पनामा पेपर्स मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन से 6 घंटों तक पूछताछ की है। पनामा पेपर्स मामला वर्ष 2016 में सामने आया था जिसमें भारत समेत दुनिया भर के अमीर और प्रभावशाली लोगों की टैक्स फ्री देशों में मौजूद संपत्तियों की जानकारी दी गई थी। ‘दैनिक द इंडियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐश्वर्या राय बच्चन पर ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में अमीर पार्टनर्स नाम की एक कंपनी खोलने का आरोप है। इसके अलावा उन पर अपने पति अभिषेक बच्चन के विदेशी बैंक अकाउंट में बड़ी मात्रा में पैसा जमा कराने का भी आरोप है। इसीलिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। ऐश्वर्या राय बच्चन को तीसरी बार समन मिलने के अंतर्गत पूछताछ के लिए बुलाया गया था। पिछले दो मौकांे पर ऐश्वर्या ने पूछताछ से छूट मांगी थी। गौरतलब है कि पनामा पेपर्स मामले में ही अभिनेता अमिताभ बच्चन का नाम भी सामने आ चुका है।
क्या है पनामा पेपर्स?
‘पनामा पेपर्स’ सत्तर देशों के 370 स्वतंत्रपत्रकारों द्वारा कालेधन की पड़ताल बाद जारी की गई विस्फोटक रिपोर्ट है जिसमें वर्ष 2016 में दुनिया भर के उन लोगों का खुलासा किया था जिन्होंने पनामा की लॉ कंपनी
‘मोसाक फोन्सेका’ की मदद से विदेशों में अपनी संपत्तियां बनाई थी। जिन देशों में ये संपत्तियां बनाई गई, उन्हें टैक्स हैवन कहा जाता है। इन देशों की कानून व्यवस्था पैसा जमा करवाने वाले की असल पहचान छुपाने में मदद करती है। पनामा पेपर्स से पता चला कि भारतीय कानूनों के तहत इजाजत न होने के बावजूद कुछ भारतीयों ने पनामा की लॉ फर्म ‘मोसाक फोन्सेका’ की मदद से ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में कंपनियां बनाई। कुछ भारतीय नागरिकों ने विदेशों में हुई कमाई पर लगने वाले टैक्स बचाने के लिए टैक्स हैप्रवेस देशों में अपने पैसे भी जमा करवाए जिनकी जानकारी भारतीय नियमों के तहत इन्कम टैक्स विभाग को नहीं दी गई। उल्लेखनीय है कि पनामा ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, बहामास, केथमेन, आइलैंड्स, बरमुडा जैसे कई देश टैक्स हैवन की तरह काम करते हैं।
‘पनामा पेपर्स’ में 1 करोड़, दस लाख के करीब ऐसे दस्तावेज शामिल हैं जिनमें विश्व भर के देशों के नागरिकों द्वारा अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स से बचाने की नीयत के चलते टैक्स चोरी की रकम छुपाने के लिए कुख्यात देशों में या तो वहां के बैंकों में जमा कराए गए हैं या फिर ऐसे देशों में संपत्ति खरीद पूंजीनिवेश किया गया है। इन दस्तावेजों को एक विहिस्लब्लोवर ‘जोन डो’ ने जर्मन पत्रकार बेस्टियन ओबरमेयर को गुप्त रूप से 2016 में भेजे थे। आज तक इस गुमनाम विहिस्लब्लोवर के बारे में कोई पुख्ता जानकारी इस पूरे प्रकरण की जांच में जुटे स्वतंत्र पत्रकारों के समूह ‘दि इंटरनेशनल कन्सोरसियस ऑफ इन्वेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट
(आईसीआईजे) को भी नहीं लग पाई है। यह सारे दस्तावेज पनामा की एक लॉ कंपनी मोसाक फोन्सेका से जुड़े हैं जो इस प्रकार का काम 1970 से करती आ रही है। अक्टूबर, 2020 में जर्मनी ने इस कंपनी के दो मालिकों के खिलाफ गैर जमानती अंतरराष्ट्रीय वारंट जारी किया। अभी तक इस कंपनी के दोनों मालिक कानून की गिरफ्त से बाहर चल रहे हैं।
जर्मन अखबार व्यूडडॉएचे को मोसाक फोन्सेका के वित्तीय लेन-देन का करीब 2,600 जीबी डेटा मिला था। इसमें वर्ष 1975 से वर्ष 2015 तक के लेन-देन की जानकारी थी। व्यूडडॉएचे (साइटुंग ने इसे खोजी पत्रकारों के संगठन (इंटरनेशनल फोन्सार्तियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्टर्स से साझा किया। इस समूह में लगभग 70 देशों के 370 रिपोर्टरों के साथ मिलकर डेटा की जांच की थी। भारत की ओर से ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने पनामा पेपर्स की जांच की थी। भरतीय पत्रकार पी वैद्यनाथ अय्यर और जय मजुमदार जांच करने वाले पत्रकारों की टीम का हिस्सा थे। दोनों ने 1 करोड़ 10 लाख से अधिक फाइलों में से भारत से जुड़ी 36,957 फाइलंे तलाशी थी। पनामा पेपर्स में जिन भारतीयों का नाम आया था, उनमें अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या बच्चन अजय देवगन, विनोद अडानी, शिशिर बजौरिया, गड़वारे परिवार आदि नाम प्रमुख हैं।