हिंदी सिनेमा को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही हैं। बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड फिल्मों को कुछ खास तवज्जो नहीं मिल रही है। हालत यह है कि हिंदी सिनेमा में भारी आर्थिक संकट के बादल मंडराने लगे हैं
देशभर में इन दिनों हिंदी सिनेमा को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिल रही हैं। कोरोनाकाल के बाद से बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड फिल्मों को कुछ खास तवज्जो नहीं मिल रही है। ऐसे में यह भी चर्चा तेज हो गई है कि हिंदी सिनेमा पर भारी आर्थिक संकट आ सकता है। दूसरी तरफ काफी दिनों से सोशल मीडिया पर बॉलीवुड फिल्मों को लेकर बायकॉट ट्रेंड चल रहा है। यही वजह है कि अक्षय कुमार, आमिर खान, तापसी पन्नू और अर्जुन कपूर सहित कई बॉलीवुड सितारों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करने में सफल नहीं हो पाई।
इंडस्ट्री से जुड़े सितारे भी बायकॉट ट्रेंड पर अपनी राय रख रहे हैं। हाल में रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्डा’ और अक्षय की फिल्म ‘रक्षाबंधन’ भी बायकॉट बॉलीवुड की भेट चढ़ गई हैं तो वहीं रणवीर कपूर की फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ का भी बहिष्कार हो रहा है।
ऐसे यह जानना जरूरी है कि कौन-कौन-सी फिल्म बायकॉट बॉलीवुड का शिकार हुई और इंडस्ट्री से जुड़े सितारे की इस पर क्या राय है। काफी समय से सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड चल रहा हैं रुठवलबवजज, यह शब्द आपने कई बार सुना होगा। इस हैशटैग बायकॉट के साथ ज्यादातर फिल्मों और सेलेब्स के नाम ट्रेंड हो रहे हैं। #BoycottLaalSinghChaddha, #BoycottRakshabandha, #BoycottDarlings, #BoycottBollywood आपने कई बार देखा भी होगा। इस हैशटैग बॉयकॉट का मतलब है जनता द्वारा इन फिल्मों को बायकॉट करने की मांग हुई है। इस बॉयकॉट का असर कई बार तो ऐसा भी हुआ कि लोग सोशल मीडिया पर विरोध करने के साथ-साथ फिल्मों के सेट या सिनेमाघरों के बाहर तक पहुंच कर तोड़-फोड़, पोस्टर जलाए गए, यहां तक कि सेलिब्रिटी को धमकी भी दी गई। काफी दिनों बाद आई आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ को लेकर उनके प्रसंशकों को काफी उम्मीदें थी, क्योंकि इस फिल्म का बजट ही 180 करोड़ रुपए था। लेकिन यह फिल्म बायकॉट बॉलीवुड की भेंट चढ़ गई।
बॉलीवुड हंगामा डॉट कॉम के अनुसार फिल्म का लाइफ टाइम कलेक्शन महज 56.5 करोड़ रुपए ही हुआ है। वहीं अक्षय की फिल्म ‘रक्षाबंधन’ का बजट 70 करोड़ रुपए था। लेकिन बायकॉट बॉलीवुड के चलते इसका भी लाइफ टाइम कलेकशन कुल 42 .6 करोड़ रुपए ही हो सका।
कहा जा रहा है कि रुठवलबवजज यह नया तरीका है किसी फिल्म या सेलिब्रिटी का विरोध करने का। यह शब्द देखने में तो काफी मामूली है, लेकिन इसके ट्रेंड होने से कई फिल्मों को करोड़ों का नुकसान हुआ है। वहीं कई सेलिब्रिटी तो ऐसे हैं जो इस ट्रेंड का ऐसा शिकार हुए हैं कि उनकी हर फिल्म को जनता का सपोर्ट नहीं मिला। लेकिन किसी फिल्म का विरोध होने से क्या वाकई सिर्फ एक एक्टर को असर पड़ता है? जवाब है नहीं। बायकॉट या कैंसिल कल्चर होकर जब भी फिल्म फ्लॉप हुई तो असर फिल्म से जुड़े कलाकारों के साथ उसकी यूनिट से जुड़े हजारों लोगों को हुआ और इससे भी ज्यादा नुकसान फिल्म इंडस्ट्री को हुआ है।
कैसे शुरू हुआ बॉयकॉट ट्रेंड
पिछले कुछ वर्षो से अलग-अलग मुद्दों पर बनी फिल्मों का जनता ने बहिष्कार किया है। कभी आश्रम-3 फिल्म के सेट पर तोड़-फोड़ की गई तो कभी समलैंगिकता पर बनी फिल्मों को प्रतिबंध करने की मांग तक की गई। लेकिन फिल्मों के बहिष्कार का ट्रेंड तब हाईलाइट हुआ जब 26/11 हमले के बाद भारत- पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था। उन दिनों पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को इंडियन प्रीमीयर लीग (आईपीएल) में बैन करने की मांग उठी। लेकिन कोलकाता नाइट राइर्ड के मालिक शाहरुख खान ने 2009 में फिर से पाकिस्तानी प्लेयर्स को आईपीएल में जगह दिए जाने की बात कही थी। उनका यह बयान इतना विवादों में रहा कि जब उनकी फिल्म ‘माय नेम इज खान’ का ट्रेलर जारी हुआ तो लोगों ने इसका विरोध किया। शाहरुख को पाकिस्तानी क्रिकेटर्स का सपोर्टर बताया गया और उनका सपोर्ट कर रहे लोगों की फिल्मों को भी बॉयकॉट किए जाने की मांग आग की तरह फैलती गई। सोशल मीडिया से बढ़कर विवाद सिनेमाघरों तक पहुंच गया। यहां तक कि इस विरोध में राजनीतिक दलों की भी एंट्री हुई और शिवसेना ने फिल्म का विरोध किया। बुकिंग शुरू होते ही थिएटर पर हमला किया गया। कई जगह फिल्म रिलीज नहीं हो सकी और डर से थिएटर में सिक्योरिटी भी बढ़ा दी गई।
