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बेल बॉटम ने खोला थियेटर का रास्ता

कोरोनाकाल ने बहुत से फिल्म निर्माताओं की मेगा बजट फिल्मों को सिर्फ ओटीटी प्लेटफार्म पर डिजिटल रिलीज करने के लिए मजबूर किया। अगर कोरोना न होता तो बड़े सितारों की बड़ी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर शायद करोड़ों की कमाई करती। साथ ही वे फिल्में थिएटर पर रिलीज होने के बाद ओटीटी प्लेटफार्म पर भी रिलीज होती, लेकिन डिजिटल राइट्स से होने वाली कमाई के नाम पर जब कोरोना वायरस ने सिनेमा घरों पर ताला लगा दिया तो डिजिटल राइट्स ही फिल्म की मुख्य कमाई का जरिया बन गया। हर निर्माता ने फिल्म को बंद होने से बचाने के लिए अपनी फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज कर दी।

भारत में जब से कोरोना वायरस आया है तब से कोई भी मूवी बॉक्स ऑफिस पर रिलीज नहीं हो रही है। 2021 में ऐसी कई बॉलीवुड मूवी हैं जिनको बॉक्स ऑफिस पर रिलीज किया गया था, लेकिन इनमें से बॉलीवुड की अधिकतर मूवी फ्लॉप हो गई। जिस कारण मूवी अब बहुत ही कम सिनेमाघरों में रिलीज हो रही हैं। लेकिन बॉलीवुड के सुपरस्टार अक्षय कुमार की एक्शन थ्रिलर फिल्म ‘बेल बॉटम’ 19 अगस्त को 1600 स्क्रीन पर एक साथ रिलीज होने वाली पहली फिल्म है। कोरोना महामारी के बाद प्रशासन ने सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत सीटिंग के साथ ही ओपेन करने की इजाजत दी है। हालांकि कई राज्यों में कोरोना वायरस के कारण अभी भी सिनेमा घरों पर रोक जारी है। ‘बेल बॉटम’ के बड़े पर्दे पर रिलीज होने के बाद फिल्म मेकर्स में एक बार फिर थियेट्रिकल रिलीज को बढ़ावा देने का उत्साह तो आया है, लेकिन कोराना महामारी के प्रकोप का भय अभी भी लोगों में बना हुआ है। जिसके चलते लोग थियेटर में नहीं पहुंच रहे हैं। पिछले सप्ताह ‘बेल बॉटम’ फिल्म को देखने के लिए 10 से 20 प्रतिशत लोग ही सिनेमाघर पहुंचे हैं।

लॉकडाउन के बाद थिएटर्स में रिलीज हुई इस फिल्म ने जहां पहले दिन 2 .75 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था, वहीं दूसरे दिन यानी 20 अगस्त को इस फिल्म की कमाई घटकर 2 .40 करोड़ रुपए के करीब आ गई। शनिवार और रविवार को फिल्म की कमाई 8 करोड़ के पास पहुंच गई, जबकि वीकेंड के लिए रिलीज से पहले ही फिल्म 24 लाख रुपए की एडवांस बुकिंग कर चुकी थी। फिर भी थियेटर में रिलीज होने के बाद भी यह फिल्म अच्छी कमाई नहीं कर पाई। ऐसे में 50 से 60 करोड़ बजट वाली यह फिल्म अपना बजट कैसे निकाल पाएगी। इसी तरह पिछले लॉकडाउन के बाद जब सिनेमाघर इसी तरह 50 फीसदी सीटिंग कैपेसिटी के साथ खुले थे तब जान्वी कपूर और राजकुमार राव की ‘रूही’ रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने तब ओपनिंग डे पर 3 . 06 करोड़ रुपए का बिजनेस किया था, लेकिन ‘बेल बॉटम’ के साथ ऐसा नहीं हुआ।

