशक अयान मुखर्जी को ब्रह्मास्त्र की कहानी को परदे तक लाने में 11 सालों का लंबा समय लगा है। जिस कारण दर्शकों को भी इस फिल्म का लम्बे समय से इंतज़ार था। ब्रह्मास्त्र फिल्म के जैसी स्टोरी केवल हॉलीवुड में देखने को मिलती है लेकिन बॉलीवुड में इस तरह का पहला प्रदर्शन काफी प्रभावी दिखाई दे रहा है। 

 
एडवेंचर जॉनर वाली कहानियां बॉलीवुड फिल्मकारों को बहुत कम ही अपील कर पायी हैं, हालांकि हॉलीवुड के इस जॉनर पर बनी फिल्मों का भारत बहुत बड़ा बाजार है, इसलिए भारत में हॉलीवुड एडवेंचर और एक्शन फिल्मों को काफी पसंद किया जाता है। ऐसे में अयान मुखर्जी की यह शुरुआत तारीफ के काबिल हैं, कि उन्होंने बॉलीवुड में कुछ अलग और खास करने की कोशिश की है। अयान की यह फ़िल्म कहानी के लिहाज से थोड़ी कमज़ोर रह गयी है, लेकिन यह दर्शकों को एक कमाल का सिनेमैटिक अनुभव देती है। फिल्म के टीज़र रिलीज होने के बाद लोगों में ब्रह्मास्त्र फिल्म को लेकर इतना क्रेज़ बढ़ा, कि फिल्मे के पहले शो की टिकट रिलीज से पहले ही रिज़र्व करली गई थी।

क्या है ब्रह्मास्त्र की कहानी 

अयान मुखर्जी ने प्रभात खबर के साथ अपने खास इंटरव्यू में इस बात को स्वीकार किया था कि मार्वल सीरीज की फिल्में उनकी प्रेरणा रही हैं, तो मार्वल सीरीज की फिल्मों की तरह इस फिल्म में भी दुनिया को बचाने की लड़ाई को दिखाया गया है। ब्रह्मास्त्र एक ऐसा अस्त्र दिखाया गया है जिसमे दुनिया को ख़तम करने की जादुई शक्तियां है जिसे, कुछ बुरी शक्तियां हासिल करना चाहती है ताकि वह अपने ब्रहदेव को जगा सकें, और उसे सर्वशक्तिशाली बना सकें। ब्रह्मदेव जो ब्रह्मस्त्र को हासिल करने की ज़िद्द में अपनी पत्नी से लड़ जाते हैं जिसके बाद पवित्र शक्तियों द्वारा उन्हें बड़े से मिटटी के पुतले में बदल देती हैं। ब्रह्मदेव की शक्तियों को भी ब्रह्मस्त्र के अंदर दफ़न कर दिया जाता है। उसी ब्रह्मस्त्र को पाने और रक्षा करने की कहानी को इस फिल्म में दिखाया गया है। 
 
ब्रह्मदेव के लिए काम कर रही जूनून (मोनी रॉय) एक के बाद एक ब्रह्मास्त्र के रक्षकों को मारकर उनसे ब्रह्मास्त्र के टुकड़ों को हासिल करती है।  शिवा (रणबीर कपूर) इन सब घटनाओं को अपने सपनों में देखता है, मगर वह इसे हकीकत मानने से इनकार करता है। शिवा अपनी शक्तियों से भी अंजान है। इन शक्तियों को जानने और खुद की असलियत को पहचानने के लिए वह ब्रह्मास्त्र के रक्षकों के गुरु (अमिताभ बच्चन) से मिलता है जो उसे बताते हैं की वह खुद एक ब्रह्मास्त्र है। और यही से उसके जीवन के लक्ष्य की शुरुआत होती है।
स्क्रिप्ट में हुई चूक

 इस फ़िल्म की स्क्रिप्ट की खूबियों और खामियों की बात करें तो अयान की यह फ़िल्म मॉडर्न दौर में स्थापित होने के बावजूद काल्पनिक ही सही पौराणिक दुनिया को भी कहानी से जोड़ती है। जो इस फ़िल्म को अलग बनाती है। फ़िल्म की कहानी में ज़्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है,लेकिन यह आपको 
 आखिरी   तक बांधे रखती है।  इस पूरी फ़िल्म की कहानी में ब्रह्मास्त्र की शक्ति से बड़ी प्यार की शक्ति को बताया गया है। ईशा और शिवा के प्यार की शक्ति को आखिर में ब्रह्मास्त्र के ऊपर जीत को दिखाया गया है, लेकिन यह रोमांस अपील नहीं करता है, उनका पहली नज़र में प्यार हो जाना थोड़ा अजीब लगता है।
अभिनय की चर्चा 

यह फिल्म रणबीर कपूर और आलिया भट्ट के इर्द गिर्द बुनी गयी है। उन्होंने अपने किरदारों को बखूबी जिया है। परदे पर दोनों बहुत आकर्षक नज़र आए हैं। मौनी रॉय फ़िल्म में लीड नकारात्मक भूमिका को बखूबी निभाया है। अमिताभ बच्चन अपने दृश्यों में लाजवाब रहे हैं हालांकि फिल्म में उन्हें कम स्पेस मिली है। साउथ सुपरस्टार नागार्जुन और शाहरुख़ खान की भूमिका भी चंद मिनटों की है। डिंपल कपाड़िया तीन दृश्यों में हैं,तो  शाहरुख खान अपने 15 मिनट के गेस्ट अपीयरेंस में ज़रूर दिल जीत ले जाते हैं।
सितारों से सजी इस फ़िल्म का सबसे अहम स्टार वीएफएक्स है। इस फ़िल्म की वीएफएक्स टीम बधाई की पात्र है। हॉलीवुड की सुपरहीरोज वाली फिल्मों के वीएफएक्स को भले ही पार नहीं कर पाएं हैं, लेकिन इस फ़िल्म को उसके नजदीक तक ज़रूर लेकर गए हैं। फ़िल्म के स्पेशल इफेक्ट्स लाजवाब हैं।  फ़िल्म में ऐसे दृश्यों की भरमार है, जो आपको तालियां बजाने को मजबूर कर देंगे। फ़िल्म का चेसिंग दृश्य लाजवाब  बन गया है। फ़िल्म का कैमरावर्क फ़िल्म को खास बनाता है।  तकनीकी रूप से यह बहुत ही समृद्ध फ़िल्म है। स्क्रीन ब्लैकआउट वाला एक्सपीरिएंस काफी अलग है।

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