असहिष्णुता पर आमिर का बयान
आमिर खान ने वर्ष 2015 में इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली में हुए इवेंट में असहिष्णुता पर बयान देते हुए कहा था कि उनकी पत्नी को भारत में डर महसूस होता है और वह विदेश सेटल होना चाहते हैं। उनके इस बयान का काफी विरोध हुआ लोगों ने उन्हें पाकिस्तान जाने की नसीहत तक दे डाली थी। जनता द्वारा आमिर का सपोर्ट करने वालों की फिल्में बायकॉट की जाने लगीं। आमिर का उस समय दिया यह बयान आज उनकी फिल्म ‘लाल सिंह चड्डा’ पर भारी पड़ गया।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत
सबसे ज्यादा फिल्मों का विरोध सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद किया जाने लगा। उनकी मौत के बाद बॉलीवुड स्टार्स, फिल्में और पूरी इंडस्ट्री को बायकॉट करने का मुद्दा सबसे ज्यादा गर्माया। आए दिन यह हैशटैग ट्रेंड हुआ और कई स्टार्स, स्टार किड्स और उनकी फिल्मों को बायकॉट किया गया। इससे कई स्टारकिड्स की फिल्में बुरी तरह फ्लॉप हुईं। सुशांत की मौत के बाद से ही अब आए दिन फिल्में बायकॉट की जा रही हैं।
बायकॉट पर सितारों की प्रतिक्रिया
ये सब काफी बचकाना है। मुझे लगता है कि लोगों को पॉजिटिव होना चाहिए, क्योंकि हम एक देश के नागरिक हैं। देश को मजबूत बनाने के लिए प्यार, सकारात्मकता और खुशी की जरूरत है। मैं नफरत से परेशान हो जाता हूं मुझे यह फीलिंग नहीं पसंद है। करण जोहरः फिल्मों का बायकॉट एक ट्रेंड बन गया है। लोग हमारी चुप्पी को कमजोरी समझ इसका फायदा उठा रहे हैं। मैंने सोचा था कि इन लोगों को हमारा काम जवाब देगा, लेकिन चीजें हद से ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। अर्जुन कपूरः यह बहुत अजीब है। लोग उनका बायकॉट कर रहे हैं, जिन्होंने इस इंडस्ट्री को सालों से सबसे ज्यादा कमाई दी है। इंडस्ट्री के सभी खान, खास कर आमिर कभी बायकॉट नहीं हो सकते।
एकता कपूरः बॉलीवुड ही क्या पूरा देश डूब रहा है। दुनिया डूब रही है और आप बॉलीवुड की बात कर रहे हैं। लोगों के पास फिल्म देखने के पैसे ही नहीं हैं। यहां पनीर पर तो जीएसटी लगा हुआ है। जब लोग खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी देंगे तो उससे ध्यान हटाने के लिए ये बायकॉट का गेम चल रहा है।
अनुराग कश्यपः बहिष्कार करना व्यक्तिगत अधिकार है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यूं अचानक बहिष्कार की स्थिति आई क्यों? किसी भी फिल्म के मुख्य अभिनेताओं और अन्य कलाकारों को शूटिंग के दौरान दर्शकों की भावनाओं के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। न की उनकी भावनाओं का मजाक उड़ाना चाहिए।
विवेक अग्निहोत्रीः हम सब एक आजाद देश में रहते हैं। जहां जिसका जो मन हो वह कर सकता है। बहुत कम लोग हैं जो ये काम करते हैं। वे शरारत कर रहे हैं। कोई बात नहीं। लेकिन इस तरह की चीजें करने का कोई मतलब नहीं है।
अक्षय कुमारः हम सभी अपने देश को सबसे बड़ा और महान बनाने की कगार पर हैं। मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि ऐसी चीजों को हाइलाइट न करें। यह हमारे देश के लिए बेहतर होगा।
नया नहीं है बॉयकॉट का मुद्दा फिल्म बॉयकॉट का मुद्दा आज का नहीं हैं पहले भी फिल्मों का विरोध किया जाता रहा है। बस अंतर इतना हो गया है कि अब सोशल मीडिया पर इन फिल्मों का विरोध किया जाता है जबकि पहले नेताओं और सेंसर बोर्ड के जरिए फिल्म को रिलीज होने से रोक दिया जाता था। भारत के आजाद होने से पहले जब तमिल एक्ट्रेस टीपी राजलक्ष्मी ने इंडिया थाई (भारत माता) फिल्म बनाई तो ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने इस पर रोक लगाने के लिए फिल्म को कई जगह रिलीज होने से रोक दिया था। तब विवाद के कारण फिल्म को करोड़ों का नुकसान हुआ था।
आजाद भारत की पहली फिल्म ‘नील अकाश नीचे’ को राजनीति विरोध के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बैन कर दिया था। मृणाल सेन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे अपने पावर का इस्तेमाल कर नेता नीचे तबके के लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं। सेंसिटिव मुद्दा होने पर जवाहरलाल नेहरू ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी थी। तीन महीनों तक विवादों का सामना करने के बाद इसे रिलीज किया गया था। उस समय चाहे राज कपूर की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ की हीरोइन जीनत अमान का बेहद बोल्ड लुक हो या फिल्म ‘एन ईवनिंग इन पेरिस’ में शर्मिला टैगोर के बिकिनी लुक दोनों ही फिल्मों को बोल्ड कंटेंट होने की वजह से काफी विरोध झेलना पड़ा था।