ऐसे में फिल्म निर्माता अपना बजट निकालने के लिए इस फिल्म ‘वेल बॉटम’ को ओटीटी प्लेट फार्म पर रिलीज करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन कुछ नियमों के कारण इसको सिनेमाघर में एक साथ ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रीय मल्टीप्लेक्स शृंखलाओं के नियम के अनुसार किसी भी फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज की तिथि के 8 सप्ताह के बाद ओटीटी प्लेटफार्म पर स्ट्रीमिंग के लिए रिलीज किया जा सकता है, फिर भी ‘बेल बॉटम’ के फिल्म निर्माता वाशु भगनानी रिलीज के दो सप्ताह बाद इसको ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीमिंग करना चाहते थे, लेकिन नियमों के कारण ऐसा हो नहीं पा रहा है। राष्ट्रीय मल्टीप्लेक्स ने अपने कुछ नियमों में ढील करते हुए इस फिल्म को 8 सप्ताह के बजाय 4 सप्ताह के बाद ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज करने की इजाजत दी है। अब यह फिल्म 15 सितंबर के बाद अमेजान प्राइम वीडियो पर रिलीज होने की संभावना है। प्राइम ने इस मूवी को कितने में खरीदा है इसकी अभी जानकारी नहीं आयी है। दूसरी तरफ फिल्म ‘भुज द प्राइड ऑफ इंडिया’ को अक्षय की फिल्म से एक सप्ताह पहले ही ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज किया गया था। इस फिल्म को हॉटस्टार वीवीआईपी ने 110 करोड़ में डिजिटल रिलीज के लिए खरीदा है। इस फिल्म को दर्शकों ने फ्लॉप फिल्म भी साबित कर दिया है। यानी इस तरह से फिल्मों के रिलीज होने पर अब शायद आपको 100 करोड़ रुपये या 500 करोड़ रुपये की कमाई वाली फिल्मों जैसे वाक्य सुनने को न मिलें। अगर कोई फिल्म इन दिनों ओटीटी पर डायरेक्ट रिलीज होती है तो ओटीटी राइट्स से ही लगभग 80 फीसदी राजस्व मिलता है और सैटेलाइट राइट्स से मुनाफे का 20 फीसदी हिस्सा निकलता है।

ओटीटी प्लेटफार्म पर फिल्मों का व्यापार

ओटीटी प्लेटफार्मों पर फिल्मों की कमाई का जरिया सीधा होता है। रिलीज या स्ट्रीमिंग के लिए ओटीटी को फिल्मों के राइट्स खरीदने होते हैं। राइट्स के लिए निर्माता को एक रकम मिलती है। यह डील एक ही फिल्म के अलग- अलग भाषाओं के वर्जनों के लिए अलग अलग होती है यानी हर वर्जन के राइट्स की डील अलग से होती है। दूसरी तरफ, कुछ फिल्मों का निर्माण ओटीटी प्लेटफॉर्म खुद करवाते हैं। यानी खास तौर पर किसी फिल्म के लिए ओटीटी प्लेटफार्म कोई डील करता है। जैसे एचबीओ एक ओटीटी प्लेटफार्म है, जो खास तौर पर अपने प्लेटफार्म के लिए फिल्में बनवाने के बिजनेस में है। इस डील में होता ये है कि प्लेटफार्म एक तयशुदा रकम फिल्म निर्माताओं को देता है और निर्माता उससे कम रकम में फिल्म बनाते हैं, यानी बची हुई रकम उनका लाभ है। ओटीटी से तीन तरह की कमाई की जाती है।

टीवीओडी यानी ओटीटी का हर यूजर किसी भी कन्टेंट को जब डाउनलोड करता है, तो उसके लिए एक शुल्क अदा करता है। यानी हर डाउनलोड पर ट्रांजेक्शन। एसवीओडी का मतलब है कि कोई भी यूजर हर महीने या एक समय सीमा के लिए एक रकम चुकाता है और उस प्लेटफार्म का तमाम कन्टेंट देख सकता है। एवीओडी तीसरा तरीका है कन्टेंट देखने का कोई चार्ज नहीं है, लेकिन कन्टेंट के बीच बीच में यूजर को विज्ञापन देखने होते हैं। जैसे यूट्यूब फ्री है। लेकिन वीडियो के बीच में एड देखने होंगे इन विज्ञापनों के जरिए ओटीटी की कमाई होती है। कुल मिलाकर ओटीटी पर बिजनेस का मॉडल बहुत साधारण है। पहले प्लेटफार्म अपने कन्टेंट को बनाने या खरीदने में पैसा खर्च करता है और उसके बाद दर्शकों या यूजरों से एक चार्ज लेकर वो कन्टेंट बेचा जाता है। कई प्लेटफार्म यूजरों की सुविधानुसार प्रति सप्ताह, प्रति महीने, प्रतिदिन और प्रतिवर्ष जैसे पेमेंट सिस्टम भी मुहैया करवाते हैं।

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